इमरान का नया वाला हो या शहबाज का पुराना, हमेशा तंगी में ही रहता है पाकिस्तान, फॉरेन करेंसी की किल्लत और बिजली सप्लाई ठप्प

Pakistan
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 19 2022 2:22PM

पाकिस्तान के घरों और कल-कारखानों को दी जाने वाली बिजली सप्लाई में कटौती की गई है। जिसकी वजह है विदेशी मुद्रा की तंगी। आलम ये है कि पाकिस्तान में इस वक्त विदेशों से कोयला या नैचुरल गैस खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है।

चाहे वह इमरान खान का 'नया पाकिस्तान' हो या शहबाज शरीफ का 'पुराना पाकिस्तान', इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान हमेशा पैसों की तंगी में रहती है। जब इमरान सत्ता में थे तो कर्ज का कटोरा लेकर विभिन्न देशों के दरवाजे पर दस्तक देना आम था। पाकिस्तान में सत्ता बदल गई लेकिन तंगहाली का आलम वहीं का वहीं है। पाकिस्तान में भी अब श्रीलंका की तरह बिजली संकट गहराता जा रहा है। पाकिस्तान के घरों और कल-कारखानों को दी जाने वाली बिजली सप्लाई में कटौती की गई है। जिसकी वजह है विदेशी मुद्रा की तंगी। आलम ये है कि पाकिस्तान में इस वक्त विदेशों से कोयला या नैचुरल गैस खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है। जिसके चलते उसके कई पावर प्लांट में बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है।

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तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और कोयले की कीमतों में पिछले महीने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।  यूक्रेन में संघर्ष की वजह से दक्षिण एशियाई देश को बाजार में ईंधन प्राप्त करने में कठिनाई हो रही। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार फरवरी के महीने में नौ महीनों में पाकिस्तान की ऊर्जा की कीमतें एक साल पहले की तुलना में दोगुनी से अधिक $15 बिलियन हो गईं और देश नए आयात पर अधिक खर्च नहीं कर सकता। पाकिस्तान के नवनियुक्क वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल के एक ट्वीट के अनुसार13 अप्रैल तक ईंधन की कमी के कारण लगभग 3,500 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले संयंत्र बंद कर दिए गए थे। उनके अनुसार तकनीकी मुद्दों के कारण इतनी ही क्षमता के संयंत्र ऑफलाइन है। एक विशेषज्ञ के अनुसार, 7,000 मेगावाट से देश की कुल उत्पादन क्षमता का लगभग 25 फीसदी है।

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स्थानीय मीडिया के अनुसार ईंधन की कमी और तकनीकी कठिनाइयों के कारण पाकिस्तान 15,500 मेगावाट के उत्पादन और 21,500 मेगावाट की मांग के मुकाबले 6,000 मेगावाट (मेगावाट) बिजली की कमी का सामना कर रहा है।  मंत्रालय के अनुसार, 33,000 मेगावाट की कुल क्षमता में से जल विद्युत संयंत्रों ने 1,000 मेगावाट का उत्पादन किया गया। जबकि निजी क्षेत्र के बिजली संयंत्रों ने 12,000 मेगावाट का उत्पादन किया और थर्मल पावर प्लांटों ने 2,500 मेगावाट का उत्पादन किया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 10 अरब रुपये का दैनिक नुकसान हुआ। 

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