ग्लोबल कंपनियों को उम्मीद, पीएम की अपील के बाद भी लोकल सेल्स पर नहीं पड़ेगा असर
बाजार विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स के मामले में स्वदेशी बनाम वैश्विक की पिक्चर कभी बन ही नहीं सकती है। कुछ का कहना तो यह भी है कि अधिकतर ग्लोबल कंपनियां पिछले 50 वर्षों से भारत में अपने उत्पादन बना रही है।
कोरोना वायरस संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से स्वदेशी अपनाने की भी अपील की। प्रधानमंत्री के इस अपील के बाद इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि क्या भारत में अब सिर्फ देसी कंपनियों का ही बोलबाला रहेगा। सोशल मीडिया पर भी लोग एक दूसरे को देसी कंपनियों के ही सामान खरीदने की अपील कर रहे हैं। इस बीच स्मार्टफोन, कंज्यूमर गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान बनाने वाली वैश्विक कंपनियों ने भरोसा जताया है कि भारत में उनके कस्टमर बरकरार रहेंगे।
कुछ ग्लोबल कंपनियों ने कहा कि उनका कारोबार इस अपील के कारण घटने वाला नहीं है क्योंकि भारतीय उपभोक्ता स्थानीय पर ग्लोबल ब्रांड को ज्यादा महत्व देते हैं। उनके आत्मविश्वास से इस बात का अंदाजा तो जरूर लगाया जा सकता है जो आने वाले दिनों में भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तौर-तरीके भी अपना सकते है। इन कंपनियों ने कहा कि भारत में अधिकतर श्रेणियों में ग्लोबल ब्रांड का ही दबदबा है और उनके कुछ ही स्थानीय विकल्प भी है। इन कंपनियों ने प्रधानमंत्री के संबोधन को मेक इन इंडिया से जोड़ते हुए इसकी व्याख्या की। फिलहाल कई विदेशी कंपनियों ने भारत में अपने कारखाने लगा दिए हैं और वे यहां से ही कच्चा माल खरीदते है।
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कुछ कंपनियों का कहना कहना है कि उनके मोबाइल फोन, टीवी, टूथपेस्ट और साबुन से लेकर कपड़ों तक के कंजूमर कैंपेन में ग्लोबल ब्रांड की झलक बनी रहेगी। इसके अलावा आईफोन और मैक कंप्यूटर बनाने वाली एप्पल अपने दो मॉडलों आईफोन 7 और एक्सआर की असेंबलिंग भारत में ही करती है। यूनिलीवर, कोलगेट, प्रॉक्टर एंड गैंबल, नेस्ले, मैकडॉनल्ड, सोनी, एलजी, सैमसंग, शाओमी उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से है जो 90 से 100% तक का प्रोडक्ट भारत में ही बनाते हैं। इन सब के साथ ही परिधान क्षेत्र के भी कुछ ग्लोबल कंपनियां भारत में अपने प्रॉडक्ट को लगातार बढ़ा रहे हैं। इनमें टॉमी हिलफिगर, जैक एंड जॉन्स, लिवाइस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल है।
बाजार विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स के मामले में स्वदेशी बनाम वैश्विक की पिक्चर कभी बन ही नहीं सकती है। कुछ का कहना तो यह भी है कि अधिकतर ग्लोबल कंपनियां पिछले 50 वर्षों से भारत में अपने उत्पादन बना रही है। ऐसे में उनके ब्रांड पर बेहद ही मामूली असर पड़ेगा। वहीं, सोनी, सेमसंग, एलजी यह दावा कर रहे हैं कि पीएम का संबोधन मेक इन इंडिया और भारत के आत्मनिर्भर बनने पर जोर देने को लेकर था, ना कि विदेशी कंपनियों को यहां समेटने पर था। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आह्वान का मतलब यह कतई नहीं है कि हम दुनिया से अपने आप को काट लेंगे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के अभियान का यह अर्थ नहीं है कि भारत अपनी ‘ अर्थव्यवस्था को पृथक रखने वाला देश’ बन जाएगा।
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