विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस: खाद्य सुरक्षा अब और भी ज्यादा जरूरी
सामान्य रूप से किसी खाद्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाए या भोज्य पदार्थ को अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त कहा जाएगा।
रोटी, कपड़ा और मकान को मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं कहा जाता है। इन मूलभूत आवश्यकताओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इंसान बहुत मेहनत करता है। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां आम जनता को सुरक्षित भोजन के महत्व के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अपनी दो एजेंसियों, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए सौंपा है। दूसरा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस (डब्ल्यूएफएसडी) 7 जून 2020 को मनाया जाएगा, ताकि खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि, बाजार पहुंच, पर्यटन में योगदान को रोकने, पता लगाने और प्रबंधन करने में मदद करने के लिए ध्यान आकर्षित किया जा सके।
2019 में पहले उत्सव की सफलता के बाद, इस वर्ष फिर से डब्ल्यूएफएसडी ने "द फ्यूचर ऑफ फूड सेफ्टी" की छत्रछाया में खाद्य सुरक्षा के पैमाने पर प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के साथ मिलकर सदस्य राष्ट्रों को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने के प्रयासों को नया रूप-रंग दिया है, "खाद्य सुरक्षा, सभी का व्यवसाय" विषय के तहत, वैश्विक खाद्य सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देगा और सभी के देशों और निर्णय निर्माताओं, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, संयुक्त राष्ट्र संगठनों और आम जनता को इस बारे जागरूक होने का सन्देश पूरी दुनिया तक पहुंचाएगा।
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लॉकडाउन के दौरान बेईमान तत्व खाद्य पदार्थों में मिलवाट कर अनुचित लाभ उठा सकते हैं या स्थिति का फायदा उठाकर मिलावट और धोखेबाजी में लिप्त हो सकते हैं मुनाफाखोरी पहले से ही तनावपूर्ण जनसंख्या के स्वास्थ्य और धन को गंभीरता से प्रभावित कर सकती है, सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है। आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है।
कोरोना के चलते वैसे भी इस समय हर किसी को मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तभी संभव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले, तेल इत्यादि मिलावटरहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की। मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
सामान्य रूप से किसी खाद्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाए या भोज्य पदार्थ को अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त कहा जाएगा। भारत सरकार द्वारा खाद्य सामग्री की मिलावट की रोकथाम तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध आहार उपलब्ध कराने के लिए सन् 1954 में खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (पीएफए एक्ट 1954) लागू किया गया।
उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी है।इस समय मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावटी खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल है। अपमिश्रित आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शारीरिक विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है। खाद्य अपमिश्रण से जहां कोरोना के दौरे में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटेगी और करना बढ़ेगा वही अन्य बीमारियां भी जैसे आखों की रोशनी जाना, हृदय संबन्धित रोग, लीवर खराब होना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात व कैंसर जैसे रोग भी ज्यादा प्रभवि हो सकते हैं।
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इस समय लोग ज्यादातर घरों और चूल्हों तक सीमित हैं। वो ज्यादा समय नहीं दे सकते और न ही इस दौरान पता कर सकते की बाजार में क्या है, जो जैसे भी मिल पा रहा है जल्दबाजी में खरीद रहे है, समय भी ऐसा ही है और न ही उनके पास ऐसे समय खरीददारी के विकल्प बचे है। यह काफी प्रेरणादायक है कि इस तरह के के समय के दौरान खाद्य खाद्य और औषधि प्रशासन की सुरक्षा विंग विभाग ने निरीक्षण की आवश्यक पहल की है। अच्छा व्यवसाय सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न खाद्य प्रतिष्ठान उत्पादित किए जा रहे खाने की गुणवत्ता की प्रथाओं और रखरखाव को ताकपर रखकर आज कार्य कर रहे हैं। सरकार को ऐसे समय ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस समय कोई भी अनुचित लाभ न उठा सके।
तालाबंदी के कारण लोगों को खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता पर भी संदेह हो रहा है। बाजार में बेचे जा रहे खाने के सामानों की गलत और भ्रामक जानकारी की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बाढ़ आ गई हैं। ये ज्यादा चौंकाने वाला और डरावना है, प्रशासन को इस पर कठोर करवाई कर लगाम लगानी होगी। कई जगह घटनाये सच भी है जहां खाद्य पदार्थ जो सब स्टैंडर्ड और पुट्रेड थे बिना किसी कानून का संकोच या डर के और बाजार में बेच दिए गए।
हालांकि वहां वांछनीय कार्रवाई की गई और खराब गुणवत्ता वाले खाने को या तो जब्त कर लिया गया या नष्ट कर दिया, लेकिन विचार करने के लिए बिंदु यह है कि हो सकता है। कई अन्य ऐसे लोग हैं जो इस तरह के दुर्भावना में लिप्त हैं और वो लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर रहे है। वक्त की जरूरत है कि उक्त विभाग खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ अपनी मुहिम को और तेज करें और कोई भी व्यक्ति इसमें शामिल है उनके खिलाफ सख्त करवाई तुरंत अमल में लाये।
मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए प्रशासन के साथ-साथ हमें भी जागरूक होने की जरूरत है। खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम,1954 के अंतर्गत किसी भी व्यापारी या विक्रेता को दोषी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने का कारावास, जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त मानदण्ड का भी प्रावधान है। खाद्य पदार्थों में मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और इसका रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहिणियों) को अपमिश्रण से बचने हेतु जागरूक होना चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें।
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अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ, आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। दुकानदारों व सत्यापित कम्पनियों का सामान लें तथा जहां तक हो सके पैकेज्ड सामान का उपयोग करते समय कम्पनी का नाम व पता, खाद्य पैकिंग व समाप्ति की तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता लेबल का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ और निरोगी जीवन ही सफलता की कुंजी है। कोरोना काल में वैसे भी हमें और ज्यादा जागरूक बनने की जरूरत है। महामारियों से लड़ने के लिए शरीर का तंदरूस्त और मजबूत होना कितना जरूरी है ये हमने बखूबी जान लिया है, इसके लिए खाद्य सुरक्षा अब और भी ज्यादा जरूरी हो गई है।
-प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
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