आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान ने अपने दिखावटी लोकतंत्र को भी धमाका करके उड़ा दिया है

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पाकिस्तानी मीडिया की तमाम रिपोर्टें दर्शा रही हैं कि जनादेश को पलटने और जबरन नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद पर बैठाने का जो खेल चल रहा है उससे अवाम बिल्कुल खुश नहीं है। लोग कह रहे हैं कि जब सेना को ही प्रधानमंत्री का सलेक्शन करना था तो यह इलेक्शन क्यों करवाये गये?

अजब देश पाकिस्तान में इस समय गजब हो रहा है। पहले चुनाव टाले जाते रहे और अब चुनाव परिणाम टाले जा रहे हैं। चुनाव परिणामों को अचानक से पलट दिया जा रहा है। अंतिम चुनाव परिणामों की घोषणा में हो रही देरी के लिए कभी संचार सेवाओं में खराबी का बहाना बनाया जा रहा है तो कभी किसी और तकनीकी कारण का हवाला दिया जा रहा है। खास बात यह है कि सारी कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए कभी पाकिस्तान के राष्ट्रपति से बयान दिलवा कर लोगों को भरमाने का प्रयास किया जा रहा है तो कभी खुद सेनाध्यक्ष बयान जारी कर देश में चल रही चुनावी धांधली से लोगों का ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पब्लिक सब जानती है इसलिए वह सेना और नेताओं के बयानों से आश्वस्त होकर घर बैठने की बजाय सड़कों पर उतर कर हंगामा कर रही है।

पाकिस्तानी मीडिया की तमाम रिपोर्टें दर्शा रही हैं कि जनादेश को पलटने और जबरन नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद पर बैठाने का जो खेल चल रहा है उससे अवाम बिल्कुल खुश नहीं है। लोग कह रहे हैं कि जब सेना को ही प्रधानमंत्री का सलेक्शन करना था तो यह इलेक्शन क्यों करवाये गये? लोग सवाल कर रहे हैं कि जब जनादेश का कोई मतलब ही नहीं है तो पहले ही आर्थिक दुश्वारियां झेल रहे देश पर चुनावी खर्च के रूप में और आर्थिक बोझ क्यों बढ़ाया गया? पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टें तो यहां तक कह रही हैं कि सेना में भी कुछ लोग अब इमरान खान को ही दोबारा कमान सौंपने के पक्ष में हैं। इस तरह की भी रिपोर्टें सामने आ रही हैं कि विदेशों में भी जहां-जहां पाकिस्तानी रहते हैं वह वहां पर इमरान खान के समर्थन में रैलियां निकाल रहे हैं। पाकिस्तान में भी कोने-कोने में बच्चों से लेकर बूढ़े तक इमरान खान के पक्ष में नारेबाजी करते देखे जा सकते हैं।

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पाकिस्तान में इस वक्त जो सूरत ए हालात हैं वह दर्शा रहे हैं कि यदि सेना ने पब्लिक की ओर अनदेशी की तो देश को गृह युद्ध की ओर बढ़ने से रोकना मुश्किल हो जायेगा। पाकिस्तानी सेना को समझना होगा कि इस बार जनता ने किसी पार्टी के समर्थन में या किसी के विरोध में मत देने की बजाय सेना के विरोध में वोट डाला है इसलिए टीवी स्क्रीनों पर मतगणना के रुझानों और परिणामों को देख कर लोग नाराज हो रहे हैं और चुनाव अधिकारियों के खिलाफ भी जनता सड़कों पर नजर आ रही है। पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि हमने सुना था कि 1970 में जनादेश का चीरहरण हुआ था लेकिन अब देख भी लिया कि कैसे जनादेश को पलटा जाता है। जनता कह रही है कि सरकार चुनने का अधिकार उसका है और उसकी पसंद का सम्मान किया जाना चाहिए, उसके फैसले को पलटा नहीं जाना चाहिए। इस बीच, पाकिस्तान में चुनाव के नाम पर हुई धोखेबाजी अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में भी आ चुकी है। वहां के हालात को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ समेत तमाम देशों ने मांग की है कि चुनाव में अनियमितताओं और धोखाधड़ी के मामलों की जांच की जाये।

इस बीच, सभी प्रमुख पार्टियां अपनी अपनी जीत का दावा भी कर रही हैं। लेकिन एक चीज स्पष्ट हो चुकी है कि नवाज शरीफ को निर्बाध रूप से प्रधानमंत्री पद पर बैठाने की पाकिस्तानी सेना की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि पाकिस्तान में नेशनल असेंबली में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिखाई दे रहा है और देश त्रिशंकु असेंबली की ओर बढ़ रहा है। जाहिर है पाकिस्तान में अब जो भी सरकार बनेगी वह गठबंधन की बनेगी। गठबंधन के लिए नवाज शरीफ ने बिलावल भुट्टो और उनके पिता आसिफ अली जरदारी से संपर्क साधा है। दूसरी ओर इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने खुद को सबसे ज्यादा सीटें मिलने का दावा करते हुए कहा है कि वह किसी को समर्थन नहीं देगी बल्कि जो भी सरकार बनेगी उसका नेतृत्व वही करेगी। इमरान खान की पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं का आह्वान भी किया है कि जहां-जहां नतीजे घोषित नहीं किये जा रहे वहां के मतगणना केंद्रों के बाहर वह प्रदर्शन करें।

जनता से मिले समर्थन से गद्गद् इमरान खान ने जेल में बंद होने के बावजूद नवाज शरीफ पर निशाना साध दिया है। दरअसल पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एआई (कृत्रिम मेधा) की मदद से एक वीडियो संदेश भेजकर आम चुनाव में जीत का दावा किया है और अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी नवाज शरीफ को ‘‘मूर्ख’’ व्यक्ति करार दिया है। इमरान खान का संदेश उनकी पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किया। इमरान खान ने वीडियो संदेश में अपने समर्थकों को चुनाव के नतीजों को लेकर बधाई भी दी है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ ने घोषणा की है कि वह गठबंधन सरकार बनाने के लिए विचार-विमर्श शुरू कर रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के लाहौर स्थित केंद्रीय सचिवालय में पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने कहा है कि उनकी पार्टी जनादेश का सम्मान करती है। किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने के अपने रुख में बदलाव करते हुए नवाज शरीफ ने अब कहा है कि पाकिस्तान को मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठने और सरकार बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हम बार-बार चुनाव नहीं करा सकते।'' 

पाकिस्तान में रिपोर्टें हैं कि इस्लामाबाद में गठबंधन सरकार बनाने के लिए नवाज और जरदारी के प्रतिनिधियों ने वार्ता शुरू भी कर दी है और यह वार्ता सफल रहे और जल्द ही सरकार बन सके यह सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारी भी दबाव बनाये हुए हैं। देखना होगा कि पाकिस्तान में कब तक नई सरकार गठित होती है और उसका स्वरूप क्या होता है? फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि दुनिया भर में आतंक की फैक्ट्री के रूप में विख्यात पाकिस्तान ने अपने देश के दिखावटी लोकतंत्र को भी बम धमाके से उड़ा दिया है। खैर... इन सब हालातों के बीच पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करे। उसके समक्ष एक मुश्किल यह भी है कि अधिकांश जगहों पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद होने से जनता के गुस्से का शिकार उसे ही बनना पड़ रहा है।

-नीरज कुमार दुबे

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