महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा मरम्मत के बाद करतारपुर साहिब में फिर स्थापित की गई

Maharaja Ranjit Singh statue
प्रतिरूप फोटो
ANI

इस प्रतिमा को पहले लाहौर स्थित किले में महाराजा रणजीत सिंह की समाधि के पास स्थापित किया गया था जिसे धार्मिक कट्टरपंथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। पाकिस्तान और भारत के सिख समुदाय के सदस्यों ने महाराजा की स्थापित प्रतिमा के सामने तस्वीर खिंचवाई।

लाहौर। सिख साम्राज्य के पहले शासक महाराज रणजीत सिंह की प्रतिमा को मरम्मत के बाद करीब 450 भारतीय सिख श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बुधवार को करतारपुर साहिब में फिर से स्थापित किया गया। इस प्रतिमा को पहले लाहौर स्थित किले में महाराजा रणजीत सिंह की समाधि के पास स्थापित किया गया था जिसे धार्मिक कट्टरपंथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। पाकिस्तान और भारत के सिख समुदाय के सदस्यों ने महाराजा की स्थापित प्रतिमा के सामने तस्वीर खिंचवाई। 

पंजाब सूबे के पहले सिख मंत्री (अल्पसंख्यकों के लिए) और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के अध्यक्ष रमेश सिंह अरोड़ा ने प्रतिमा का अनावरण किया। करतारपुर साहिब को गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है और यह लाहौर से लगभग 150 किलोमीटर उत्तर पूर्व में भारतीय सीमा के नजदीक स्थित है। अरोड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने आज स्थानीय और भारतीय सिखों की उपस्थिति में गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर साहिब में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा स्थापित की है।’’ 

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के 44 वर्षीय नेता ने कहा कि पुनर्स्थापित प्रतिमा को मुख्य रूप से करतारपुर साहिब में इसलिए स्थापित किया गया ताकि गलियारे का उपयोग करके सीमा पार यहां आने वाले भारतीय सिख भी इसे देख सकें। अरोड़ा ने कहा, करतारपुर में सिख नेता की प्रतिमा की भी बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, जिसे पहले लाहौर किले में क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।’’ 

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महाराजा रणजीत सिंह की नौ फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा को सबसे पहले लाहौर के किले में उनकी समाधि के नजदीक 2019 में स्थापित किया गया था, लेकिन इसे दो बार दक्षिणपंथी इस्लामिक राजनीतिक पार्टी तहरीक ए लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। पंजाब के महान सिख शासक की प्रतिमा ब्रिटेन की एक संस्था की ओर से सूबे के लोगों को उपहार में दी गई थी। महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के संस्थापक थे और उनके साम्राज्य का विस्तार भारतीय उप महाद्वीप के पश्चिमोत्तर में था एवं राजधानी लाहौर थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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