'सनातन धर्म' के अनुयायियों की आस्था से बार-बार खिलवाड़ क्यों हो रहा है?
एक बेहद विचारणीय तथ्य यह भी है कि क्या देश-दुनिया में धर्म या मजहब का तानाबाना इतना कमजोर हो गया है कि अगर एक व्यक्ति उसके बारे में कुछ अपशब्द या अशोभनीय बात कहता है तो वह एकदम से खतरे में आ जाता है।
भारत में विभिन्न जाति, धर्म, मत, पंथ व अलग अलग विचारों को मानने वाले लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। वैसे हम लोगों ने बोलचाल, खानपान, पहनावा, वैचारिक व धार्मिक विविधता होने के बाद भी आपस में मिलजुल कर ही रहना सीखा है, लेकिन कुछ लोग हैं जो कि समय-समय पर हमारे इस भाईचारे को नुक़सान पहुंचाने का कार्य करते रहते हैं। वैसे हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि देश में निवास करने वाले सभी जाति, धर्म, मत व पंथ आदि के लोगों को भारत का संविधान बिना किसी भेदभाव के एक समान अधिकार देने का कार्य करता है। भारत का संविधान देश के प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण धार्मिक आजादी प्रदान करता है। सबसे अहम बात यह है कि देश में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ अल्पसंख्यकों को भी पूर्ण धार्मिक आजादी प्राप्त है। अगर निष्पक्ष रूप से मंथन किया जाए तो ऐसी धार्मिक स्वतंत्रता व समान अधिकारों वाली स्थिति विश्व के किसी भी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती है। वैसे तो दुनिया का हर धर्म हमें अनुशासन में रहकर अनुशासित जीवन जीना सिखाता है, लेकिन फिर भी देश में आये दिन धर्म की आड़ में अनुशासनहीनता जमकर होती है। चंद राजनेताओं व धर्म के तथाकथित चंद ठेकेदारों के चलते धर्म के नाम पर बवाल होना एक आम बात होती जा रही है। आज देश में धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने व बरगाला कर दंगा फसाद करवाना देश के चंद दुश्मनों की फितरत बन गया है, जिनको समय रहते हुए पहचान कर देश, समाज व धर्म के हित में कानून से सजा दिलवाना अब बेहद जरूरी हो गया है।
लेकिन देश में आज आम जनमानस के हित में एक बेहद विचारणीय तथ्य यह भी है कि क्या देश-दुनिया में धर्म या मजहब का तानाबाना इतना कमजोर हो गया है कि अगर एक व्यक्ति उसके बारे में कुछ अपशब्द या अशोभनीय बात कहता है तो वह एकदम से खतरे में आ जाता है। हालांकि इसका उत्तर प्रत्येक सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण से 'नहीं' में ही मिलेगा। लेकिन फिर भी जाति, धर्म व मजहब के नाम पर देश में अपनी दुकान चलाने वाले चंद लोग आम जनमानस को भड़का कर, देश में आये दिन दंगा फसाद करवा कर इंसान व इंसानियत का सरेआम कत्लेआम करवाने का बेहद जघन्य अपराध बेखौफ होकर करवाने का कार्य करते रहते हैं। इस तरह के हालातों को देख कर देश में नियम कायदे कानून पसंद देशभक्त लोगों को बहुत ज्यादा पीड़ा पहुंचती है।
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अभी कुछ दिनों पहले जब देश के कुछ बड़बोले राजनेताओं के द्वारा बेहद अशोभनीय टिप्पणी करके मजहब विशेष के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को जबरदस्त ढंग से ठेस पहुंचाने का निंदनीय कार्य किया गया था, तो इन बयानों पर देश के साथ-साथ विदेश में भी बेहद तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इस बेहद ज्वलंत मसले पर भारत के सिस्टम के द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने देने के इंतजार के बिना ही कतर, कुवैत व अन्य अरब देशों ने विश्व पटल पर जबरदस्त बवाल काटते हुए, देश के सिस्टम को दोषी बनाकर के मुजरिमों के कठघरे में खड़ा करने का दुस्साहस करने का प्रयास किया था। हालांकि यह भारत के अंदरूनी आपसी मामलों में किसी भी अन्य देश के द्वारा किये जाने वाला हस्तक्षेप के अपराध के साथ-साथ सरकारी तंत्र के कार्य में हस्तक्षेप करने का दुस्साहसिक प्रयास भी था। वैसे भारत सरकार हमेशा ही यह ध्यान रखती है कि वह देश के किसी भी प्रकार के अंदरूनी मसलों में किसी भी अन्य देश का हस्तक्षेप व दबाव स्वीकार नहीं करे, लेकिन उसके बावजूद भी कुछ देशों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को एक धर्म के विरोधी बताकर खराब करने का प्रयास किया गया था, जो सरासर ग़लत था। देश में भी इस मसले पर जगह-जगह जमकर हंगामा बरपाने का कार्य हुआ था।
लेकिन आज बहुत अफसोस की बात यह है कि अपने ही देश में ना जाने क्यों विश्व के सबसे प्राचीन धर्म 'सनातन धर्म' को बार-बार कुछ अधर्मी लोगों की ओछी राजनीति व ओछी मानसिकता का शिकार होना पड़ता है, वहीं ज्वलंत मुद्दों पर भी सिस्टम के बेहद उदासीन रवैए के चलते उसको भारी उपेक्षा से दो चार होना पड़ता है। आज देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत लंबे अरसे से 'सनातन धर्म' के आराध्य सर्वशक्तिमान ईश्वर व अन्य देवी-देवताओं का उपहास उड़ाना जिस तरह से एक फैशन बन गया है, वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में भगवान शिव की प्रिय नगरी काशी (बनारस) में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का मसला चला है, तब से चंद अधर्मी लोगों के द्वारा देश में हम सभी के आराध्य सर्वशक्तिमान भगवान शिव के बारे में आये दिन मीडिया, सोशल मीडिया, टीवी आदि पर व सार्वजनिक रूप से अशोभनीय टिप्पणी करके देश में एक अजीब-सा धार्मिक उन्माद का तनावपूर्ण माहौल बनाने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है।
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धरातल पर हालात यह हैं कि तब से ही कुछ लोगों के द्वारा सोशल मीडिया पर शिवलिंग के ऊपर विभिन्न प्रकार के बेहद अशोभनीय मीम बनाकर उन पर बेहद आपत्तिजनक एवं बेहूदे कमेंट्स करने का दुस्साहस किया जा रहा है। देश में इस प्रकार का दुस्साहस विश्व के सबसे प्राचीन धर्म 'सनातन धर्म' के करोड़ों शांतिप्रिय ढंग से रहने वाले अनुयायियों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का दुस्साहस व एक दंडनीय अपराध है। हालांकि इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी पर 'सनातन धर्म के शांतिप्रिय अनुशासित अनुयायी कभी भी किसी व्यक्ति से कुछ नहीं कहते हैं, वह अन्य लोगों की तरह सड़कों पर उतरकर कभी पत्थरबाजी व दंगा फसाद नहीं करते हैं, वह लोगों की जान नहीं लेते हैं, क्योंकि 'सनातन धर्म' के श्रेष्ठ सिद्धांत उन्हें आपस में मिलजुल कर प्यार से रहने की प्रेरणा देते हैं। लेकिन फिर भी बार-बार ना जाने क्यों 'सनातन धर्म' के अनुयायियों के अनुशासन व भोलेपन का चंद लोग ग़लत लाभ उठाते हैं और उनके धैर्य की बार-बार परीक्षा लेते हैं।
अभी हाल ही में 'सनातन धर्म' के लोगों की आराध्य मां काली के ऊपर भी एक फिल्म में बेहद आपत्तिजनक दृश्य दिखाया गया है, फिल्म निर्माता लीना मनिमेकलाई ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहले तो अपनी फिल्म का विवादित पोस्टर शेयर किया, अब भगवान शिव व पार्वती बने लोगों का विवादित फोटो शेयर करने का दुस्साहस किया है। हालांकि मां काली के उपहास के मसले पर उनके खिलाफ देश में विभिन्न जगहों पर एफआईआर तक दर्ज हो गयी हैं। हालांकि यह घटना 'सनातन धर्म' के बेहद शांतिप्रिय लोगों की भावनाओं से खेलने का दुस्साहस करने का आजकल एक बहुत बड़ा उदाहरण बन गयी है। हालांकि देश में जब से नुपुर शर्मा विवाद हुआ है, तब से ही 'सनातन धर्म' में अपनी आस्था व विश्वास रखने वाले अधिकांश लोगों के मन में एक बात बार-बार अवश्य आती है कि जब देश में धार्मिक भावनाओं और नियम कायदे व कानून के अनुसार ऐसा किसी भी अन्य धर्म, उसके धार्मिक प्रतीक चिह्नों के साथ किया जाना संभव नहीं है, तो हमारे देश का सिस्टम 'सनातन धर्म' के आराध्यों का उपहास करने वाले ऐसे अधर्मी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का कार्य क्यों नहीं कर पाता है।
वैसे देश में आजकल जिस तरह का धार्मिक कट्टरवाद का माहौल बन गया है, उस स्थिति में जरा-सी बात का बतंगड़ बनने में अब जरा भी देर नहीं लगती है, इसलिए सरकार को भी चाहिए की वह वोटबैंक को खुश रखने की नीति पर ना चलकर देश व समाज के हित को हर हाल में सुरक्षित रखने के लिए और भारतीय संविधान के सिद्धांतों की हर हाल में रक्षा करने के लिए अब भेदभावपूर्ण व एकतरफा धर्मनिरपेक्षता के फार्मूले का त्याग करके देश में पूर्ण ईमानदारी व धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर चलने का कार्य करे। अब विचारणीय तथ्य यह भी है कि जिस तरह से शांतिपूर्ण ढंग से रहने वाले 'सनातन धर्म' को मानने वाले लोग भी अब अपने देवी देवताओं के सम्मान में खड़े होने लगे हैं, उस स्थिति में सिस्टम को करोड़ों लोगों के सब्र का किसी भी हाल में बिल्कुल भी इम्तिहान नहीं लेना चाहिए, इस प्रकार की घटना घटित होने पर तत्काल ही भारतीय नियम कायदे व कानून के अनुसार कार्यवाही करके दोषियों को बिना किसी भेदभाव के सजा देकर के 'सनातन धर्म' के करोड़ों लोगों की भावनाओं का भी अन्य धर्म के लोगों की तरह ही सम्मान करना चाहिए।
-दीपक कुमार त्यागी
(वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक)
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