श्रीलंका आर्थिक संकट: सत्ता पर राजपक्षे की पकड़ हुई कमजोर, नवनियुक्त वित्त मंत्री का इस्तीफा
राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाई बासिल राजपक्षे को बर्खास्त करने के बाद साबरी को नियुक्त किया था, जो सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के भीतर गुस्से के केंद्र में थे। राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में साबरी ने कहा कि उन्होंने एक अस्थायी उपाय के तहत यह पद संभाला है।
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साबरी उन चार मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें राष्ट्रपति ने सोमवार को नियुक्त किया था। इससे एक दिन पहले उनके सभी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने इस्तीफा दे दिया था। मंगलवार को जब संसद बुलाई गई तो सरकार के कईसहयोगियों ने तटस्थ रहने का फैसला किया। राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा पिछले सप्ताह आपातकाल की घोषणा के बाद से यह पहला सत्र था। सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2020 के आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं और विपक्ष के सदस्यों के पाला बदलने से उसकी संख्या में और बढ़ोतरी हुई थी हालांकि वह इनमें से कम से कम 41 सांसदों का समर्थन खोता हुआ दिखाई दे रहा है। अब ऐसा प्रतीत होता है कि 225 सदस्यीय संसद में साधारण बहुमत के लिए आवश्यक 113 सीटों से उसके पास पांच कम, 109 सीटें हैं। सरकार ने हालांकि दावा किया कि उसके पास साधारण बहुमत है। श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइन, आवश्यक वस्तुओं की कम आपूर्ति और घंटों बिजली कटौती से जनता महीनों से परेशान है।
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पार्टी सूत्रों ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा कि पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की अगुवाई में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के असंतुष्ट सांसद सत्तारूढ़ एसएलपीपी का दामन छोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी के 14 सांसद यह कदम उठा सकते हैं। एक असंतुष्ट सांसद उदय गम्मनपिला ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि सरकार के बजट पर हुए अंतिम वोट में 225 में से 157 वोट पाने वाले गठबंधन से 50-60 सदस्यों का अलग होना तय है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार न सिर्फ अपना दो तिहाई बहुमत बल्कि साधारण बहुमत भी खो देगी। एसएलपीपी सांसद रोहित अबेगुनावर्धना ने हालांकि कहा कि सरकार 138 सांसदों के समर्थन के साथ पूरी तरह से मजबूत है।
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