गगन नारंग ने कहा, सिंधू की जीत से दूसरे खेलों को भी मिलेगा प्रोत्साहन
पिछले आठ साल में देश भर में अपनी अकादमी के 16 प्रशिक्षण केंद्रों से अनगिनत निशानेबाज तैयार कर चुके लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग का मानना है कि बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में पी वी सिंधू के स्वर्ण पदक से दूसरे खेलों को भी बढावा मिलेगा। सिंधू विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं जिन्होंने बासेल में खेले गए फाइनल में नोजोमी ओकुहारा को हराया।
नयी दिल्ली। पिछले आठ साल में देश भर में अपनी अकादमी के 16 प्रशिक्षण केंद्रों से अनगिनत निशानेबाज तैयार कर चुके लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग का मानना है कि बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में पी वी सिंधू के स्वर्ण पदक से दूसरे खेलों को भी बढावा मिलेगा। सिंधू विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं जिन्होंने बासेल में खेले गए फाइनल में नोजोमी ओकुहारा को हराया।
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गगन नारंग स्पोटर्स प्रमोशन फाउंडेशन (जीएनएसपीएफ) के लिये राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार लेने आये नारंग ने भाषा से कहा ,‘‘ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी खेल में पदक आने पर खेलों के प्रति जागरूकता बढती है। जिस दिन सिंधू ने स्वर्ण जीता, हमारी अकादमी में इतने फोन आये कि हम हैरान रह गए। लोग अपने बच्चों के खेलों में कैरियर को लेकर जागरूक होने लगे हैं। उन्होंने खेलों में भारत का भविष्य उज्जवल बताते हुए कहा कि आज की पीढी बहुत तेजी से कामयाबी की ओर बढ रही है। उन्होंने कहा ,‘‘हमने जो दस साल में हासिल किया, आजकल बच्चे तीन चार साल मेंकर लेते हैं। अब 14 . 15 साल में पदक जीतने लगे हैं क्योंकि जानकारी है और जागरूकता है। यह तरक्की काबिले तारीफ है।’’
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राष्ट्रीय पुरस्कार को खास बताते हुए नारंग ने कहा ,‘‘ मैने अपने कैरियर में बतौर खिलाड़ी उपलब्धियों के लिये कई पुरस्कार जीते लेकिन यह खेलों में मेरे योगदान के लिये है और यह बहुत खास है।’’पुणे से शुरूआत करने वाले नारंग की अकादमी अब आठ राज्यों में फैल चुकी है जिनसे हर साल 1000 . 1200 निशानेबाज निकलते हैं और इनमें से 35 से 40 प्रतिशत इसमें कैरियर बना रहे हैं। इनके 16 निशानेबाज 160 से अधिक पदक जीत चुके हैं। खेल रत्न से खेल प्रोत्साहन तक के सफर के बारे में नारंग ने कहा ,‘‘ मैने और पवन सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों से मिली पुरस्कार राशि और लक्ष्य फाउंडेशन की मदद से शुरूआत की। हमारा मकसद यही था कि हमारे कैरियर को संवारने के लिये हमारे माता पिता ने जितना संघर्ष किया, वह अगली पीढी के निशानेबाजों के परिवार को नहीं करना पड़े ।’’उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पुरस्कार के बाद कारपोरेट जगत वित्तीय सहायता के लिये आगे आयेगा।
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उन्होंने कहा ,‘‘अकादमी चलाने के लिये संसाधनों का अभाव रहता ही है। हम सीमित संख्या में ही निशानेबाजों को प्रशिक्षण दे पा रहे हैं। लेकिन उम्मीद है कि इस पुरस्कार के बाद सीएसआर के तहत और कारपोरेट आगे आकर मदद करेंगे क्योंकि हमें जम्मू कश्मीर समेत देश भर से फ्रेंचाइजी आधार पर केंद्र खोलने के लिये अनुरोध मिल रहे हैं।’’ तोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों की संभावना के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ रियो से तो बेहतर ही होगा। सरकार और महासंघ से काफी मदद मिल रही है और सभी निशानेबाज मेहनत कर रहे हैं।’’ रियो ओलंपिक 2016 से भारतीय निशानेबाज खाली हाथ लौटे थे।
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अपनी तैयारियों के बारे में इस अनुभवी राइफल निशानेबाज ने कहा ,‘‘ मैंने अभ्यास शुरू कर दिया है। अगले महीने चयन ट्रायल है और कोई चमत्कार हो गया तो मैं एशियाई चैम्पियनशिप खेलूंगा। उस चमत्कार के लिये मैं काफी मेहनत कर रहा हूं।’’ बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 से निशानेबाजी को बाहर किये जाने पर खेलों के बहिष्कार की आईओए की चेतावनी के बारे में नारंग ने कहा कि उन्हें यकीन है कि मामले का कोई हल निकल आयेगा। उन्होंने कहा ,‘‘बहिष्कार से दूसरे खेलों को नुकसान होगा लेकिन देशहित में एकजुट रहना जरूरी है । मुझे यकीन है कि आईएसएसएफ , एनआरएआई और आईओए उच्चतम स्तर पर इस मसले पर बातचीत कर रहे हैं और 2022 खेलों में निशानेबाजी को बरकरार रखा जायेगा।’’
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