Jammu-Kashmir में सुरक्षा के लिए कई नई चुनौतियां उभरते देख Modi ने जो फैसला किया है उसका बड़ा असर होने वाला है

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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां शांति स्थापित हुई लेकिन उस शांति में खलल डालने के प्रयास जब तब होते रहते हैं इसलिए माना जा रहा है कि मोदी सरकार राज्य के हालात को संभालने के लिए जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है।

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से आतंक को बढ़ावा दिये जाने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक कर केंद्र शासित प्रदेश के सुरक्षा हालात की समीक्षा की और आतंक रोधी क्षमताओं के पूर्ण इस्तेमाल का निर्देश दिया है। इसके बाद माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के बंदोबस्त पहले की तरह दिखाई दे सकते हैं। इस बीच, कश्मीर में ‘लिक्विड आईईडी’ एक बड़े खतरे के रूप में सामने आता दिख रहा है जिससे सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ गयी है। सुरक्षा बल इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि आतंकवादियों को स्थानीय स्तर पर पनाह और अन्य प्रकार का समर्थन मिल जा रहा है। इसके अलावा एक अन्य दिक्कत यह है कि सुरक्षा बल यदि गांव वालों से पूछताछ कर रहे हैं या संदिग्धों को हिरासत में ले रहे हैं तो विपक्ष इसे लोगों को परेशान करने की कवायद बताकर इसका विरोध कर रहा है। जम्मू-कश्मीर में जल्द ही अमरनाथ यात्रा शुरू होनी है और अक्टूबर से पहले वहां राज्य विधानसभा के चुनाव भी कराये जाने हैं, ऐसे में सुरक्षा हालात को तत्काल दुरुस्त करना बेहद जरूरी हो गया है।

मोदी ने की सुरक्षा हालात की समीक्षा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां शांति स्थापित हुई लेकिन उस शांति में खलल डालने के प्रयास जब तब होते रहते हैं इसलिए माना जा रहा है कि मोदी सरकार राज्य के हालात को संभालने के लिए जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है। जहां तक प्रधानमंत्री की ओर से की गयी बैठक की बात है तो आपको बता दें कि तीर्थयात्रियों को लेकर जा रही एक बस पर हमले सहित जम्मू एवं कश्मीर में हाल के दिनों में हुई कई आतंकवादी घटनाओं के बाद गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की गयी और अधिकारियों को ‘आतंकवाद रोधी क्षमताओं का पूर्ण इस्तेमाल’ करने का निर्देश दिया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य अधिकारी मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की गई और सुरक्षा बलों की तैनाती और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर चर्चा की गई। मोदी ने जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की और केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति का जायजा लिया। उपराज्यपाल सिन्हा ने उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। बैठक में प्रधानमंत्री को क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी स्थिति और वहां चलाए जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों से अवगत कराया गया।

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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने चेताया

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने पाकिस्तान पर अपने भाड़े के सैनिकों के जरिये यहां का शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भारतीय सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। स्वैन ने "दुश्मन एजेंटों" को चेतावनी दी कि वे आतंकवाद का समर्थन करने के अपने फैसले पर पछताएंगे। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘उनके (ऐसे एजेंटों के) पास परिवार, जमीन और नौकरियां हैं, जबकि पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास खोने के लिए कुछ नहीं है।’’ डीजीपी ने रियासी जिले में संवाददाताओं से कहा, "(जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का) प्रारंभिक बिंदु सीमा पार है। विरोधी पक्ष का स्पष्ट इरादा यह है कि यदि वे कश्मीर में शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने के लिए स्थानीय लोगों को विध्वंसक गतिविधियों के लिए प्रेरित नहीं कर सकते, तो पाकिस्तानियों को वहां भेजकर उनकी भर्ती करें और उन्हें जबरन इस दिशा में धकेलें।’’ पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘‘दुश्मनों के एजेंट पैसे और नशीले पदार्थों के लिए ऐसा (विदेशी आतंकवादियों की मदद) कर रहे हैं। उनकी पहचान की जाएगी और उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि (विदेशी) आतंकवादी मारे जाएंगे... लेकिन जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, उन्हें पछताना पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि विदेशी आतंकवादियों के पास कोई नहीं है, चाहे उनके बच्चे हों या नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि वे जेलों से उठाकर किसे यहां भेज रहे हैं, लेकिन जो लोग उनका (आतंकवादियों का) यहां समर्थन कर रहे हैं, उनके पास यहां जमीन, बच्चे और नौकरियां हैं और उन्हें नुकसान उठाना होगा।’’ स्वैन ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के बीहड़ इलाकों का इस्तेमाल करना चाहता है ताकि वह विदेशी आतंकवादियों को जंगलों में भेजकर शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ सके। उन्होंने कहा, ‘‘यही सच है।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल शांति बनाए रखने और जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित और वचनबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा जवाब क्या होगा? हम छोटे नुकसान के लिए तैयार हैं, क्योंकि जब हम पर युद्ध थोपा जाता है और आतंकवादी हमें मारने या मरने के लिए हमारे सामने खड़े होते हैं, तो हम अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं और हमारा प्रयास मुंहतोड़ जवाब देना होता है। चूंकि उनके पास परवाह करने वाला कोई नहीं है, इसलिए नुकसान पहुंचाने की उनकी शक्ति अधिक प्रतीत होती है।" उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने 1995 में जम्मू क्षेत्र, खासकर डोडा और रामबन में अपने पैर पसारे, लेकिन 2005 तक यह पूरी तरह से खत्म हो गया। उन्होंने कहा, "अगर हम इसी तरह की चुनौती का सामना करते हैं, तो निश्चिंत रहें कि हम उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए उन्हें एक-एक करके मारने के लिए प्रतिबद्ध और वचनबद्ध हैं।"

लिक्विड आईईडी नई चुनौती

दूसरी ओर, कश्मीर में उभर रहे नये खतरे की बात करें तो आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के आंतकी परिदृश्य में तरल विस्फोटक 17 साल बाद फिर से वापसी करता दिख रहा है, क्योंकि हाल ही में पुलिस ने एक आतंकवादी ठिकाने पर छापेमारी में लिक्विड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ बरामद किया है। एक अधिकारी ने बताया कि इस ‘लिक्विड इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ का पता लगाना मुश्किल होता है और इसलिए इसे डिफिकल्ट टू डीकेटेक्ट (डी2डी) श्रेणी में रखा गया है। इस महीने की शुरुआत में पुलवामा में हुई मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी कमांडर रियाज डार उर्फ सथार और उसका साथी रईस डार मारा गया था। इसके बाद पुलिस ने आतंकवादियों के एक ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ (ओजीडब्ल्यू) को गिरफ्तार किया था। इसी ओजीडब्ल्यू से तरल आईईडी बरामद हुआ है। हम आपको बता दें कि रियाज डार 2014 में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था और उसने मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादियों अबू दुजाना और अबू इस्माइल के साथ काम किया था। वह कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। रियाज पर 10 लाख रुपये से अधिक का नकद इनाम घोषित था। वहीं, रईस डार पर पांच लाख रुपये का नकद इनाम घोषित था।

पुलिस ने मुठभेड़ के तुरंत बाद लश्कर आतंकवादियों के लिए काम करने वाले ओजीडब्ल्यू के खिलाफ कार्रवाई की और उनमें से चार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के दौरान एक ओजीडब्ल्यू ने बताया कि आतंकवादियों को पुलवामा के निहामा के रहने वाले बिलाल अहमद लोन, सज्जाद गनी और शाकिर बशीर ने पनाह और रसद प्रदान की थी। उन्होंने बताया कि इससे आतंकियों के ओजीडब्ल्यू नेटवर्क का खुलासा हुआ और इन तीनों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान ओजीडब्ल्यू ने पुलिस को बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों ने तरल आईईडी तैयार किया है। शाकिर बशीर ने उन्हें बागों में छिपा दिया था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और सेना की टीम ने इसे बरामद किया। सेना के विस्फोटक विशेषज्ञों ने प्लास्टिक कंटेनर में रखे छह किलोग्राम तरल आईईडी को नष्ट करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि इसे एक बड़े खतरे के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि ऐसे विस्फोटकों को ‘डी2डी’ श्रेणी में रखा जा सकता है।

हम आपको याद दिला दें कि दक्षिण कश्मीर में 2007 के दौरान आतंकवादी गुटों ने तरल विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था, लेकिन इसके बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दशक के दौरान ऐसा कुछ नहीं देखा गया। अधिकारियों ने कहा कि खुफिया जानकारी मिली है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह अब तरल विस्फोटकों का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरवरी, 2022 में जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी ड्रोन से फेंके हथियार और गोला-बारूद बरामद किये थे। बरामद किये गये विस्फोटकों में सफेद तरल की तीन बोतलें भी शामिल थीं। इन बोतलों को एक लीटर की बोतलों में पैक किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि फोरेंसिक जांच से पता चला है कि यह ट्राइनाइट्रो टॉलुईन (टीएनटी) या नाइट्रोग्लिसरीन हो सकता है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर डायनामाइट में किया जाता है, लेकिन इस संबंध में अभी अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है। अधिकारियों ने इस आशंका से इंकार नहीं किया कि इस तरह के विस्फोटक कश्मीर घाटी में पहुंचा दिये गये होंगे।

सुरक्षा को लेकर हो रही राजनीति

जहां तक जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात को लेकर हो रही राजनीति की बात है तो आपको बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के बाद लोगों की कथित गिरफ्तारी और परेशान करने को लेकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर बृहस्पतिवार को निशाना साधाते हुए कहा कि अगर सरकार आतंकवाद को खत्म करना चाहती है तो उसे स्थानीय लोगों को अपने साथ लेना होगा। अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ''यह अक्षम जम्मू-कश्मीर प्रशासन सिर्फ लोगों को गिरफ्तार करना, हिरासत में लेना और परेशान करना जानता है। वे बार-बार एक ही गलती करते हैं और फिर भी अलग नतीजे की उम्मीद करते हैं। आतंकवाद को खत्म करने के लिए आपको स्थानीय लोगों को अपने साथ मिलाने की ज़रूरत है, न कि अलग-थलग और नाराज़ करने की।”

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