बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ अमित शाह की हुंकार तो बिहार में किसकी बयार
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि वह राज्य में राजनीतिक हत्याओं पर श्वेत-पत्र लेकर आएं और हैरानी जताई कि प्रदेश सरकार ने क्यों राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अपराध के आंकड़े नहीं भेजे।
चुनावी उठा-पटक के बीच हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में पश्चिम बंगाल और बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की। 2021 में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा पूरी तरीके से कमर कस चुकी है। खास बात यह है कि भाजपा भावनात्मक तरीके से लोगों को आकर्षित करने में जुटी हुई है। दशहरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वहां के कार्यकर्ताओं से बातचीत की तो वही अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंचे। शाह का यह दौरा काली पूजा के ठीक पहले का है। अपने दौरे के दौरान अमित शाह ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की और इसी के तहत वह पार्टी के मारे गए कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिले और गरीबों के घर खाना भी खाया। ममता सरकार पर अमित शाह जमकर बरसे और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा भी कर दिया। वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके है। अब नतीजों का इंतजार है। 10 तारीख को नतीजे आएंगे। लेकिन इस सप्ताह सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा रही कि क्या वाकई नीतीश कुमार 2025 के चुनाव में नहीं लड़ेंगे?
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केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि वह राज्य में राजनीतिक हत्याओं पर श्वेत-पत्र लेकर आएं और हैरानी जताई कि प्रदेश सरकार ने क्यों राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अपराध के आंकड़े नहीं भेजे। संशोधित नागरिकता कानून के लागू होने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि कानून अपनी जगह है और यह केंद्र सरकार का संकल्प है। शाह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “विकास के नए युग में हम एक मजबूत बंगाल बनाने का लक्ष्य रखते हैं। ममता बनर्जी अपने भतीजे को अगला मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य रखती हैं।” उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल सरकार ने 2018 से एनसीआरबी को अपराध के आंकड़े नहीं भेजे हैं। मैं कहना चाहता हूं कि ममता बनर्जी राजनीतिक हत्याओं पर श्वेत-पत्र लेकर आएं। राजनीतिक हत्याओं के लिहाज से बंगाल शीर्ष पर है।” राज्य में सरकारी अधिकारियों का राजनीतिकरण और अपराधीकरण होने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “पश्चिम बंगाल में तीन कानून हैं- एक भतीजे के लिये, एक अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के लिये और एक आम लोगों के लिये।” राज्यपाल जगदीप धनखड़ और प्रदेश सरकार के बीच टकराव पर शाह ने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक दायरे के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राज्यपाल के खिलाफ इस्तेमाल शब्द अस्वीकार्य हैं। मैं जानना चाहूंगा कि (दार्जिलिंग) के जिलाधिकारी कहां हैं जिन्हें राज्यपाल से मुलाकात के बाद हटाया गया था।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि आज मेरा बंगाल का दो दिवसीय दौरा समाप्त हो रहा है। इस दौरे के दौरान भाजपा के 4 विभागों के कार्यकर्ता और समाज के अन्य कार्यकर्ताओं से मिलना हुआ। करीब 180 से ज्यादा संस्थाओं के प्रतिनिधियों से भी संवाद हुआ। इस बीच उन्होंने कहा कि 2010 में बड़े चाव के साथ 11 अप्रैल को मां, माटी और मानुष के नारे के साथ बंगाल में परिवर्तन हुआ था। बंगाल की जनता के मन मे ढेर सारी अपेक्षायें और आशाएं थी। उन्होंने कहा कि कम्यूनिस्ट शासन से त्रस्त होकर ममता बनर्जी के हाथों में बंगाल की कमान दी गई थी। मगर आज मां, माटी और मानुष का नारा तुष्टिकरण, तानाशाही और टोलबाजी में परिवर्तित हो गया है। तृणमूल सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकी है। शाह ने कहा कि बंगाल की जनता में एक अजीब प्रकार का वातावरण दिख रहा है। मैं जहां भी गया तो सैकड़ों लोग सकड़ों पर आए थे। जब वो भारत माता की जय, वंदे मातरम, जय श्रीराम के नारे लगाते थे, वो हमारे स्वागत में कम, ममता सरकार के प्रति गुस्से को ज्यादा दिखाते थे।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोलकाता के उत्तर में स्थित बगुईहाटी में मतुआ समुदाय के एक सदस्य के घर गए और वहां पर दोपहर का भोजन किया। समुदाय के एक सदस्य नवीन बिस्वास के घर जाने से पहले शाह मोहल्ले में स्थित मतुआ समुदाय के एक मंदिर में गए और वहां कुछ समय व्यतीत किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के ‘‘खोए गौरव’’ को वापस लाने की आवश्यकता है और राज्य में ‘‘तुष्टिकरण की मौजूदा राजनीति’’ ने राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना को बनाए रखने की अपनी सदियों पुरानी परंपरा को चोट पहुंचाई है। शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल चैतन्य महाप्रभु, श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद जैसी हस्तियों की भूमि है। उन्होंने कहा कि यह राज्य पहले पूरे देश में आध्यात्मिक जागृति का केंद्र हुआ करता था।
अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आश्वासन दिया है: भाजपा नेताओं ने कहा
केंद्रीय गृह मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई को आश्वासन दिया कि केंद्र राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विधानसभा चुनाव सुनिश्चित करेगा। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी। राज्य में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई 2021 में होने की उम्मीद है। शाह ने भाजपा की एक आंतरिक बैठक को संबोधित करते हुए राज्य इकाई को कड़ी मेहनत करने के लिए कहा ताकि पार्टी तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाकर राज्य में अगली सरकार बना सके। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठन को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि केंद्र की जन-समर्थक नीतियों के बारे में आम लोग अवगत हों। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बैठक के बाद कहा, ‘‘बैठक के दौरान अमित शाह जी ने कहा कि कुछ लोग पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान हिंसा के बारे में आशंकित हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 मेरा अंतिम चुनाव: नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में हो रहा विधानसभा चुनाव उनका अंतिम चुनाव है। पूर्णिया के धमदाहा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। परसों मतदानहै और यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला। ’’ गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने साल 1977 में अपना पहला चुनाव लड़ा था। वह कई बार लोकसभा के सांसद रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे। नीतीश कुमार साल 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। जनता से बिहार के विकास के लिए राजग को वोट देने की अपील करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य की पहले की स्थिति और आज की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य को अभी विकास के नए आयाम तय करने हैं और इसके लिए राजग के पक्ष में मतदान जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘जब हमें काम करने का मौका मिला, तब हमने कहा था कि न्याय के साथ विकास किया जाएगा। हमने अपना वादा पूरा किया। हमने किसी की भी उपेक्षा नहीं की, सबको साथ ले कर चले, सबका विकास किया। आगे मौका मिला तो राज्य को विकास की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।
जदयू का दावा: नीतीश के दिमाग में रिटायरमेंट नहीं
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मचा दी है कि यह विधानसभा चुनाव उनका अंतिम चुनाव है। उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) ने स्पष्ट रूप से उन चर्चाओं को खारिज कर दिया कि पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार राजनीति से संन्यास लेने के बारे में सोच रहे हैं। 30 वर्षों से भी अधिक समय से नीतीश कुमार के साथ जुड़े रहने वाले और वर्तमान में पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख व दिग्गज समाजवादी नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने इन विवेचनाओं को खारिज कर दिया। कुमार के इस बयान पर विपक्षी दलों की ओर से प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई जिनका दावा है कि कुमार के बयान से लगता है कि वह अपनी हार मान चुके हैं। राज्यसभा सांसद सिंह ने कहा, ‘‘क्या कोई राजनीतिक या सामाजिक कार्यकर्ता कभी सेवानिवृत्त होता है? क्या नीतीश कुमार खुद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं?’’ सिंह ने कहा, ‘‘यदि पूरा बयान सुने या संदर्भ को समझे बिना विपक्ष अपनी गलतफहमी से खुश हो रहा है, तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। जबकि तथ्य यह है कि तीसरे और अंतिम चरण के चुनाव के लिए प्रचार से कुछ समय पहले वह अपनी अंतिम चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे, जिसका वह जिक्र कर रहे थे।’’ राज्य के मंत्री संजय कुमार झा ने भी इसी तरह की बात कही। मुख्यमंत्री के करीबी झा ने बताया, 2005 के बाद से हर बार प्रचार के दौरान अपनी आखिरी जनसभा में कुमार इस तरह कहते रहे हैं। इसका यह मतलब निकालना कि यह उनका आखिरी चुनाव है, यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक जनता चाहती है, तब तक कुमार राज्य और यहां के लोगों की सेवा करते रहेंगे।’’
विपक्ष का तंज
राजद की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इस पर कहा, हमारी बात सही साबित हुई। हम सब कह रहे थे कि नीतीश कुमार थक चुके हैं और अब बिहार पर शासन करने में वह सक्षम नहीं है। सेवानिवृत्ति उनके लिए अच्छी रहेगी।’’ इसके साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने भी मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर तंज कसा है। चिराग ने ट्वीट कर कहा, ‘‘साहब ने कहा है कि यह उनका आख़िरी चुनाव है। इस बार पिछले 5 साल का हिसाब दिया नहीं और अभी से बता दिया कि अगली बार हिसाब देने आएँगे नहीं। अपना अधिकार उनको ना दें जो कल आपका आशीर्वाद फिर माँगने नहीं आएँगे। अगले चुनाव में ना साहब रहेंगे ना जे॰डी॰यू॰।फिर हिसाब किससे लेंगे हम लोग?’’ कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्रा ने मुख्यमंत्री के बयान को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया।
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