तापसी से लेकर कंगना, यह है नारीवाद का डंका बजाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्रियां
तापसी पन्नू की, एक मुखर feminist, तापसी पन्नू उन फिल्मों का चयन करती है जो ज्यादातर महिलाओं पर केंद्रित हैं। उनकी हालिया फिल्मों में से एक, थाप्पड ने विवाह में महिलाओं के सम्मान के बारे में दर्शकों को बताया।
भारत में भी अब महिलाएं अपने अधिरकारों के लिए लड़ रही है और लड़े भी क्यों न, उन्हें अपने अधिकारों के बारे में मुखर होना बहुत जरूरी है। ऐसे में सेलिब्रिटीज पहले से कहीं ज्यादा महिलाओं के अधिकारों के लिए बोलते नज़र आए हैं। एक ऐसे देश में जहां फिल्म स्टार अक्सर राजनीतिक नेताओं से अधिक प्रभावशाली होते हैं, वहीं अभिनेत्रियों का एक झुंड महिलाओं के अधिकारों के लिए हमेशा ही आगे रहता है। इनमें से कुछ को आप अच्छे से जानते भी हैं जिन्होंने या तो अपने फिल्मों के जरिए महिलाओं के अधिकार के लिए आवाजा उठाई है या तो खुद मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखी है। आज हम बात कर रहे हैं ऐसी ही कुछ सेलिब्रिटिज के बारें में जिन्होंने अपने एक्टिंग और अपनी फिल्मों के जरिए फेमिनिज़म का extreme promotion किया है। यह सेलिब्रिटिज है तापसी पन्नू, कंगना, पार्वती थिरुवोथु, ऋचा चड्ढा, स्वरा भास्कर, शबाना आजमी, और नंदिता दास।
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तापसी पन्नू
तापसी पन्नू हमेशा से ही एक मुखर feminist रही है। वह उन ही फिल्मों का चयन करती है जो ज्यादातर महिलाओं पर केंद्रित होती हैं। उनकी हालिया फिल्मों में से एक, थाप्पड ने विवाह में महिलाओं के सम्मान के बारे में दर्शकों को बताया।
कंगना रनौत
कंगना रनौत का बॉलीवुड में सफर आसान नहीं रहा।लेफ्ट विचाराधाराओं से विपरित एक परिभाषा नारीवाद की कंगना भी देती है जो राम का नाम भी लेती है और झांसी की रानी और क्वीन दिद्दा की बहादुरी पर फिल्म भी बनाती हैं। कंगना नारी शक्ति पर विश्वात करती हैं। वह नारी को कमजोर नहीं बल्कि सबसे मजबूत मानती हैं। इसलिए एक तरह से देखा जाए तो उन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर अपने दम पर तय किया है और अभी भी वह एक मजबूत महिला की मिसाल है।
पार्वती थिरुवोथु
दक्षिण भारतीय अभिनेत्री पार्वती थिरुवोथु की आप कोई भी मूवी उठा कर देख लेजिए उनकी ज्यादतर मूवी में आप उन्हें फेमिनिज़म और महिलाओं के अधिकार को प्रमोट करते देख ही लेंगे। आपको बता दें कि 32 वर्षीय अभिनेत्री को उन फिल्मों को अस्वीकार करने के लिए जाना जाता है जो पितृसत्ता या कुप्रथा का प्रचार करती हैं। यहां तक कि उन्होंने फिल्म में महिलाओं से घृणा करने वाले डायलॉग को लेकर एक मलयालम सुपरस्टार के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करा दिया था जिसके बाद लयालम सुपरस्टार के फैंस से अभिनेत्री को बलात्कार और मौत की धमकी मिली।
ऋचा चड्ढा
अपने unconventional रोल के लिए प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने कहा है कि एक सच्ची नारीवाद लहर तभी आएगी जब फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए अच्छी भूमिकाएँ लिखी जाएंगी। ऋचा ने आगे कहा कि "यह वास्तव में आश्चर्यजनक होगा यदि महिलाओं के लिए बेहतर हिस्से लिखे जाते हैं और महिलाओं के साथ बेहतर फिल्में बनाई जाती हैं, और वे फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पैसा कमाती हैं। तब हम वास्तव में कह सकते हैं कि नारीवाद आ गया है,”।
स्वरा भास्कर
बात करें अभिनेत्री और कार्यकर्ता स्वरा भास्कर की तो वह सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ अपने मुखर विचारों के कारण दक्षिणपंथियों का नियमित निशाना रही हैं। सच्चे नारीवाद को लेकर स्वारा मानती है कि “यह धारणा कि नारीवाद महिलाओं के लिए पुरुषों की तुलना में अधिक अधिकार प्राप्त करने के लिए एक आंदोलन है, तो वास्तव में यह एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण गलतफहमी है। मैं इसे एक शांतिपूर्ण आंदोलन के रूप में देखती हूं जिसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा, न ही कोई हिंसा की। इसलिए इसे किसी भी कारण से खराब नहीं किया जाना चाहिए।
शबाना आज़मी
खुद को नारीवादी कहने वाली दिग्गज अदाकारा शबाना आज़मी का दावा है कि आज महिलाओं को नारीवाद की बहुत थोड़ी समझ है। शबाना के अंदर लैंगिक समानता का जुनून उनके माता-पिता से आया था।, लेकिन जब उन्होंने वास्तव में नारीवाद को समझा तब उन्हें एहसास हुआ कि “पुरुष और महिलाएं अलग-अलग हैं और इस अंतर का सम्मान किया जाना आवश्यक है। महिलाओं को निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में रखा जाना चाहिए; उसके बाद ही कोई परिवर्तन हो सकता है।
नंदिता दास
नंदिता दास की तो वह एक ऐसी फिल्म निर्माता और अभिनेत्री हैं, जो विभिन्न महिलाओं के मुद्दों के बारे में मुखर रही हैं, और डार्क इज ब्यूटीफुल ’अभियान का हिस्सा भी रही है। उन्होंने हाल ही में घरेलू हिंसा पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई है। वह मानती हैं कि हर किसी को एक नारीवादी होना चाहिए और ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने का एक तरीका नारीवाद है।
feminist होना गलत नहीं है बस इसकी परिभाषा को समझना जरूरी है क्योंकि अकसर लोग नारीवाद को बिना ढंग से पढ़े और समझे अपनी बात को साबित करने में लग जाते है जो कि काफी गलत है। असली नारीवाद का मतलब केवल महिलाओं के अधिकार की बात करना नहीं है बल्कि ऐसा सिद्धांत है जो कहता है कि स्त्री और पुरुष को समान अधिकार दिया जाए। हमें पहले से ज्यादा नारीवाद की जरूरत है, और ये वे महिलाएं हैं जो हमें रास्ता दिखा रही हैं।
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