छवि को नुकसान पहुंचा, NATO में शामिल होने की उसकी कोशिशों में अड़ंगा डालने का प्रयास, कुरान जलाने की घटनाओं को लेकर स्वीडन ने रूस पर लगाया गंभीर आरोप
स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में कुरान जलाने की घटनाओं को अस्वीकार किया था। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा था कि ये गहलतफहमी फैल रही है कि स्वीडन कुरान जलाने की घटनाओं का समर्थन करता है।
स्वीडन के नागरिक सुरक्षा मंत्री ने दावा किया कि उनका देश हाल ही में कुरान जलाए जाने की स्थिति में नाटो उम्मीदवार के रूप में अपनी छवि को बदनाम करने के लिए रूस समर्थित दुष्प्रचार अभियान का निशाना बन रहा है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद नाटो में शामिल होने की स्वीडन की कोशिश ने इसे अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। इससे इतर प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम पवित्र पुस्तक कुरान की प्रतियां जला लगाकर दुनिया भर के मुसलमानों का गुस्सा भी झेला है। मंत्री कार्ल-ऑस्कर बोहलिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि रूस समर्थित दुष्प्रचार अभियान का स्वीडन लक्ष्य है, जिसका उद्देश्य स्वीडिश हितों और स्वीडिश नागरिकों को नुकसान पहुंचाना है।
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हम देख सकते हैं कि कैसे रूस समर्थित लोग गलत बयानों को बढ़ावा दे रहे हैं। जैसे स्वीडिश राज्य पवित्र ग्रंथों के अपमान के पीछे है। यह, स्वाभाविक रूप से, पूरी तरह से झूठ है। बोहलिन ने कहा कि समर्थित ऐसे लोगों ने विभाजन पैदा करने और स्वीडन की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की है। मंत्री की टिप्पणी के बारे में अनुरोध पर स्टॉकहोम में रूसी दूतावास से तत्काल कोई जवाब नहीं आया।
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स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में कुरान जलाने की घटनाओं को अस्वीकार किया था। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा था कि ये गहलतफहमी फैल रही है कि स्वीडन कुरान जलाने की घटनाओं का समर्थन करता है जो कि सच नहीं है। उन्होंने कहा था कि स्वीडन कुरान की प्रतियां जलाने की अनुमति नहीं देता है। हालांकि, पुलिस सार्वजनिक विरोध के लिए अनुमति जारी करती है। ये एक ऐसा अधिकार है जो स्वीडन के संविधान में निहित है।
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