Lockdown के 48वें दिन PM की CMs से लंबी चर्चा, 'जान और जहान' बचाने पर रहा जोर

PM Modi CM

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन के निर्धारण का दायित्व राज्य सरकारों को दिया जाना चाहिए। बघेल ने कहा कि राज्य के भीतर आर्थिक गतिविधियों के संचालन के निर्णय का अधिकार राज्य सरकार को मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट से निपटने, आर्थिक गतिविधियों को तेज करने और लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाने के उपायों को लेकर सोमवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की और इस बात पर जोर दिया कि आगे के रास्ते एवं सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर संतुलित रणनीति बनानी होगी और लागू करनी होगी। मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत में कहा, ‘‘आज आप जो सुझाव देते हैं, उसके आधार पर हम देश की आगे की दिशा तय कर पाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया मानती है कि भारत खुद को कोविड-19 से सफलतापूर्वक सुरक्षित रख पाया है, राज्यों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा, ‘‘जहां भी हमने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं किया, हमारी समस्याएं बढ़ गयीं।’’ उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रियायतों के बाद भी कोविड-19 को गांवों तक फैलने से रोकने की होगी। बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी जानी चाहिए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि आपात सेवाओं के कर्मचारियों के लिए मुंबई में लोकल ट्रेन सेवाएं शुरू की जाएं। दूसरी तरफ, तमिलनाडु में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि 31 मई तक ट्रेन सेवाओं की अनुमति ना दें। शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण भारत की तरफ श्रमिकों के पलायन और मजदूरों के अपने घर जाने से आर्थिक गतिविधियों की बहाली में आने वाली समस्याओं पर भी इस बैठक में चर्चा की गयी। कोरोना संकट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पांचवीं बार मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की। मुख्यमंत्रियों से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी मौजूद रहे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत कई मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल हुए। गौरतलब है कि रविवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ बैठक के दौरान राज्यों के मुख्य सचिवों ने उन्हें बताया था कि कोविड-19 से सुरक्षा जरूरी है, लेकिन साथ ही आर्थिक गतिविधियों को भी चरणबद्ध तरीके से बहाल करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बार 27 अप्रैल को बातचीत किये जाने के बाद से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, जो 28,000 के आंकड़े से बढ़ कर करीब 67,000 पर पहुंच गई है। बैठक के कुछ दिनों बाद केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि और दो हफ्तों के लिये 17 मई तक बढ़ा दी थी। हालांकि, आर्थिक गतिविधियों और लोगों की आवाजाही में कुछ छूट दी गई थी। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च से लागू है। लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को समाप्त होने से कुछ ही दिन पहले यह बैठक हुई है। दूसरा चरण तीन मई को समाप्त हुआ था, जबकि पहला चरण 14 अप्रैल को समाप्त हुआ था।

तेलंगाना ने ट्रेन सेवा का विरोध किया

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोमवार को आग्रह किया कि वह इस समय यात्री ट्रेन सेवा को शुरू नहीं करें। इससे लोगों की आवाजाही होगी जिससे कोरोना वायरस की जांच करने और उन्हें पृथक करने में परेशानी आएगी। एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली वीडियो कॉन्फ्रेंस में राव ने कहा कि कोविड-19 का प्रभाव दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद समेत बड़े शहरों में ज्यादा है। विज्ञप्ति में कहा गया है, ''मुख्यमंत्री श्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि यात्री ट्रेन सेवा को शुरू नहीं करें जिन्हें देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के उपाय के तहत स्थगित किया गया था।" रेलवे मंगलवार से दिल्ली से विभिन्न मार्गों पर 15 यात्री रेल गाड़ियों का संचालन करेगा, जो सिकंदराबाद समेत देश के प्रमुख शहरों में जाएंगी। राव ने मोदी से कहा कि इस वक्त मुसाफिर ट्रेन सेवा शुरू करने से लोग एक जगह से दूसरे स्थान जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोई नहीं जानता है कि कौन कहां से कहां जा रहा है। हर किसी की जांच करना मुमकिन नहीं है। यह भी मुश्किल है कि ट्रेन की यात्रा करके आने वाले सभी लोगों को पृथकवास में रखा जाए। इसलिए यात्री ट्रेनों को अभी चलाने की इजाजत नहीं जाए। राव ने प्रवासी कामगारों को उनके मूल स्थान जाने की इजाजत देने का पक्ष लिया। साथ में राज्यों की ऋण अदायगी की एक नई योजना और राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन को बढ़ाने की भी मांग की।

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बिना लक्षण वाले लोगों को ही यात्रा की अनुमति होगी

गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि मंगलवार से शुरू हो रही चुनिंदा यात्री ट्रेनों में केवल उन्हीं लोगों को यात्रा करने की अनुमति होगी, जिनमें कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं हैं और जिनके पास कन्फर्म टिकट है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण 25 मार्च के बाद से करीब 50 दिन से बंद यात्री ट्रेन सेवा मंगलवार से बहाल हो रही है। फिलहाल 15 जोड़ी ट्रेनों को संचालित किया जाएगा। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मानक संचालन प्रक्रिया को जारी करते हुए एक आदेश में कहा कि रेलवे स्टेशन में प्रवेश और यात्रा के दौरान फेस मास्क पहनना तथा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। मंगलवार को शुरू होने वाली ट्रेनें नयी दिल्ली से पूर्वोत्तर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा अन्य स्थानों के लिए जाएंगी। इससे पहले रेलवे ने प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद से यह पहली बार है जब आम जनता भी रेल यात्रा कर सकेगी, हालांकि हवाई यात्रा तथा अंतरराज्यीय बस सेवा निलंबित रहेंगी। आदेश में कहा गया, ‘‘केवल उन्हीं लोगों को स्टेशन पर प्रवेश दिया जाएगा जिनके पास कन्फर्म टिकट होंगे। रेलवे स्टेशनों तक यात्रियों और उनके वाहन के चालक को आवागमन की इजाजत भी कन्फर्म टिकट के आधार पर ही दी जाएगी।’’ रेल मंत्रालय सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करेगा और केवल उन्हीं लोगों को ट्रेन में चढ़ने और यात्रा करने की इजाजत दी जाएगी, जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे। सभी यात्रियों को स्टेशनों और रेलवे कोच में हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए जाएंगे। गृह मंत्रालय ने संकेत दिया कि सरकार और ट्रेनों के संचालन के बारे में विचार कर रही है। उसने कहा कि रेल मंत्रालय ट्रेनों के परिचालन की इजाजत गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से विचार-विमर्श करने के बाद चरणबद्ध तरीके से देगा।

बड़ी संख्या में मामले देखे गए

भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 4,213 मामले सामने आने के साथ ही सरकार ने सोमवार को कहा कि कुछ खास जगहों पर अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में मामले देखे गए हैं और नियंत्रण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि देश सामुदायिक प्रसार के चरण में न पहुंचे। सरकार ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस का पता लगाने वाला एप ‘आरोग्य सेतु’ सुरक्षित है और इसे लोगों की निजता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या बीमारी का सामुदायिक प्रसार हुआ है, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘यहां (देश में)’ कुछ क्षेत्रों के बारे में पता चला है और कुछ मामलों में कुछ खास जगहों पर बड़ी संख्या में मामले भी सामने आए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘और इस परिप्रेक्ष्य में, यदि आपको याद हो तो एम्स निदेशक (डॉ. रणदीप गुलेरिया) ने कहा था कि यदि इन्हें उचित रूप से नियंत्रित नहीं किया गया तो प्रसार की दर अधिक हो जाएगी। इसलिए, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि अब हम नियंत्रण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करें और सुनिश्चित करें कि हम सामुदायिक प्रसार के चरण में न पहुंचें।’’ अग्रवाल ने कहा कि अब तक कोरोना वायरस के 20,917 रोगी ठीक हो चुके हैं। इससे स्वस्थ होने वालों की दर 31.15 प्रतिशत हो गई है। पिछले 24 घंटे में 1,559 रोगी ठीक हुए हैं जो एक दिन में ठीक होने वालों की अब तक की सर्वाधिक संख्या है। अधिकारप्राप्त समूह 9 के अध्यक्ष अजय साहनी ने कहा कि मोबाइल एप्लीकेशन इसलिए विकसित किया गया है, ताकि लोग संक्रमित रोगियों के संपर्क में आने से पहले सतर्क हो सकें और मदद के लिए पर्याप्त कदम उठाने के वास्ते स्वास्थ्य प्रणाली को सचेत कर सकें। यह समूह प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन का काम देखता है। उन्होंने कहा कि आरोग्य सेतु मोबाइल एप ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एप को इस हिसाब से विकसित किया गया है कि लोगों की निजता भंग न हो। साहनी ने कहा कि करीब 9.8 करोड़ लोग आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि आरोग्य सेतु एप की मदद से कोविड-19 के लगभग 697 संभावित ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान की गई। साहनी ने कहा कि एप सुरक्षित है और इसका इस्तेमाल केवल स्वास्थ्य उद्देश्य के लिए किया जाता है तथा यह लोगों की पहचान उजागर नहीं करता। उन्होंने कहा कि लगभग इस एप का इस्तेमाल करने वाले 1.4 लाख लोगों को ब्लूटूथ संपर्क के जरिए संक्रमित लोगों के नजदीक होने की वजह से संक्रमण के संभावित जोखिम को लेकर सूचना मिली है। साहनी ने कहा कि आरोग्य सेतु का इस्तेमाल करनेवालों की संख्या जल्द ही 10 करोड़ तक पहुंच जाएगी और इसने पांच करोड़ लोगों तक तेजी से पहुंचकर सबसे तेज एप होने का विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। कुछ खबरों में किए गए इन दावों के बारे में कि सरकार ‘हॉटस्पॉट’ के बारे में धर्म आधारित पहचान करने पर विचार कर रही है, अग्रवाल ने कहा कि यह बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना, निराधार और गलत खबर है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का धर्म, नस्ल और क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है तथा यह सावधानी के अभाव में फैलती है। अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 के लक्षण होने पर किसी को इन्हें छिपाना नहीं चाहिए और सामने आकर इसकी जानकारी देनी चाहिए जिससे कि संबंधित व्यक्ति दूसरे लोगों को संक्रमित न कर पाए।

दिल्ली में आर्थिक गतिविधियां शुरू हों

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि निरुद्ध क्षेत्रों को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी के बाकी इलाकों में आर्थिक गतिविधियां दोबारा शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बीच परामर्श का ताजा दौर कोविड-19 की माहामारी को नियंत्रित करने की रणनीति को मजबूत करने और 54 दिनों के लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आर्थिक गतिविधियों को सुनियोजित तरीके शुरू करने के लिए था। सूत्रों ने बताया, ‘‘संवाद के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण के चलते निरुद्ध क्षेत्र घोषित इलाकों को छोड़कर बाकी दिल्ली में आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि भारत को कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए ‘संतुलित रणनीति’ तैयार करनी होगी और उसे लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करने की होगी कि संक्रमण गांवों तक न फैले। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में राज्यों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया का मत है कि भारत ने महामारी से खुद को सफलतापूर्वक बचाया है।

‘इन्वैसिव टेक्निक’ नहीं अपनायें

कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई मौत के मामलों में फॉरेंसिक शव परीक्षण के लिए ‘इन्वैसिव टेक्निक’ को नहीं अपनाया जाना चाहिए क्योंकि डॉक्टरों एवं शवगृह के अन्य कर्मचारियों के लिये अंग से निकलने वाले तरल पदार्थ और स्राव से स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा रहता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने अपने मसौदा दस्तावेज में यह बात कही है। परिषद की ओर से जारी ‘भारत में कोविड-19 से मौत के मामले में मेडिको-लीगल शव परीक्षण के लिए मानक दिशा-निर्देश के अंतिम मसौदे’ के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पताल एवं चिकित्सीय देखभाल में होने वाली मौत गैर-एमएलसी (नॉन-मेडिको लीगल केस) मामला है और इसमें पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है और उपचार कर रहे डॉक्टरों द्वारा मौत का जरूरी प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। कोविड-19 से संदिग्ध मौत के कुछ मामलों जिनमें लोगों को अस्पतालों में मृत लाया जाता है, उन्हें आपातकालीन चिकित्सक एमएलसी (मेडिको-लीगल केस) बता देते हैं और शव को शवगृह भेज दिया जाता है जिसके बारे में पुलिस को सूचना भेजी जाती है। ऐसे मामलों में मौत के कारणों का पता लगाने के लिये पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता हो सकती है। मसौदा दिशा-निर्देश में कहा गया है कि ऐसे मामलों में फॉरेंसिक शव परीक्षण से छूट दी जा सकती है। इसमें कहा गया है कि कुछ मामले आत्महत्या, हत्या एवं हादसों के होते हैं, जो कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध एवं संक्रमित मामले हो सकते हैं। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अगर किसी अपराध का संदेह नहीं है तो पुलिस के पास यह शक्ति है कि वह एमएलसी केस होने के बावजूद मेडिको लीगल शव परीक्षण से छूट दे सकती है। मसौदा में कहा गया है, ''जांच करने वाले पुलिस अधिकारी को ऐसी महामारी की स्थिति के दौरान अनावश्यक शव परीक्षण को रोकने के लिये सक्रिय होकर कदम उठाने चाहिए।'’ फॉरेंसिक शव परीक्षण के दौरान हड्डियों एवं ऊतकों के विच्छेदन से एरोसोल का निर्माण होगा जिससे संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। बाहरी परीक्षणों, विभिन्न तस्वीरों एवं मौखिक शव परीक्षण के आधार पर.... किसी भी इन्वैसिव सर्जिकल प्रक्रिया से बचते हुए पोस्टमॉर्टम किया जाना चाहिये और कोशिश होनी चाहिये कि उस दौरान वहां मौजूद डॉक्टर एवं अन्य कर्मचारी मृत व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में नहीं आएं। आईसीएमआर के मसौदा दिशा-निर्देश के अनुसार अगर कोविड-19 जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा है तो अंतिम रिपोर्ट आने तक शव को शवगृह से नहीं हटाया जाना चाहिये तथा औपचारिकताओं के बाद शव जिला प्रशासन को सौंपा जाना चाहिये। इसमें कहा गया है, '‘किसी भी समय शव के पास दो से अधिक रिश्तेदारों को मौजूद होना चाहिये और उन्हें शव से एक मीटर की दूरी पर अवश्य रखनी चाहिये।'’ इसमें कहा गया है, ‘'प्लास्टिक बैग के जरिये रिश्तेदारों से शव की शिनाख्त कराई जानी चाहिये और ऐसा कानून लागू करने वाली एजेंसियों की उपस्थिति में किया जाना चाहिये।'’ इसमें यह भी कहा गया है कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों की उपस्थिति में शव को अंत्येष्टि के लिये श्मशान ले जाना चाहिये, जहां पांच से अधिक रिश्तेदारों को मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।

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करीब 70 प्रतिशत श्रमिक उत्तर प्रदेश गए

गुजरात सरकार ने बताया कि राज्य से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से रवाना हुए करीब 2.56 लाख प्रवासी श्रमिकों में से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश गए हैं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक रवाना हुए 2.56 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 70 प्रतिशत, करीब 1.76 लाख श्रमिक उत्तर प्रदेश गए हैं। बाकि श्रमिकों में से बड़ी संख्या में लोग बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ लौटे हैं। अधिकारियों ने बताया कि गुजरात में सूरत से सबसे ज्यादा प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौटे हैं। इसके अलावा अहमदाबाद, वड़ोदरा, राजकोट और अन्य जिलों से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौट गए हैं। सूरत से 72 स्पेशल ट्रेनों से करीब 86,400 प्रवासी श्रमिक जबकि अहमदाबाद से करीब 60,000 प्रवासी श्रमिक 50 ट्रेनों से रवाना हुए हैं। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के सचिव अश्वनी कुमार ने बताया कि सोमवार तक राज्य से 209 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चली हैं, जो अभी तक चली कुल 461 श्रमिक स्पेशल का 45 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि गुजरात से सोमवार सुबह तक रवाना हुई 209 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में से 147 उत्तर प्रदेश गई हैं, वहीं 23 ट्रेनें बिहार, 21 ट्रेनें ओडिशा, 11 ट्रेनें मध्य प्रदेश, छह ट्रेनें झारखंड और एक ट्रेन छत्तीसगढ़ रवाना हुई है। उन्होंने बताया कि एक ट्रेन उत्तराखंड जाने वाली है।

मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमाओं तक मुफ्त बस सेवा

महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों के लिए मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमाओं तक मुफ्त बस सेवाएं शुरू की हैं। राज्य परिवहन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि प्रवासी मजदूरों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालते हुए राजमार्गों एवं रेल मार्गों पर पैदल ही सफर पर निकल जाने को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया है। अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को औरंगाबाद जिले में मध्यप्रदेश के 16 प्रवासी श्रमिकों की मालगाड़ी से कटकर मर जाने की घटना राज्य सरकार के इस फैसले की मुख्य वजह है। उन्होंने बताया कि अगले दो दिनों में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमाओं तक 300 फेरे लगाएंगी तथा यात्रियों के बीच एक दूसरे से दूरी बनाने के नियम के तहत उनमें आधी सीटें ही भरी जाएंगी। उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार ने कहा है कि उसकी कई अपील के बावजूद प्रवासी श्रमिक रूके रहने के मूड में कत्तई नहीं हैं। औरंगाबाद में 16 मजदूरों की मौत के बाद राज्य सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष बसें चलाने का निर्णय लिया है।’’ अधिकारी ने बताया कि बसें मुम्बई के उपनगरीय क्षेत्र बोरिवली से चलेगी और गुजरात सीमा तक जाएगी तथा इसी तरह, उत्तर महाराष्ट्र में नासिक और धुले से रवाना होकर बसें मध्यप्रदेश सीमा तक जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों का भाड़ा का बोझ उठाएगी क्योंकि सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि प्रवासी घर के लिए दुसाध्य यात्रा पर रवाना होकर तथा सड़क एवं राजमार्ग पर पैदल चलकर अपनी जान जोखिम में न डालें।

वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाएगा

कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर ‘‘दोमुंही बात करने’’ का आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस ने यात्री ट्रेन सेवाएं बहाल करने के निर्णय के लिए सोमवार को केंद्र की भाजपा नीत सरकार की कड़ी आलोचना की। भगवा दल की राज्य इकाई ने पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र के निर्णय की आलोचना करने का तृणमूल को कोई अधिकार नहीं है क्योंकि क्षेत्रीय दल की सरकार पश्चिम बंगाल में ‘‘कोविड-19 की स्थिति से निपटने में विफल’’ रहा है। भारतीय रेलवे ने रविवार को घोषणा की थी कि 12 मई से वह धीरे-धीरे यात्री ट्रेन सेवाएं शुरू करेगा और शुरू में 15 जोड़ी रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद से सभी यात्री ट्रेन सेवाएं स्थगित हैं। इस निर्णय की आलोचना करते हुए तृणमूल के सांसद शांतनु सेन ने कहा कि एक तरफ केंद्र राज्यों में कड़े लॉकडाउन लागू करने पर प्रवचन देता है और दूसरी तरफ प्रतिबंधों में ढील देने के कदम उठाता है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को दोमुंही बात के कारण बताने चाहिए। यात्री ट्रेन सेवाएं बहाल करने का कदम इसकी दुविधा को दर्शाता है।’’ उनकी बातों से सहमति जताते हुए राज्य के मंत्री और कोलकाता के महापौर फिरहिद हकीम ने दावा किया कि इस निर्णय से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। बंगाल में कोविड-19 की स्थिति से ठीक तरीके से नहीं निपटने का आरोप लगाते हुए राज्य भाजपा के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं को इस तरह की टिप्पणी करने से बचना चाहिए क्योंकि वे बाहर फंसे प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रहे हैं।

साइकिलों से लंबी यात्रा पर निकले प्रवासी कामगार

मुंबई आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग का वह हिस्सा जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले से गुजरता है उसमें दूर दूर तक कहीं कोई छाया नहीं है और इस चिलचिलाती धूप में प्रवासी मजदूर साइकिलों से ही अपने गृह राज्यों की ओर निकल पड़े हैं। कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार हैं जो अब पैदल ही या साइकिलों से उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए निकल पड़े हैं। पिछले दो दिन में कामगारों के पैदल ही गृह राज्यों की ओर बढ़ने की घटना में तेजी से वृद्धि हुई है। कामगारों का एक समूह साइकिल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए रवाना हुआ है। कम से कम 80 किलोमीटर की यात्रा कर चुके रामजीवन निषाद कहते हैं, ''ट्रक से यात्रा का खर्च 3,500 है, बस से यात्रा करने में इससे दोगुना खर्च आएगा और मेरे पास सिर्फ 700 रुपए हैं।’’ अन्य कामगारों की भी कमोबेश यही कहानी है। उनका कहना है कि पांच सप्ताह के लॉकडाउन में उनके सब्र का बांध टूट गया और उनकी बचत भी खत्म हो गई जिसके कारण उन्हें मुंबई से साइकिल से ही अपने घर लौटने में भलाई समझ आई। जिन लोगों के पास साइकिल नहीं थी उन लोगों ने यात्रा के लिए साइकिलें खरीदीं। इन कामगारों में किसी प्रकार का गुस्सा या द्वेष नहीं दिखाई दिया। दिखा तो बस डर कि अगर वे झुग्गी बस्ती इलाकों में रहते तो उन्हें भी संक्रमण अपनी चपेट में ले लेता। कुछ कामगारों ने बताया कि उन्होंने चिकित्सकों से फिटनेस प्रमाणपत्र बनवाया था कि उन्हें प्रवासी कामगारों को ले जा रही विशेष ट्रेन में सीट मिल जाएगी लेकिन वह भी व्यर्थ रहा। कई लोगों ने कहा कि इतने पैसे में तो वे तीन वक्त का खाना खा लेते। इस पूरे मार्ग में कई झुंड़ में प्रवासी मजदूर जाते दिखाई देंगे जिन्हें न तो आगे जाने का रास्ता पता है और न ही ये पता है कि वे कब अपने घर पहुंचेंगे।

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डिजिटल भुगतान करना अनिवार्य होगा

अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने किराना के सामानों और खाद्य पदार्थों की घरों पर आपूर्ति के बाद नकद भुगतान करने के विकल्प पर 15 मई से यह कहते हुए रोक लगाने का सोमवार को निर्णय किया कि कोरोना वायरस नोटों से भी फैलता है। एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि निगम के निर्णय के अनुसार अब ऐसी सेवाओं के लिए डिजिटल भुगतान करना होगा। निगम ने घर पर सामानों की आपूर्ति करने वाले कर्मियों के लिए अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना भी अनिवार्य बना दिया है। अहमदाबाद में कोविड-19 के बढ़ते मामले को ध्यान में रखते हुए 15 मई तक शहर में किराना सामानों एवं सब्जियों की बिक्री पर अस्थायी रोक लगा दी गयी है।

10 मिनट में बिकी हावड़ा-दिल्ली एसी-1, एसी-3 की सभी टिकटें

आईआरसीटीसी ने अपनी वेबसाइट पर सोमवार शाम छह बजे के बाद, 12 मई से चलने वाली विशेष ट्रेनों के लिए बुकिंग शुरू की और हावड़ा-नयी दिल्ली मार्ग की ट्रेन के एसी-1 और एसी-3 की सभी टिकटें 10 मिनट के भीतर बिक गईं। टिकटों की बुकिंग पहले शाम चार बजे से शुरू होनी थी, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण उसमें देरी हुई। शाम करीब पौने पांच बजे आईआरसीटीसी ने सूचित किया कि बुकिंग शाम छह बजे से शुरू होगी। हावड़ा-नयी दिल्ली ट्रेन मंगलवार को हावड़ा से शाम पांच बजकर पांच मिनट पर रवाना होने वाली है। वेबसाइट पर टिकट उपलब्धता जांचने पर पता चला कि भुवनेश्वर-नयी दिल्ली विशेष ट्रेन के एसी-1 और एसी-3 की टिकटें भी शाम साढ़े छह बजे तक बिक चुकी थीं। भारतीय रेल ने 12 मई से चरणबद्ध तरीके से यात्री ट्रेन सेवाएं शुरू कर रही हैं शुरुआत में चुनिंदा मार्गों पर 15 जोड़ी ट्रेनें (अप-एंड-डाउन मिलाकर 30 ट्रेनें) चलायेगी। विशेष ट्रेनें नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलेंगी और डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू-तवी को जाएंगी। बुकिंग में देरी पर आईआरसीटीसी ने स्पष्टीकरण देते हुए शाम करीब पौने पांच बजे ट्वीट किया, ‘‘विशेष ट्रेनें (डेटा) अपलोड की जा रही हैं। बुकिंग जल्दी शुरू होगी।’’ इससे पहले सूत्रों ने कहा, ‘‘वेबसाइट क्रेश नहीं हुई है, बल्कि डेटा अपलोड किया जा रहा है।’’ उन्होंने यात्रियों से प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया था।

कंपनियों को लुभाने के लिये कार्यबल गठित किया

कर्नाटक सरकार ने चीन से बाहर निकलने की राह देख रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को राज्य में निवेश के लिये लुभाने के वास्ते सोमवार को एक विशेष निवेश प्रोत्साहन कार्य बल का गठन किया। राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रधान सचिव गौरव गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते कई देश चीन से दूरी बनाना चाहते हैं। भारत के लिये इन उद्योगों को लुभाने का यह एक अवसर है। इन उद्योगों का निवेश पाने के साथ ही देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ाये जा सकेंगे और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी हो सकेगा। कर्नाटक सरकार के एक आदेश में कहा गया है, इस स्थिति में भारत बेहतर विकल्प उपलब्ध करा सकता है। भारत में विनिर्माण के लिये बेहतर स्थल उपलब्ध होने के साथ ही एक बड़ा उपभोक्ता बाजार भी मौजूद है। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के प्रसार के कारण जिन कंपनियों का चीन से मोहभंग हो गया और जो अपने विनिर्माण कारखाने को चीन से बाहर ले जाने की इच्छुक हैं, इन कंपनियों को राज्य में निवेश के वास्ते लुभाने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष निवेश प्रोत्साहन कार्यबल गठित किये जाने की आवश्यकता है। इस कार्यबल में जापान, कोरिया, ताइवान के साथ साथ अमेरिका, फ्रांस, सिंगापुर और जर्मनी की कंपनियों के व्यापार प्रोत्साहन संगठनों के प्रतिनिधि और नामिती भी शामिल होंगे। यह कार्यबल उन क्षेत्रों की पहचान करेगा जिनमें कर्नाटक में निवेश आकर्षित किया जा सकता है। उनके लिये विशेष प्रोत्साहन पैकेज और सुविधा केन्द्र भी तैयार किये जायेंगे जो कि इन देशों से निवेश आकर्षित करने के लिये जरूरी होंगे। कर्नाटक सरकार के आदेश में कहा गया है, ‘‘बढ़ती श्रम लागत, कार्यबल की कमी, अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध, दक्षिण- पूर्वी एशिया में विनिर्माण केन्द्रों का उत्थान होना और अब एक महामारी का चीन की मुख्य भूमि से निकलना... कोविड-19 के बाद चीन दुनिया की सबसे बड़ी फैक्टरी की पहचान को बनाये रखने में सक्षम नहीं होगा।’’

राजकोषीय समर्थन की जरूरत

कोरोना वायरस से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा परिस्थिति से उबारने के लिये 4.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय समर्थन की आवश्यकता है। इसके साथ ही विभिन्न सरकारी भुगतानों और रिफंड में फंसे ढाई लाख करोड़ रुपये तुरंत जारी करने की जरूरत है। देश के अग्रणी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की ने सरकार से यह मांग की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने इसके साथ ही वित्त मंत्री से नवोन्मेष, निर्माण और विनिर्माण क्लस्टरों के लिये वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आये मौजूदा व्यावधान के बीच उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिये एक आत्म- निर्भरता कोष बनाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह राशि मध्यम अवधि के दौरान किस्तों में उपलब्ध कराई जा सकती है। रेड्डी ने मौजूदा हालात में सरकार से ‘‘तुरंत सहायता’’ दिये जाने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि सबके सामने सबसे बड़ी समस्या नकदी की है और इसके त्वरित निदान के लिये सबसे पहले सरकार द्वारा किये जाने वाले विभिन्न भुगतन और रिफंड में फंसी 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि को तुरंत जारी करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस राशि के लिये बजट में पहले ही प्रावधान किया गया होगा।’’ वंचित तबके के लिये अतिरिक्त वित्तीय समर्थन की भी आवश्यकता है। यह समर्थन गरीब कल्याण योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही सहायता से अलग होना चाहिये। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्यमों को फिर से पटरी पर लाने के लिये राजकोषीय समर्थन की आवश्यकता है। इसके अलावा मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के ढांचे को उन्नत बनाने के वास्ते भी कोष की आवश्यकता है। विमानन और पर्यटन जैसे उद्योगों को भी समर्थन की बहुत जरूरत है। लॉकडाउन की वजह से इन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। पत्र में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति में इस कार्य के लिये 4.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजकोषीय समर्थन की आवश्यकता है। संगीता रेड्डी ने पत्र में कहा है कि इसमें 10,000 करोड़ रुपये की छोटी राशि बैंकों को जरूरत हो सकती है। यह राशि कोविड- 19 की वजह से बैंकों के लिये एक सेतु का काम करेगी। बैंकों को बड़ी कंपनियों को अतिरिक्त कर्ज देना पड़ सकता है। कोविड-19 की वजह से कई बड़ी कंपनियों के कारोबार में कमी आई है। ‘‘सरकार को अगले चार साल के दौरान गारंटी के तौर पर बैंकों को 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में इसका एक चौथाई उपलब्ध कराया जा सकता है। इस राशि का कंपनियों पर काफी अनुकूल असर होगा और उनकी आपूर्ति श्रृंखला को भी इससे सहारा मिलेगा जिसमें कई छोटी इकाइयां शामिल हैं।’’ देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पहले 21 दिन का फिर 15 अप्रैल से तीन मई तक 19 दिन का और फिर चार मई से 17 मई तक 14 दिन का लॉकडाउन लगाया गया। इससे देश में आर्थिक गतिविधियों पर बहुत बुरा असर पड़ा।

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वुहान में संक्रमण के नए मामले

चीन में कोरोना वायरस संक्रमण का केन्द्र रहे वुहान शहर में 30 दिन से ज्यादा समय के बाद कोविड-19 के नए मामले सामने आने पर सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक स्थानीय अधिकारी को खराब प्रबंधन के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। सरकारी समाचार समिति शिन्हुआ ने अपनी एक खबर में बताया कि सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के चांगक्विंग स्ट्रीट कार्यसमिति के सचिव झांग यूजिन को वुहान के सनमिन आवासीय समुदाय में संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पद से हटा दिया गया है। संक्रमण के ये सभी मामले हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान के सनमिन आवासीय समुदाय में पाए गए हैं। यह इलाका चांगक्विंग के अधिकार क्षेत्र में आता है। खबर में कहा गया है कि झांग को आवासीय परिसर का सही प्रकार से प्रबंधन नहीं कर पाने की वजह से पद से हटाया गया है। इस स्थान में पहले संक्रमण के 20 मामले सामने आए थे। वुहान में संक्रमण के पांच नए मामले रविवार को और एक मामला शनिवार को सामने आया। यहां 35 दिन से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया था। डोंगशिहू जिला स्वास्थ्य ब्यूरो के निदेशक ली पिंग ने कहा कि नए मामलों के सामने आने के बाद करीब 20 हजार लोगों का न्यूक्लिक एसिड परीक्षण अलग-अलग बैच में कराया जाएगा। जिन लोगों की जांच कराई जाएगी उनमें से 5000 लोग सनमिन आवासीय समुदाय के आसपास रहने वाले हैं और अन्य 14 हजार लोग पास के बाजार दुओलुओकोउ से हैं। वुहान में 650 ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं। हुबेई प्रांत की आबादी पांच करोड़ 60 लाख से ज्यादा है और उसे वायरस का प्रसार रोकने के लिये 23 जनवरी से ही बंद कर दिया गया था। यह बंद 24 मार्च को वापस लिया गया। वुहान शहर में बंद आठ अप्रैल को हटाया गया। शहर में करीब एक करोड़ 10 लाख लोग रहते हैं। इस बीच चीन ने सभी क्षेत्रों में कोविड-19 के जोखिम के स्तर को और कम कर दिया तथा उसकी पूरी तरह रोकथाम के संकेत दिये। चीन में कारोबार और कारखानों के खुलने के साथ ही स्थिति लगभग पूरी तरह सामान्य हो रही है। चीन ने सोमवार को अपने सबसे प्रमुख थीम पार्क शंघाई डिज्नीलैंड को विषाणु संक्रमण रोधी उपायों के साथ खोल दिया। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, रविवार को देश में संक्रमण के 17 नए मामले सामने आए हैं जिनमें से सात मामले विदेश से आए लोगों से जुड़े हैं। इसी के साथ देश में संक्रमण के मामले बढ़ कर 82,918 हो गए हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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