जानिए क्या है आरबीआई की नई एकीकृत लोकपाल योजना?
वैसे तो बैंकिंग सेक्टर को और मज़बूत करने के लिए को-ऑपरेटिव बैंकों को भी आरबीआई के दायरे में लाया गया है। इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों डिपॉजिटर्स हैं, उनके भीतर भी इस सिस्टम के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व में आरबीआई ने जिन अभिनव ग्राहक केंद्रित पहलों की शुरुआत की, उनमें से रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इस आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना से बैंकिंग सेक्टर में ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ प्रणाली ने अब साकार रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री ने भी इस योजना की नागरिक केंद्रित प्रकृति पर बल दिया है।उन्होंने दो टूक कहा है कि किसी भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी कसौटी वहां की शिकायत निवारण प्रणाली की ताकत होती है। आरबीआई- एकीकृत लोकपाल योजना इस दिशा में बहुत आगे तक जाएगी।
कहना न होगा कि बीते छह-सात वर्षों में केंद्र सरकार, सामान्य लोगों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बारीकीपूर्वक काम कर रही है। जबकि एक रेग्यूलेटर के तौर पर आरबीआई, अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ लगातार संवाद बनाए रखता आया है। इंटेग्रेटेड ओमबुड्समेन्ट लोकपाल स्कीम से बैंकिंग सेक्टर में बैंक कस्टमर्स की हर शिकायत, हर समस्या का समाधान समय पर, बिना परेशानी के हो सकेगा। क्योंकि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यह है कि आप ग्रीवांस रिड्रेससल सिस्टम में कितने मजबूत हैं, कितने संवेदनशील हैं, कितने प्रोएक्टिव हैं। क्योंकि यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी कसौटी है।
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वैसे तो बैंकिंग सेक्टर को और मज़बूत करने के लिए को-ऑपरेटिव बैंकों को भी आरबीआई के दायरे में लाया गया है। इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों डिपॉजिटर्स हैं, उनके भीतर भी इस सिस्टम के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है। कहना न होगा कि बीते कुछ समय में डिपॉजिटर्स के हितों को देखते हुए ही, अनेक फैसले लिए गए हैं। जिनमें "वन नेशन, वन ओम्बुड्समैन" सिस्टम से डिपॉजिटर्स और इन्वेस्टर्स फर्स्ट के कमिटमेंट को बल मिला है। इस योजना से बैंक, एनबीएफसीज और प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट में 44 करोड़ लोन अकाउंट और 220 करोड़ डिपॉजिट अकाउंट के जो धारक हैं, उन धारकों को सीधी राहत मिलेगी।
बता दें कि रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना यानी आरबी-आईओएस का उद्देश्य बैंक या बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी शिकायतों की समाधान प्रणाली को और बेहतर करना है। इससे केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत आने वाली एंटिटीज जैसे बैंक, एनबीएफसीज, पेमेंट सर्विस ऑपरेटर्स के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा। इसी मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों भारतीय रिजर्व बैंक की इस एकीकृत लोकपाल योजना को लॉन्च किया है।
# जानिए, कैसे काम करेगी आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना
आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना गत 12 नवंबर से ही प्रभावी हो गई है। इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक बैंक, एनबीएफसीज आदि के खिलाफ अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं। व्यवस्था के मुताबिक, अब ग्राहक एक ही स्थान पर अपनी शिकायत दे सकते हैं, अपने दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं और आवश्यक सुझाव दे सकते हैं। कहने का तातपर्य यह कि ग्राहक के पास शिकायत दर्ज करने, दस्तावेज जमा करने, अपनी शिकायतों की स्थिति को ट्रैक करने और प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए एक ही रेफरेंस प्वॉइंट होगा। जिससे लोग आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड, देश भर में स्थित किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान की एक सेंट्रलाइज्ड ओम्बड्समैन से शिकायत कर सकेंगे।
# एकीकृत लोकपाल योजना के तहत कब कर सकेंगे शिकायत
कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत तभी कर सकेगा, जब पहले उसने आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड एंटिटीज जैसे बैंक, एनबीएफसी आदि को लिखित में शिकायत की हो। ततपश्चात, उसकी शिकायत को आंशिक या पूर्ण रूप से खारिज कर दिया गया हो। या संतोषजनक उत्तर न मिला हो, या फिर तीस दिन के अंदर कोई उत्तर न मिला हो। यही नहीं, यदि रेगुलेटेड एंटिटी की ओर से उत्तर प्राप्त होने के एक वर्ष के अंदर ग्राहक एकीकृत लोकपाल योजना के तहत शिकायत कर सकता है। वहीं, रेगुलेटेड एंटिटी की ओर से उत्तर प्राप्त न होने वाले मामले में शिकायत किए जाने के 1 साल 1 माह के अंदर लोकपाल को शिकायत की जा सकती है।
# आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना अंतर्गत मौजूदा तीन योजनाएं हो गईं इंटीग्रेटेड
आरबीआई- एकीकृत लोकपाल योजना, आरबीआई की ही मौजूदा तीन लोकपाल योजनाओं को एकीकृत करती है- पहला, बैंकिंग लोकपाल योजना 2006; दूसरा, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना 2018; और तीसरा, डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना 2019। बताया जाता है कि यदि आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड संस्थाएं जैसे बैंक, एनबीएफसीज आदि ग्राहक की शिकायत का संतुष्टिपूर्ण समाधान नहीं कर पाते हैं या फिर 30 दिनों की अवधि के भीतर जवाब नहीं देती हैं तो एकीकृत लोकपाल योजना, रेगुलेटेड एंटिटीज द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का निःशुल्क निवारण प्रदान करेगी। वहीं, आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना के दायरे में 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक जमा राशि वाले गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक भी आते हैं।
# ये हैं आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना की मुख्य विशेषताएं
पहला, अब शिकायतकर्ता को यह पहचान करने की जरूरत नहीं होगी कि उसे किस योजना के तहत लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। दूसरा, शिकायतों को अब केवल "योजना में सूचीबद्ध आधारों के अंतर्गत शामिल नहीं" होने के कारण खारिज नहीं किया जाएगा। तीसरा, इस योजना ने प्रत्येक लोकपाल कार्यालय के अधिकार क्षेत्र को समाप्त कर दिया है। चतुर्थ, किसी भी भाषा में भौतिक और ईमेल शिकायतों की प्राप्ति और शुरुआती प्रोसेसिंग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक, चंडीगढ़ में एक सेंट्रलाइज्ड रिसीप्ट व प्रोसेसिंग सेंटर स्थापित किया गया है। पंचम, रेगुलेटेड एंटिटी का प्रतिनिधित्व करने और रेगुलेटेड एंटिटी के खिलाफ ग्राहकों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में महाप्रबंधक के पद वाले प्रधान नोडल अधिकारी या उसके समकक्ष की होगी। षष्टम, रेगुलेटेड एंटिटी को उन मामलों में अपील करने का अधिकार नहीं होगा, जहां लोकपाल ने उसके खिलाफ संतोषजनक और समय पर सूचना या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने के लिए अवॉर्ड जारी किया हो। सप्तम, आरबीआई के उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण विभाग के प्रभारी कार्यकारी निदेशक, इस योजना के तहत अपीलीय प्राधिकारी होंगे।
# ये है आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना की शिकायत दायर करने की प्रक्रिया
आरबीआई-एकीकृत लोकपाल योजना अंतर्गत शिकायत https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है। ये शिकायतें आरबीआई द्वारा अधिसूचित सेंट्रलाइज्ड रिसीप्ट एंड प्रोसेसिंग सेंटर को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से यानी ई-मेल के माध्यम से की जा सकती हैं। इसके अलावा, फिजिकल मोड में भी शिकायत दर्ज की जा सकती हैं। यह ई-मेल [email protected] पर भेजना होगा। यदि आप फिजिकल फॉर्म में शिकायत दर्ज कर रहे हैं तो शिकायतकर्ता या इसके अधिकृत प्रतिनिधि को इसे हस्ताक्षरित करना होगा। वहीं, फिजिकल तरीके से निर्धारित प्रारूप में शिकायत फॉर्म को सभी जरूरी जानकारियां भरकर, जरूरी दस्तावेजों के साथ 'भारतीय रिजर्व बैंक, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़- 160017 में स्थापित 'सेंट्रलाइज्ड रिसीप्ट एंड प्रोसेसिंग सेंटर' को भेजा जा सकता है।
# रिजर्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना से निवेश पर क्या असर पड़ेगा? समझाइए
बताया गया है कि ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों को एड्रेस करने के लिए आरबीआई ने इस योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक उपयोग का प्रावधान किया है। इससे बैंक और जांच करने वाली एजेंसियों के बीच कम से कम समय में बेहतर तालमेल सुनिश्चित हो सकेगा। जितनी जल्दी एक्शन होगा, फ्रॉड से निकाली गई रकम की रिकवरी की संभावना उतनी ही अधिक होगी। ऐसे कदमों से डिजिटल पेनेट्रेशन और कस्टमर इनक्लूसिवनेस का दायरा भी बड़े विश्वास के साथ बढ़ेगा, कस्टमर का भरोसा और बढ़ेगा ।
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बीते सालों में देश के बैंकिंग सेक्टर में, फाइनेंशियल सेक्टर में इनक्लूजन से लेकर टेक्नोलॉजिकल इंटीग्रेशन और दूसरे रिफॉर्म्स किए हैं, जिनकी ताकत हमने कोविड 19 के मुश्किल समय में भी देखी है। उसके कारण सामान्य लोगों की सेवा करने का एक संतोष भी पैदा होता है। सरकार जो बड़े-बड़े फैसले ले रही थी, उसका प्रभाव बढ़ाने में आरबीआई के फैसलों ने भी बहुत बड़ी मदद की है।
# आपकी शिकायत को हल्के में लेना बैंकों को पड़ेगा महंगा, आरबीआई लाया नई गाइडलाइन
बैंक ग्राहकों की शिकायतों को अब हल्के में नहीं ले पाएंगे. बल्कि अब उनमें ग्राहकों की शिकायतें कम करने की होड़ मच सकती है। क्योंकि रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों की शिकायत निपटाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत किसी बैंक के खिलाफ ज्यादा शिकायतें मिलने पर बैंक वित्तीय खामियाजा भुगतेंगे। क्योंकि ज्यादा शिकायत वाले बैंक से जुड़ी कंप्लेंट के निपटारे पर अब जो भी खर्च होगा, रिज़र्व बैंक इसकी भरपाई संबंधित बैंक से ही करेगा। ग्राहक से शिकायत की सुनवाई पर पहले की ही तरह कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। खास बात यह है कि यह व्यवस्था फिलहाल बैंकिंग शिकायतों से जुड़ी है और बाकी किसी और संस्थान के खिलाफ शिकायतों पर ये गाइडलाइन अभी नहीं लागू है।
# समझिये, आखिर में क्या है रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन
रिवर्ज बैंक की नई पॉलिसी के तहत बैंकों के खिलाफ शिकायत सुनवाई के खर्च की वसूली बैंक से ही की जाएगी। ज्यादा शिकायतों के आधार पर बैंकों पर ये पॉलिसी लागू होगी। बैंक ग्राहक बैंकिंग ओम्बुड्समैन के पास जो शिकायत दर्ज कराएंगे, उसी आधार पर फैसला लिया जाएगा। शीर्ष पांच शिकायतें किस सर्विस से जुड़ी हैं ये भी ब्यौरा देना होगा। यदि शिकायतें बढ़ती रहीं तो बैंक के शिकायत निपटारे की समीक्षा की जाएगी। बैंक के कस्टमर सर्विस कमेटी के कामकाज की भी समीक्षा होगी। ये भी देखा जाएगा कि शिकायतों पर प्रबंधन कितना गंभीर है। समीक्षा के बाद बैंक को आरबीआई एक एक्शन प्लान बनाकर देगा, जिसे तय समय सीमा में लागू करना होगा। अन्यथा बैंक के ऊपर रेगुलेटरी एक्शन होगा। गाइडलाइन के दायरे में क्षेत्रीय ग्रामीण बैक को छोड़ बाकी सब बैंक होंगे। यह नई गाइडलाइन 27 जनवरी 2021 की तारीख से लागू मानी जाएगी। बैंक अपनी सालाना रिपोर्ट में शिकायतों पर ज्यादा डिस्क्लोज़र देंगे।
# आंकिये, शिकायतों की खर्च वसूली का आखिर क्या होगा पैमाना
जहां तक शिकायतों की खर्च वसूली के पैमाना का सवाल है तो इसके लिए 3 पैमाने बनाये गए हैं- पैमाना 1- प्रति ब्रांच शिकायत औसत शिकायत से अधिक होना। पैमाना 2- प्रति हजार खातों पर आई हुई शिकायतों की संख्या। पैमाना 3- औसत 1000 डिजिटल ट्रांजैक्शन पर कितने कंप्लेंट। वहीं, जहां तक निपटारे की लागत वसूले की बात है तो अहम सवाल है कि यह कैसे वसूली जाएगी। किसी एक पैमाने पर अधिक तो 30 प्रतिशत खर्च की वसूली, किसी दो पैमाने पर अधिक तो 60 प्रतिशत खर्च की वसूली, तीनों पर औसत से अधिक तो पूरे खर्च की वसूली की जाएगी। वहीं, प्रति शिकायत वसूली साल के औसत खर्च से तय होगी। जबकि शिकायतों पर बैंक ज्यादा डिस्क्लोजर देंगे खुद के पास आई शिकायतों पर। उन्हें बताना होगा कि साल के शुरू में अनसुलझी कितनी शिकायतें बची रहीं, कितनी नई शिकायत और कितनी शिकायतों का निपटारा किया, यह बताना होगा। वहीं, कितनी शिकायतें रिजेक्ट की गईं हैं और साल के आखिर में कितनी शिकायतें बची हुई हैं, ये भी बैंक बताएंगे।
वहीं, जहां तक ओम्बुड्समैन से आई शिकायतों की बात है तो बैंकों को साल के अंत में यह स्पष्ट करना होगा कि ओम्बुड्समैन से आई कितनी शिकायतें सुनवाई लायक रहीं, कितनी शिकायतों पर बैंक के पक्ष में ओम्बुड्समैन का फैसला आया, साल में कितनी शिकायतें सुलह समझौते से निपटाई गईं, कितनी शिकायतें जिनमें ओम्बुड्समैन का फैसला बैंक के खिलाफ आया और ऐसे मामले जिसमें ओम्बुड्समैन के आदेश का पालन नहीं किया गया, यह सब लेखा-जोखा बैंकों को प्रस्तुत करना होगा, जिसपर गम्भीरता पूर्वक विचार करके आरबीआई आगे की रणनीति तय करेगी।
# समझिए, किन-किन मामलों की शिकायतों पर लागू होंगे नए प्रावधान
एटीएम व डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट व मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग, खाते खोलने व बंद करने में दिक्कत, मिस सेलिंग व पैरा बैंकिंग, रिकवरी एजेंट व डायरेक्ट सेल्स एजेंट, सीनियर सिटीजन आदि के पेंशन, लोन और एडवांस, बिना नोटिस चार्ज व अधिक चार्ज व फोरक्लोज़र चार्ज, चेक व ड्राफ्ट व बिल, फेयर प्रैक्टिस कोड का पालन न करना, सिक्के बदलने व छोटे नोट सिक्के न लेने की शिकायत, बैंक गारंटी व लेटर ऑफ क्रेडिट, स्टाफ का व्यवहार, ब्रांच में सेवाएं व कामकाज के घंटे आदि, अन्य कोई भी शिकायत, किन चीज़ों से ज्यादा परेशान हैं बैंक ग्राहक, इन सभी बातों पर नए प्रावधान लागू होंगे, जिनके बारे में शिकायत की जा सकती है। जहां तक प्राप्त शिकायतों में हिस्सेदारी का सवाल है तो एटीएम व डेबिट कार्ड से जुड़ी 21.96 प्रतिशत, मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग से जुड़ी 13.38 प्रतिशत, फेयर प्रैक्टिस कोड का पालन से जुड़ी 11.73 प्रतिशत, क्रेडिट कार्ड से जुड़ी 9.30 प्रतिशत और वादा खिलाफी से जुड़ी 8.11 प्रतिशत शिकायतें मिलती हैं, जैसा कि आरबीआई के स्रोत से जाहिर है।
# देखिये, आरबीआई के पास ऐसे करें शिकायत
आरबीआई के पास शिकायत करने की सबसे आसान व्यवस्था है आरबीआई का सीएमएस, जिसका फूल फॉर्म है कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम। इसलिए आरबीआई की वेबसाइट पर जाकर सीएमएस खोजें। ये इस प्रकार है- https://www.rbi.org.in/Scripts/Complaints.aspx. यहां पर आप अपना ब्यौरा देकर शिकायत करें और जानिए कि किसके खिलाफ दें ये शिकायत। फिर सीएमएस से खुद ही शिकायत संबंधित संस्था को जाएगा। वहीं, बैंकिंग ओम्बुड्समैन के पास डाक से भी शिकायत संभव है। इसलिए यदि आपको कोई समस्या आ रही हो तो शिकायत अवश्य करें, ताकि दूसरों को भविष्य में उसका सामना नहीं करना पड़े।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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