नवरात्र में देवी के नौ स्वरूपों को लगाएं यह पसंदीदा भोग

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हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा धरती पर आती हैं इसलिए धरतीवासी उनकी स्वागत में विभिन्न प्रकार की तैयारियां करते हैं। धरती को देवी का मायके कहा जाता है। जिस तरह मायके में आई बेटी का घर वाले सत्कार करते हैं वैसे ही देवी की विभिन्न प्रकार के प्रसाद तथा श्रृंगार की वस्तुओं से स्वागत किया जाता है।

नवरात्र शुरू हो गया है! घरों में लोग तरह-तरह से नवरात्र मनाया जा रहा है। भक्तगण देवी को प्रसन्न करने के लिए विविध रूप में आराधना कर रहें हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नौ देवियों को भोग में विभिन्न प्रकार के प्रसाद पसंद हैं तो आइए हम आपको नौ दिन में नौ प्रकार के प्रसाद के बारे में बताते हैं।

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा धरती पर आती हैं इसलिए धरतीवासी उनकी स्वागत में विभिन्न प्रकार की तैयारियां करते हैं। धरती को देवी का मायके कहा जाता है। जिस तरह मायके में आई बेटी का घर वाले सत्कार करते हैं वैसे ही देवी की विभिन्न प्रकार के प्रसाद तथा श्रृंगार की वस्तुओं से स्वागत किया जाता है।

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पहला दिन 

नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। देवी की आराधना से मूलाधार चक्र सक्रिय हो जाता है तथा विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी शैलपुत्री को घी पसंद है इसलिए मां को घी से बना हुआ प्रसाद भोग लगाएं.

दूसरा दिन

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी की आराधना से साधक को तप, संयम और आत्मविश्वास मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर प्रिय है इसलिए उन्हें पंचामृत, चीनी और मिश्री का भोग लगाएं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के दूसरे दिन इन विशेष प्रकार की चीजों का दान करने से साधक दीर्घायु होता है।

तीसरा दिन 

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना होती है। मां चंद्रघंटा शेर पर सवार रहती है और उन्हें दूध पसंद है। इसलिए देवी चंद्रघंटा को सदैव से दूध से बनी चीजें जैसी खीर का भोग लगाएं। तीसरे दिन दूध से बनी चीजों का दान करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्त के सभी दुखों का नाश करती हैं।


चौथा दिन 

नवरात्र के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा होती है। मां को मालपुआ प्रिय है इसलिए देवी को मालपुआ का भोग लगाएं। इसलिए मालपुआ बना कर गरीब बच्चों में बांटें। ऐसा माना जाता है कि मालपुआ बनाकर ब्रह्माण को दान करने से बुद्धि का विकास होता है।  

पांचवां दिन

पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। मां को केला प्रिय है इसलिए इस दिन केला का भोग लगाएं। साथ ही ब्रह्माण को केला दान करने से सदबुद्धि आती है।

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छठवां दिन 

छठे दिन मां कात्यायनी को पूजा जाता है। देवी कात्यायनी को शहद प्रिय है इसलिए इस दिन शहद का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के छठे दिन शहद का प्रयोग करने से सम्बन्ध मधुर होते हैं तथा साधक के रूप का आर्कषण बढ़ता है।

सातवां दिन 

सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना होती है। देवी को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीजे का भोग लगाएं। देवी को गुड़ का भोग लगाने से साधक शोकमुक्त रहता है। 

आठवां दिन 

आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। देवी महागौरी को नारियल पसंद हैं इसलिए उन्हें नारियल का भोग लगाएं। साथ ही अष्टमी के दिन नारियल को सिर के ऊपर घुमा कर पानी में प्रवाहित करने से मनोकामना पूरी होती है।


नौवां दिन 

नवरात्र में आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है। उन्हें तिल का भोग लगाएं तथा नौवे दिन पूरी और हलवा गरीबों में बांटने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

प्रज्ञा पाण्डेय

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