Sharda Sinha Life Story | बिहार की 'कोकिला' Sharda Sinha वेंटिलेटर पर लड़ रही हैं जिंदगी और मौत की जंग, जानें सिंगर कैसे बन गयी छठ पर्व का पर्याय!

Sharda Sinha
Instagram Sharda Sinha
रेनू तिवारी । Nov 5 2024 11:44AM

शारदा सिन्हा के बेटे ने अपनी माँ के स्वास्थ्य संबंधी अपडेट साझा करने के लिए अपने आधिकारिक YouTube चैनल का सहारा लिया और सभी से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करने का आग्रह किया।

शारदा सिन्हा को अक्सर “बिहार की आवाज़” कहा जाता है। मैथिली, भोजपुरी और मगही में अपने खूबसूरत गीतों के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा ने लाखों लोगों का दिल जीता है। खासकर छठ जैसे त्योहारों और भारतीय शादियों के दौरान बिहार कोकिला शारदा सिन्हा की आवाज गूंजती है। संगीत के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण सहित कई पुरस्कार दिलाए हैं। आइए उनके जीवन, परिवार, करियर और उनके हालिया स्वास्थ्य अपडेट के बारे में जानें।

‘बस प्रार्थना करें कि वह इससे बाहर आ सकें’

शारदा सिन्हा के बेटे ने अपनी माँ के स्वास्थ्य संबंधी अपडेट साझा करने के लिए अपने आधिकारिक YouTube चैनल का सहारा लिया और सभी से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करने का आग्रह किया। अंशुमान ने कहा कि ‘बिहार कोकिला’ ने देश और राज्य के लिए बहुत लंबे समय तक योगदान दिया है, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शारदा सिन्हा को “अधिक समय” मिला। अंशुमान सिन्हा ने कहा इस बार यह सच्ची खबर है। माँ वेंटिलेटर पर हैं। मैंने अभी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रार्थना करते रहें। माँ ने बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है। यह मुश्किल है, बहुत मुश्किल है। इस बार यह बहुत मुश्किल है। बस प्रार्थना करें कि वह इससे बाहर आ सकें। यह असली अपडेट है। मैं अभी उनसे मिला हूँ। छठी माँ आशीर्वाद दें। अभी जब मैं डॉक्टरों से मिला, तो उन्होंने कहा कि मामला अचानक बिगड़ गया है। अभी हर कोई कोशिश कर रहा है।

इसे भी पढ़ें: Bhool Bhulaiyaa 3 Review: रूह बाबा-मंजुलिका की गाथा मनोरंजन, हॉरर, कॉमेडी और ट्विस्ट से भरपूर है

पीएम मोदी ने दिया सहयोग का आश्वासन

एएनआई से बातचीत में अंशुमान ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें उनकी मां के इलाज के लिए सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया है। लोक गायिका के स्वास्थ्य में गिरावट ने उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों के बीच व्यापक चिंता पैदा कर दी है।

शरद सिन्हा कौन हैं?

बिहार के पारंपरिक लोक संगीत और अपने प्रतिष्ठित छठ गीत में अपने योगदान के लिए जानी जाने वाली शारदा को इस क्षेत्र की सांस्कृतिक राजदूत माना जाता है। 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के हुलास जिले में जन्मी शारदा सिन्हा ने बिहार के लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भोजपुरी, मैथिली और मगधी संगीत में अपने योगदान के लिए मशहूर शारदा सिन्हा के 'विवाह गीत' और 'छठ गीत' ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है, जिससे उन्हें अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ाव का एहसास हुआ है। 

इसे भी पढ़ें: ऐश्वर्या राय के माथे पर लगा है ये बड़ा कलंक, एक्ट्रेस को कलंकित करने में पति अभिषेक बच्चन ने भी दिया था पूरा साथ, ये मामले दोनों के करियर से जुड़ा हैं!

पिछले कुछ वर्षों में उनकी आवाज़ छठ त्योहार का पर्याय बन गई है, जिसे बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। उनका शानदार करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अपने काम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की। ​​हम आपके हैं कौन के बबूल जैसे उनके प्रसिद्ध गीतों ने उन्हें न केवल प्रसिद्धि दिलाई, बल्कि आलोचकों की प्रशंसा भी मिली। उन्होंने पारंपरिक मैथिली लोकगीतों से शुरुआत की और जल्द ही पूरे बिहार और उसके बाहर लोकप्रियता हासिल कर ली। उनके संगीत को मैथिली, भोजपुरी, मगही और हिंदी जैसी भाषाओं में गाया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक त्योहारों और परंपराओं का जश्न मनाने वाले गाने शामिल हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़