लोकलाइजेशन में रोजगार की अपार संभावनाएं, ऐसे बनाए अपना भविष्य

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तमाम कंपनियां 'लैंग्वेज एक्सपर्ट' को तरजीह देती हैं और यह लैंग्वेज एक्पर्ट किसी कंपनी के लिहाज से कंटेंट लिखते हैं, उसकी प्रूफरीडिंग करते हैं और अंततः कस्टमर की इंगेजमेंट भी सुनिश्चित करते हैं। तमाम कंपनियां इसके लिए बड़ी एजेंसीज को हायर करती हैं।

जैसे-जैसे ग्लोबलाइजेशन का दौर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे लोकलाइजेशन भी जोर पकड़ता जा रहा है!

निश्चित तौर पर सुनने में यह दोनों शब्द कांट्रडिक्ट्री लगेंगे, किंतु वास्तव में दोनों एक दूसरे के पूरक ही हैं। इसको कुछ यूं समझिए कि अगर एक देश की कंपनी दूसरे देश में अपना बिजनेस करना चाहती है, तो 'कॉमन ग्लोबल लैंग्वेज' यानी अंग्रेजी में तो उसकी प्रजेंश रहेगी ही, किंतु अगर वह मॉस को अपील करना चाहती है तो उसे खुद का लोकलाइजेशन करना पड़ेगा। 

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मतलब, वहां की भाषा, वहां के कल्चर और वहां की एक-एक चीज को महसूस करना होगा, उसे अपनी कंपनी के प्रोडक्ट और सर्विसेज को उसी हिसाब से प्रेजेंट करना पड़ेगा, तभी उस ग्लोबल कंपनी को लोकल मार्केट में बड़ी सफलता मिल सकेगी।

थोड़ा और स्पष्ट करें तो आप ऐसे उदाहरण दे सकते हैं कि अगर भारत की कोई कंपनी चीन में सफलता हासिल करना चाहती है, तो उसे अंग्रेजी के अलावा चाइनीज लैंग्वेज और कल्चर को समझना होगा। ऐसा कई बड़ी कंपनियों ने किया भी है।

लेकिन कॅरियर के रूप में यह क्षेत्र वर्तमान में धीरे-धीरे संगठित होता जा रहा है और इसमें जॉब के बड़े अवसर भी तेजी से खुल रहे हैं। अगर आप जॉब सर्च वेबसाइट पर देखें तो आपको लोकलाइजेशन की कई ओपनिंग दिख जायेंगी। आप लिंक्डइन पर भी जॉब ढूंढिए तो आपको लोकलाइजेशन के अवसर मिल जाएंगे।

वस्तुतः स्थानीय भाषाओं में लोगों को कंटेंट जब मिलता है तो उससे उनका जुड़ाव बढ़ जाता है। निश्चित रूप से ऐसे में किसी कंपनी का प्रोडक्ट और उसका सर्विस इस मामले में ज्यादा लोगों तक पहुंच पाता है।

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इसके लिए तमाम कंपनियां 'लैंग्वेज एक्सपर्ट' को तरजीह देती हैं और यह लैंग्वेज एक्पर्ट किसी कंपनी के लिहाज से कंटेंट लिखते हैं, उसकी प्रूफरीडिंग करते हैं और अंततः कस्टमर की इंगेजमेंट भी सुनिश्चित करते हैं। तमाम कंपनियां इसके लिए बड़ी एजेंसीज को हायर करती हैं।

इस क्षेत्र में अंग्रेजी के साथ-साथ अगर कोई व्यक्ति लोकल लैंग्वेज पर पकड़ रखता है तो निश्चित रूप से उसकी मांग है। खास बात यह है कि इसमें सैलरी भी अन्य क्षेत्रों के मुकाबले 'बीस' ही है। 

इसके अंतर्गत आप ट्रांसलेटर बन सकते हैं, ओरिजिनल राइटर बन सकते हैं, रिव्यूअर बन सकते हैं और अंततः एक मोटी सैलरी कमा सकते हैं। 

मुख्य रूप से इसमें आपको दो भाषाओं, जिसमें सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज कहा जाता है, उस पर कमांड की आवश्यकता होती है।

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उसके लिए आपको स्पीड के साथ साथ क्वालिटी और सटीकता, यानी एक्यूरेसी के साथ कार्य करना होता है। ऐसा नहीं है कि इसमें अंग्रेजी जानने वाले लोगों को ही जॉब के अवसर हैं, बल्कि हिंदी के साथ-साथ दूसरी क्षेत्रीय भाषाएं जिसमें तमिल, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, बंगाली इत्यादि शामिल हैं, उन सभी में इसमें बड़े स्तर पर अवसर उभर रहे हैं।

अगर किसी भाषा का कंटेंट आप समझ पाते हैं तो इसके साथ साथ संबंधित भाषा का व्याकरण और वाक्य-विन्यास आप को समझने का प्रयत्न करना चाहिए और अगर आप पहले से जानते हैं, तब तो 'सोने पर सुहागा'। जितनी बेहतर आपकी राइटिंग होगी, उतना बेहतर पैकेज पैकेज मिलने के चांस होंगे।

सबसे बड़ी बात, इसमें अगर आप फुल टाइम जॉब नहीं भी करना चाहते हैं तो आपको फ्रीलांसर के रूप में घर बैठे बिठाए अवसर उपलब्ध हो जाता है और इसके लिए आप मुंह मांगी रकम ले सकते हैं। इसके लिए कंपनियां ना केवल आपसे अपने बारे में, बल्कि अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज के बारे में भी लिखवाती हैं। साथ ही ब्लॉग मेंटेन करने के लिए उनको नियमित रूप से योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। कई कंपनियां फुल टाइम लोकल लैंग्वेज एक्सपर्ट हायर करती हैं तो कई कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट बेस पर कार्य कराती हैं।

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निश्चित रूप से वर्तमान समय में यह एक आकर्षक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। न केवल टेक्स्ट कंटेंट में, बल्कि वीडियो कंटेंट से लेकर पॉडकास्ट तक इसकी धूम मची हुई है। जाहिर तौर पर लोकलाइजेशन में कैरियर बनाने वाले व्यक्तियों को उम्मीद से अधिक मिल सकता है, बशर्ते इस चीज को वह गहराई तक समझे और न केवल शब्दों के साथ खेले, बल्कि भाव को प्रवीणता से समझने का गुण भी उसे आना चाहिए।

- मिथिलेश कुमार सिंह

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