सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है? इस स्थिति में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर मशीन कितना कारगर है? यूपी सरकार ने इसके लिए क्या पहल की है?
जानकार बताते हैं कि सडन कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सीपीआर या एईडी के माध्यम से फर्स्ट एड देने की कोशिश की जाती है। हालांकि सीपीआर से ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन अधिक कारगर है।
जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है तो उस स्थिति को सडन कार्डियक अरेस्ट कहा जाता है। भारत देश में प्रतिवर्ष कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग 07 लाख है। ऐसा इसलिए कि इमरजेंसी की स्थिति में लोग मरीज की तुरंत मदद नहीं कर पाते हैं और जब तक मरीज को चिकित्सीय सहायता मिलती है, तब तक बहुत देर हो जाती है। दरअसल, इसके लिए तत्काल सहायता अनिवार्य है। पहले 3 से 5 मिनट में मदद के बिना पीड़ित के बचने की संभावना लगभग शून्य होती है।
जानकार बताते हैं कि सडन कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सीपीआर या एईडी के माध्यम से फर्स्ट एड देने की कोशिश की जाती है। हालांकि सीपीआर से ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन अधिक कारगर है। ऐसा इसलिए कि ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन के माध्यम से मरीज के हृदय के समीप मशीन को लगाकर तात्कलिक रूप से रोगी व्यक्ति को एक शॉक दिया जाता है, जिससे व्यक्ति का हृदय अपनी गति से कार्य करने लगता है और रोगों को समीपवर्ती अस्पताल में चिकित्सा हेतु भेजे जाने का समय मिल जाता है।
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इस स्थिति में सुधार के वास्ते ही यूपी के सचिवालय, सरकारी भवनों और मॉल में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर मशीन लगाई जाएगी, ताकि सडन कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में मरीज को तुरंत फर्स्ट एड प्रदान किया जा सके। इसके तहत सरकार उत्तर प्रदेश सचिवालय समेत समस्त सरकारी भवनों, मॉल आदि जगहों पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन स्थापित करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव डॉ दुर्गा शंकर मिश्र ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है।
बताया जाता है कि आगामी 1 अगस्त से लखनऊ के लोकभवन, इंद्राभवन, शक्तिभवन और एनेक्सी में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर लगाने का कार्य शुरू हो जाएगा। इस मशीन के लगने से कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सरकारी भवनों में ही मरीज को जरूरी कार्डियक फर्स्ट एड प्रदान किया जा सकेगा। इस मशीन के द्वारा रोगी के हृदय के समीप दो स्थानों पर दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक शॉक से उसे प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त हो जाती है। यह चिकित्सा हृदयघात के समय हाथ में दी जाने वाली सीपीआर प्राथमिक चिकित्सा से अधिक कारगर है।
वहीं इस मशीन के संचालन एवं प्रयोग के लिए सचिवालय के अंदर सभी चिकित्सालयों यानी एलोपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक के चिकित्सकों एवं सभी भवनों के व्यवस्थापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, क्योंकि यह मशीन इन्ही के संरक्षण में रखी जाएगी। इस मशीन से सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को हृदयघात से प्राथमिक चिकित्सा प्रत्येक भवन में प्राप्त होगी और सचिवालय में हृदयघात से बचाव से संबंधित सकारात्मकता का माहौल रहेगा।
समझा जाता है कि प्रदेश के स्वास्थ्य को दुरुस्त करने के लिए योगी सरकार की यह एक बड़ी पहल है। जिसके दृष्टिगत स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेज प्रगति कर रही योगी सरकार प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी एक नई पहल शुरू करने जा रही है। ततपश्चात इसे सूबे के अन्य जनपदों में भी लगवाया जाएगा।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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