दक्षिण भारत में स्थित हैं यह खूबसूरत कृष्ण मंदिर
केरल के गुरुवायूर में स्थित यह मंदिर भारत के पूजनीय कृष्ण मंदिरों में से एक है। मंदिर में शंख, चक्र, गदा और कमल के साथ चार भुजाओं वाले भगवान कृष्ण हैं। गुरुवायूर को दक्षिण भारत का द्वारका माना जाता है।
भगवान कृष्ण पूरे देश में पूजनीय हैं और देशभर में लोगों ने अपनी आस्था के प्रतीक श्रीकृष्णा के लिए कई मंदिर बनवाए हैं। यूं तो हर राज्य में भगवान कृष्ण के कई मंदिर स्थित हैं, लेकिन दक्षिण भारत में कृष्ण मंदिरों की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है। दक्षिण भारत के कुछ कृष्ण मंदिर हैं जहां भगवान कृष्ण के भक्त और समर्पित अनुयायी दर्शन हेतु आते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही कृष्ण मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो दक्षिण भारत में स्थित हैं-
गुरुवायूर श्री कृष्ण मंदिर
केरल के गुरुवायूर में स्थित यह मंदिर भारत के पूजनीय कृष्ण मंदिरों में से एक है। मंदिर में शंख, चक्र, गदा और कमल के साथ चार भुजाओं वाले भगवान कृष्ण हैं। गुरुवायूर को दक्षिण भारत का द्वारका माना जाता है। यहां की मूर्ति का निर्माण पातालंजना पत्थर से किया गया है जो मंदिर को अद्वितीय बनाता है।
इस्कॉन मंदिर
यह कृष्ण मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है और दक्षिण भारत पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस्कॉन मंदिर पूरी दुनिया में मौजूद हैं और दक्षिण भारत में आप चेन्नई और बैंगलोर में इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इस्कॉन मंदिरों में अद्भुत स्थापत्य वैभव देखा जाता है जो कृष्ण भक्तों के साथ-साथ दुनिया के कोने-कोने से आने वाले यात्रियों को भी आकर्षित करता है।
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उडिपी श्रीकृष्णा मंदिर
यह दक्षिण भारत के लोकप्रिय कृष्ण मंदिरों में से एक है। माधवाचार्य को इस मंदिर का संस्थापक माना जाता है। उडिपी में कृष्ण मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में वैष्णव संत जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने की थी।
वर्कला जनार्दन स्वामी मंदिर
दक्षिण भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक, 2000 साल पुराना एक कृष्ण मंदिर, वर्कला में स्थित है। मंदिर को एक महत्वपूर्ण आयुर्वेद केंद्र के रूप में भी देखा जाता है। यह एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है और देशभर से लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।
मैसूर वेणुगोपालस्वामी मंदिर
यह प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर कर्नाटक के मैसूर में है और कृष्णराज सागर बांध के बगल में स्थित है। भगवान कृष्ण के इस मंदिर में वेणुगोपालस्वामी की मुख्य मूर्ति थी जहां मूर्ति को बांसुरी बजाते हुए देखा गया था। लेकिन बाद में यह मंदिर जलमग्न हो गया। जिसके बाद इसका पुनर्वास किया गया। यह मंदिर 12 वीं शताब्दी ईस्वी में मैसूर जिले के सोमनाथपुरा में चेन्नाकेशव मंदिर के समान ही बनाया गया था।
- मिताली जैन
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