GST के सात वर्ष पूरे, वित्त मंत्रालय ने कहा- हर घर को मिली है राहत

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जीएसटी जिसमें लगभग 17 स्थानीय कर और उपकर सम्मिलित थे। इसे मौजूदा केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। वहीं 7वें जीएसटी दिवस का विषय सशक्त व्यापार समग्र विकास रखा गया है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में लागू हुए सात वर्ष पूरे हो गए है। ये जानकारी वित्त मंत्रालय ने सोमवार को दी है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि जीएसटी के क्रियान्वयन के सात वर्ष पूरे हो गए है। इससे घरेलू उपकरणों और मोबाइल फोन पर कर कम करके हर घर में खुशी और राहत लाई है। 

गौरतलब है कि जीएसटी जिसमें लगभग 17 स्थानीय कर और उपकर सम्मिलित थे। इसे मौजूदा केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। वहीं 7वें जीएसटी दिवस का विषय सशक्त व्यापार समग्र विकास रखा गया है।

मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "जीएसटी कार्यान्वयन के बाद घरेलू सामानों पर कर की दरें कम होने के साथ, #7yearsofGST ने घरेलू उपकरणों और मोबाइल फोन पर कम जीएसटी के माध्यम से हर घर में खुशी और राहत लाई है।" जीएसटी करदाता आधार अप्रैल 2018 के 1.05 करोड़ से बढ़कर अप्रैल 2024 में 1.46 करोड़ हो गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, "हमने करदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी है और अनुपालन में भी सुधार हुआ है।"

घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी से पहले और बाद की कर दरों का तुलनात्मक चार्ट देते हुए मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी के लागू होने से जीवनयापन में आसानी हुई है और हर परिवार को खाद्य वस्तुओं और आम उपभोग की वस्तुओं पर होने वाले खर्च में बचत हुई है। बिना पैकेट वाले गेहूं, चावल, दही और लस्सी जैसी खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लागू होने से पहले 2.5-4 प्रतिशत की दर से कर लगता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह दर शून्य हो गई है।

सौंदर्य प्रसाधन, कलाई घड़ियां, सैनिटरी प्लास्टिक के बर्तन, दरवाजे और खिड़कियां, फर्नीचर और गद्दे जैसी घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी व्यवस्था में 18 प्रतिशत की कम दर से कर लगाया जाता है, जो पूर्ववर्ती उत्पाद शुल्क और वैट व्यवस्था में 28 प्रतिशत की दर से कम है। मंत्रालय ने कहा कि मोबाइल फोन, 32 इंच तक के टीवी, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, विद्युत उपकरण (एयर कंडीशनर के अलावा), गीजर और पंखे, जिन पर जीएसटी से पहले 31.3 प्रतिशत कर लगता था, अब जीएसटी व्यवस्था में 18 प्रतिशत कर स्लैब में हैं।

इसमें आगे कहा गया है कि छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन बोझ कम कर दिया गया है, और जीएसटी परिषद ने वित्त वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ रुपये तक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता को माफ करने की सिफारिश की है। मंत्रालय ने कहा कि तिमाही रिटर्न दाखिल करने और करों के मासिक भुगतान (क्यूआरएमपी) योजना ने एक वर्ष में दाखिल रिटर्न की संख्या 24 से घटाकर 8 कर दी है, 44 लाख से अधिक छोटे करदाताओं के लिए, आईएफएफ (चालान प्रस्तुत करने की सुविधा) ने आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के निर्बाध पारित होने को सुनिश्चित किया है।

फर्जी आईटीसी बनाना अब भी चुनौती 

जीएसटी ने अनुपालन को सरल बनाया है, कर-क्षमता में सुधार किया है और राज्यों के राजस्व में वृद्धि की है, लेकिन कर चोरी पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे नीति निर्माताओं के लिए फर्जी चालान और धोखाधड़ीपूर्ण पंजीकरण एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। वर्ष 2023 में जीएसटी खुफिया निदेशालय (डीजीजीआई) ने 1.98 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता लगाया और सरकारी खजाने को चूना लगाने में शामिल 140 मास्टरमाइंडों को गिरफ्तार किया।

ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो, बीमा और सेकेंडमेंट (मानवशक्ति सेवाओं का आयात) जैसे विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जीएसटी चोरी का पता चला। जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना से उद्योग के लिए विवाद समाधान प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने की उम्मीद है। हालाँकि, जीएसटीएटी की मुख्य पीठ और राज्य पीठों का संचालन अभी तक नहीं हुआ है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के अध्यक्ष रंजीत कुमार अग्रवाल ने कहा, "विभिन्न सरकारी विभागों के 6,800 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देने सहित क्षमता निर्माण में हमारे प्रयास एक कुशल और पारदर्शी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।"

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