इस डेट से शुरू हो रहा है होलाष्टक, इस दौरान शुभ कार्यों की होती है मनाही
होली के त्यौहार यानि की होलिका दहन के ठीक आठ दिन पहले से होलाष्टक त्यौहार की शुरूआत होती है। मान्यता है कि इन आठ दिनों तक किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा आदि की जानी चाहिए।
हर साल हम सभी धूमधाम से होली का त्यौहार मनाते हैं। बता दें कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक त्योहार की शुरूआत होती है। इस बार 8 मार्च को होली का त्यौहार है। मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस परंपरा को लेकर भी काफी मत हैं। कहा जाता है कि होलाष्टक में भगवान के नाम का जप करने से शुभ फलों की प्राप्त होती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से होलाष्टक के नियम, कथा बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस दौरान किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
होलाष्टक की कहानी
मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के जिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक असुर हिरण्यकश्यप ने होली दहन के आठ दिन पहले भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद को बंदी बना लिया था। इन 8 दिनों में उसने प्रहलाद को कई तरह की यातनाएं दी थीं। इसके बाद भी जब वह प्रहलाद को भगवान श्रीहरि का स्मरण किए जाने से नहीं रोक पाया तो अपनी बहन होलिका से उसके प्राण लेने का आदेश दे दिया था। इसी कारण से इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य किए जाने की मनाही होती है।
होलाष्टक की शुरूआत
होलाष्टक की शुरूआत होलिका दहन के आठ दिन पहले से होती है। यानि की फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि से। इस बार यह तिथि 27 फरवरी को है। आपको बता दें कि इस वर्ष होलाष्टक की शुरूआत 28 फरवरी से होगी। वहीं ये 8 मार्च को खत्म हो जाएगा। किसी विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करने के लिहाज से यह समय काफी शुभ माना गया है।
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होलाष्टक के दौरान क्या करें
होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य की मनाही होती है। इस दौरान अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, गृह आरंभ, मुंडन कर्म आदि कार्य किए जाने की मनाही होती है। इसके अलावा मकान और वाहन खरीदना या नए बिजनेस की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में केवल स्नान-दान, जप-तप किया जाना चाहिए।
इष्ट देव की पूजा करें
होलाष्टक के दिनों में आपको अपने आराध्य की पूजा करनी चाहिए। वहीं अगर आप भगवान भोलेनाथ के साधक हैं तो शिवलिंग में दूध, पानी, दही, बेलपत्र, पुष्प आदि अर्पित कर अभिषेक करना चाहिए। साथ ही ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। वहीं विष्णु भगवान की पूजा के दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या ऊँ विष्णवे नम: का जाप किया जाना चाहिए। इससे आपके आसपास सकारात्मक ऊर्चा का संचार होने के साथ आपका दिमाग शांत रहता है।
होलाष्टक में क्या न करें
- शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन सहित अन्य सोलह संस्कार आदि नहीं करना चाहिए।
- नया बिजनेस नहीं शुरू करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होने के कारण आपको बिजनेस में नुकसान हो सकता है।
- किसी भी तरह का वाहन नहीं खरीदना चाहिए। अगर आपको वाहन खरीदना है तो - - - होलाष्टक से पहले करा सकते हैं। होली के बाद ही वाहन को घर लाना शुभ होगा।
- होलाष्टक के समय पूजा, यज्ञ आदि का आपको पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा। इसलिए कोई पूजा आदि न रखवाएं।
- होलाष्टक के समय किसी भी मकान निर्माण कार्य को न शुरू करवाएं। इसके अलावा गृह प्रवेश की भी मनाही होती है।
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