Mysterious Temple: कल्याणेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में समेटे है कई रहस्य, शिवलिंग पर अर्पित जल हो जाता है गायब

Kalyaneshwar Mahadev Temple
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दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर गढ़मुक्तेश्वर में मौजूद कल्याणेश्वर महादेव अपने आप में कई रहस्यों को समेटे है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। कहते हैं कि यहां पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से जल गायब हो जाता है।

दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर गढ़मुक्तेश्वर में पांच मंदिर स्थित हैं। इन पांच मंदिरों में सबसे पुराना कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर के रहस्य और चमत्कार को आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है। बताया जाता है कि भोलेनाथ का यह मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं। इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यदि कोई यहां के शिवलिंग पर जल अर्पित करता है। तो वह जल शिवलिंग पर बहता नहीं बल्कि गायब हो जाता है। यह पानी कहां गायब हो जाता है। आज तक इस रहस्य को कई भी नहीं जान पाया है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस मंदिर के इतिहास और रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे पढ़कर आप भी दंग रह जाएंगे।

सबसे पुराना मंदिर

दिल्ली से 90 किलोमीटर दूर गढ़मुक्तेश्वर में यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल का एक राजा नहूस था। बताया जाता है कि उस राजा ने इस मंदिर के शिवलिंग पर लाखों घड़े जल अर्पित किया था। लेकिन इसके बाद भी वह राजा यह नहीं जान पाया कि आखिर शिवलिंग पर अर्पित किया गया जल कहां गायब हो जाता है। कहते हैं कि जब राजा ने शिवलिंग की परीक्षा लेने के लिए उस पर लाखों घड़े पानी अर्पित किया तो इस परीक्षा के कारण उसे श्राप लग गया था। उस श्राप के कारण राजा नहूस की पूरी जिंदगी तबाह हो गई थी। 

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बताया जाता है कि गढ़मुक्तेश्वर में गंगा के तट पर भगवान परशुराम द्वारा तीन शिवलिंगों को स्थापित किया गया था। इनमें से भगवान परशुराम ने एक मुक्तेश्वर महादेव, झारखंडेश्वर महादेव और कल्याणेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित किया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि शिवाजी महाराज ने इस मंदिर को बनवाया था। इस मंदिर का एक रहस्य यह भी है कि कल्याणेश्वर महादेव का कल्याणपुर गांव पर वरदान है। कहते हैं कि इस गांव के लोगों को सांप कभी नहीं काट सकता। वहीं यदि किसी व्य़क्ति को सांप काट लेता है, तो उस पर कोई असर नहीं होता है। 

सुरंग का रहस्य

बता दें कि कल्याणेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ गृह में एक सुरंग आज भी मौजूद है। लेकिन जब भी किसी ने उस सुरंग को खोदने का प्रयास किया तो या तो वह व्यक्ति गायब हो जाता है, या फिर अंधा हो जाता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर की सुरंग में खजाना मौजूद है, जिसकी रखवाली दो बड़े-बड़े नाग करते हैं। बताया जाता है कि कई लोगों को इस स्थान पर तांबे और चांदी के सिक्के भी मिले हैं।

जल गायब होने का रहस्य

दरअसल, जब भी कल्याणेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर कोई भी श्रद्धालु दूध या जल अर्पित करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे दूध और पानी भूमि में समा जाता है। यह पानी और दूध कहां जाता है, यह आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है। कई लोगों ने इस रहस्य के बारे में जानने का प्रयास किया, लेकिन इस राज से भी पर्दा नहीं उठ सका। 

जानिए क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सैकड़ों साल पहले प्रसिद्ध राजा नल ने यहां शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। लेकिन राजा के देखते ही देखते वह जल भूमि में समा गया। इस चमत्कार को देखकर वह हैरान रह गए। इसके बाद राजा नल ने इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए बैलगाड़ी से हजारों घड़े गंगाजल ढुलवाकर शिवलिंग पर चढ़ाया। लेकिन हजारों घड़े जल भी भूमि में समा गया। जब राजा नल इस इस रहस्य के बारे में नहीं पता लगा सके तो उन्होंने महादेव से क्षमा मांगी और वापस अपने देश लौट गए। बताया जाता है कि यहां पर तीन महीने तक मराठा छत्रपति शिवाजी ने भी रुद्रयज्ञ किया था।

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