जानिए, गर्भावस्था में महिला को कितनी देर सोना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान आवश्यक नींद की समयावधि गर्भावस्था के चरण पर निर्भर करती है। पहली तिमाही के दौरान महिलाओं को हर समय उनींदापन महसूस होता है। प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर के कारण पहली तिमाही के दौरान थकान और सुस्ती का अहसास होता है।
गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए एक बेहद खास दौर होता है। इन नौ माह में महिला के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं, क्योंकि उसके भीतर एक नया जीवन पनप रहा होता है। इस दौरान महिला को थकान, मार्निंग सिकनेस व अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसका असर उसकी नींद पर भी पड़ता है, लेकिन गर्भावस्था में हेल्दी रहने के लिए जरूरी है कि महिला पूरी तरह अच्छी नींद लें। चूंकि गर्भावस्था में महिला का अधिक मेहनत करता है, इसलिए उन्हें अतिरिक्त नींद लेने की सलाह दी जाती है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि गर्भावस्था में महिला को कितनी नींद लेना बेहद जरूरी है−
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पहली तिमाही
गर्भावस्था के दौरान आवश्यक नींद की समयावधि गर्भावस्था के चरण पर निर्भर करती है। पहली तिमाही के दौरान महिलाओं को हर समय उनींदापन महसूस होता है। प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर के कारण पहली तिमाही के दौरान थकान और सुस्ती का अहसास होता है। इस अवधि के दौरान महिला का चयापचय भी बदलता है। महिलाएं आमतौर पर पहली तिमाही के दौरान हर समय नींद महसूस करती हैं लेकिन बार−बार पेशाब आने जैसे कई कारणों से उनकी नींद बाधित होती है।
दूसरी तिमाही
दूसरी तिमाही में महिला को अपेक्षाकृत बेहतर नींद आती है। खासतौर से बाईं ओर सोने से महिला एक अच्छी नींद लेती है। चूंकि इस दौरान शरीर में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं आता है।
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तीसरी तिमाही
तीसरी तिमाही में, महिला को एक बार फिर से सोने में परेशानी होती है। चूंकि इस दौरान महिला का पेट काफी बढ़ जाता है, इसलिए उन्हें आसानी से नींद नहीं आती है। साथ ही महिला को बार−बार पेशाब आता है, जिसके कारण उसकी नींद में खलल होता है। इसलिए, एक गर्भवती महिला को सलाह दी जाती है कि वे जितना संभव हो सके उतना आराम करें और जब भी वे सुस्ती महसूस करें तो सो जाएं। साथ ही नींद में व्यवधान को कम करने के लिए, आप सोने से ठीक पहले तरल पदार्थ का सेवन सीमित रखें।
जिस तरह गर्भावस्था में महिला को एक नहीं दो के लिए खाने की सलाह दी जाती है, ठीक उसी तरह उसे दो के लिए नींद लेनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिला को कम से कम आठ−दस घंटे बिस्तर पर बिताने चाहिए, ताकि वह कम से कम सात से आठ घंटे की नींद ले सकें।
मिताली जैन
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