Chai Par Sameeksha: तीन राज्यों के चुनाव परिणाम से सबसे बड़ा झटका Congress को लगा या किसी और को

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ANI
अंकित सिंह । Mar 6 2023 5:31PM

मल्लिकार्जुन खड़गे की बातों का उदाहरण देते हुए नीरज दुबे ने कहा कि आप छोटे राज्यों गंभीरता से लेते ही नहीं हैं। बड़े राज्यों में आप है नहीं। तो आखिर आप बचे कहां हैं? इसके अलावा नीरज दुबे ने तृणमूल कांग्रेस पर भी अपनी बात रखी।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी भाषण की समीक्षा की गयी। प्रभासाक्षी संपादक नीरज कुमार दूबे ने कहा कि तीन राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आ चुके हैं। जनता ने एक बार फिर भाजपा को चुन लिया है यह कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात यह है कि जनता ने इन चुनावों में किन-किन दलों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बड़ी बात यह भी है कि जनता ने किन पॉलिटिकल प्रयोगों को खारिज किया है। नीरज दुबे ने कहा कि 2023 की पहली जो चुनावी जीत है उसे दर्ज करके बीजेपी ने अपना विजय रथ को और भी आगे बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पूर्वोत्तर में कमल खिला है। वह अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि भाजपा को गाऊबेल्ट की पार्टी माना जाता था। लेकिन अब यह पूर्वोत्तर में भी जीत हासिल कर रही है। उन राज्यों में जीत रही है जहां क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोग ज्यादा है। 

नीरज दुबे ने त्रिपुरा की बात करते हुए कहा कि भाजपा ने 2018 में वहां वामपंथ के किले को खत्म किया था। लेकिन प्रतिमा भौमिक ने इस बार वामपंथ के भीतर का जो किला था उसे भी खत्म कर दिया। इस बार भाजपा वह सीट जीतने में कामयाब रही जहां से मनिक सरकार और बड़े वामपंथी नेता चुनाव लड़ा करते थे। त्रिपुरा में भाजपा की जीत को नीरज दुबे ने बड़ी बताया क्योंकि वहां पर वामपंथी और कांग्रेस गठबंधन तो था ही इसके अलावा टिपरा मोथा एक क्षेत्रीय दल भी मजबूती से उभरा है। उन्होंने कहा कि इस चुनावी नतीजे से उन लोगों को भी करारा जवाब मिला है जो भाजपा को हिंदुत्ववादी पार्टी बताते थे। नागालैंड में भाजपा फिर से अगर सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही है। जाहिर सी बात है कि वहां पर जो क्रिश्चियन बहुल समाज है वह पार्टी के पक्ष में रहा है। नीरज दुबे ने कहा कि पूर्वोत्तर के नेताओं को उभरने नहीं दिया जाता था। लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर के कई नेता केंद्र सरकार ने कद्दावर मंत्री बने। 

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इसके साथ ही इन चुनावी नतीजों पर नीरज दुबे ने कहा कि लाभ भाजपा को हुआ है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन नुकसान किसको हुआ है, यह बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि उसने चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया था। उसके बारे नेताओं ने तीनों ही राज्यों में चुनाव प्रचार नहीं किया था। उन्होंने यह भी कहा कि शुरू से ही पूर्वोत्तर को कांग्रेस ने हाशिए पर रखा, वहां कई सारी समस्याएं थी जिस को सुलझाया नहीं किया। वहां से हिंसा की खबरें आती थी, इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। लेकिन अब वहां पर स्थिति बदल रही है। विकास के कार्य हो रहे हैं। शांति पर जोर दिया जा रहा है। कई बड़े समझौते हो रहे हैं। 

मल्लिकार्जुन खड़गे की बातों का उदाहरण देते हुए नीरज दुबे ने कहा कि आप छोटे राज्यों गंभीरता से लेते ही नहीं हैं। बड़े राज्यों में आप है नहीं। तो आखिर आप बचे कहां हैं? इसके अलावा नीरज दुबे ने तृणमूल कांग्रेस पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में तृणमूल कांग्रेस ने पूरा दम लगाया था। अभिषेक बैनर्जी लगातार कैंपेन कर रहे थे। मेघालय में ममता बनर्जी ने जमकर प्रचार किया था। लेकिन कहीं कुछ हाथ नहीं लगा। नीरज दुबे ने कहा कि यह ममता बनर्जी के राष्ट्रीय राजनीति को बड़ा झटका है। इसके अलावा उन्होंने जदयू, एनसीपी जैसे दलों को भी चुनावी परिणामों से सबक लेने की सलाह दी। 

इसके अलावा, प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि विदेशी धरती से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर भारत सरकार और भारतीय संवैधानिक संस्थानों पर जोरदार निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि राहुल गांधी व्याख्यान देने गये थे या अपने ऊपर हो रहे कथित अत्याचारों का वर्णन करने? उन्होंने कहा कि सवाल यह भी उठता है कि यदि India में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है तो उसे मजबूत करने के प्रयास यहां करने होंगे या विदेशी विश्वविद्यालय में?  राहुल गांधी के बयानों पर नीरज दुबे ने सवाल किया कि आप जो व्याख्यान देने गए थे, वह व्याख्यान था या आपके ऊपर कथित अत्याचारों का वर्णन था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पेगासस को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच बैठाई थी और मोबाइल जमा करने के लिए कहा गया था तो आपने क्यों नहीं किया? उन्होंने साफ कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने एक अभियान बना लिया है, भारत के खिलाफ नकारात्मक बातें फैलाने का और उसमें वे लगे हुए है।

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