यूपीआईटीएस जैसे आयोजनों से यूपी की बन रही नई पहचान

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यूपीआईटीएस के आयोजन में एक पूरा और एक्स्क्लूसिव हॉल इलेक्ट्रॉनिक्स का रहा, जिनमें देश के 100 से अधिक स्टार्टअप्स और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए और लोगों को अपनी तरक्की से प्रभावित किया।

पिछली सदी के अस्सी के दशक में जिस उत्तर प्रदेश  को बीमारू कहकर उपहास उड़ाया जाता था, उसी यूपी में यूपीआईटीएस का भव्य आयोजन होना मामूली बात नहीं है। राज्य के तेजी से विकसित हो रहे ग्रेटर नोएडा शहर में 25 से 29 सितंबर तक चले उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो में देशभर की बड़ी कंपनियों का जुटान यह बताने के लिए काफी है कि राज्य में निवेश और कारोबार को लेकर भरोसा बढ़ रहा है। 

चार दिनों तक चले यूपीआईटीएस का आयोजन 15 हॉल में किया गया था। वैसे तो अपने आप में सभी हॉल यूपी में आ रहे बदलाव और उसमें कारोबार और निवेश की दुनिया के दिग्गजों की दिलचस्पी की कहानी कह रहे थे। लेकिन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है, यूपी इन्वेस्ट का हॉल, जिसमें देश के तकरीबन सभी अहम क्षेत्रों की कंपनियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। जिनमें देश की अग्रणी अडानी, अंबानी, रिलायंस, लुलु हाइपर मार्केट, वाइब्स जैसी कंपनियां शामिल रहीं। 

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इस आयोजन में एक पूरा और एक्स्क्लूसिव हॉल इलेक्ट्रॉनिक्स का रहा, जिनमें देश के 100 से अधिक स्टार्टअप्स और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए और लोगों को अपनी तरक्की से प्रभावित किया। साल 2018 में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने स्थानीय उत्पादों को बाजार और पहचान मुहैया कराने के लिए एक जिला, एक उत्पाद नाम से योजना शुरू की थी।  जिसे संक्षेप में ओडीओपी के नाम से जाना जाता है। यूपीआईटीएस के इस आयोजन में ओडीओपी के लिए भी अलग से हॉल तैयार था,  जिसमें राज्य के सभी 75 जिलों के 325 उत्पादक अपने स्थानीय विशेष उत्पादों के साथ मौजूद रहे। गौर करने की बात यह है कि इनमें काफी संख्या महिलाओं की रही। इस योजना के जरिए अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचा रहे कुछ दिव्यांग कारोबारी भी इसमें शामिल थे। इस आयोजन में पशुधन विकास, दुग्ध उद्योग, मत्स्य पालन, कृषि उत्पाद और खाद्य संरक्षण की भी कंपनियां शामिल रहीं और अपने उत्पादों को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।  इस आयोजन में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र फूड प्रोसेसिंग वाला हॉल रहा, जहां उत्तर प्रदेश के स्थानीय खाद्य उत्पादों और व्यंजनों को बतौर नमूने प्रस्तुत किया गया। लोगों ने उनके स्वाद का भरपूर लुत्फ उठाया और उनकी खरीददारी भी की।

  

इस आयोजन का 14 और 15 नंबर का हॉल निर्यातकों के लिए विशेष तौर पर आरक्षित था। जिसमें उत्तर प्रदेश के करीब सभी निर्यात होने वाले उत्पाद प्रदर्शित किए गए। ये हॉल विदेशी ग्राहकों को सबसे ज्यादा लुभाते दिखे। यहां जमकर खरीददारी भी हुई और ऑर्डर भी मिले। यहां यह भी बताना जरूरी है कि इसे देखने के लिए दुनियाभर से करीब 400 लोगों को आमंत्रित किया गया था।  हालांकि कुछ विदेशी ग्राहक ऐसे भी थे, जो खुद यहां पहुंचे। विदेशी ग्राहकों और कंपनियों को यहां राज्य के उत्पादकों और निर्यातको को कारोबारी बैठक के लिए सुविधा भी उपलब्ध कराई गई। जिसका राज्य को फायदा भी हुआ और करोड़ों रुपए के ऑर्डर भी मिले। ऊर्जा, नवीकरण ऊर्जा, और रक्षा उत्पाद को भी इस हॉल में प्रदर्शित किया गया था। 

इस आयोजन में शिक्षा से जुड़ी तमाम संस्थाएं जिनमें कुछ बड़े विश्वविद्यालय भी शामिल थे, ने युवाओं को अपनी सुविधाओं और योजनाओं की जानकारी दी। पांच दिनों तक चले इस आयोजन में पांच सत्रों का आयोजन किया गया, जो ई कॉमर्स ट्रेंड्स और अवसर, नवाचार और स्टार्टअप्स, देश की निर्यात क्षमता, आदि पर आधारित थे। इस आयोजन में रोजाना शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी प्रस्तुत किया गया। पांच दिनों के इस आयोजन में यहां आए लोगों को जौनपुर और लखनऊ के टुंडे कबाब, बलिया का लिट्टी-चोखा, कानपुर की चाट, खुर्जा की खुरचन, आगरा का पंछी पेठा, मथुरा का पेड़ा और बनारस का पान आदि राज्य के खांटी देसज व्यंजनों का स्वाद भी चखने को मिला। 

इस आयोजन की उपलब्धि ही कही जाएगी कि आयोजन के चौथे दिन उद्यमियों को अमेरिका, फ्रांस और जापानी कंपनियों से 100 करोड़ रुपए से अधिक के ऑर्डर प्राप्त हुए। इस दौरान बिरला एयरकॉन और सोनी के बीच जहां 50 करोड़ का करार हुआ, वहीं मदरसन कंपनी को 25 करोड़ के ऑर्डर मिले। इसी तरह आइसक्रीम की मशहूर कंपनी वडीलाल और जैन शिकंजी को 10-10 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिले। पूरे आयोजन में करीब 5 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।  

यूपीआईटीएस 2024 का सहयोगी आयोजक वियतनाम रहा। जिसके राजदूत की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान वियतनाम ने राज्य में खाद्य प्रसंस्करण एवं आईटी के क्षेत्र में निवेश को लेकर उत्सुकता जाहिर की। इस मौके पर पिछले साल यानी 2023 के आयोजन की याद आना स्वाभाविक है। तब आयोजन के पहले दिन यानी 21 सितंबर को अपेक्षाकृत कम भीड़ देखने को मिली थी, हालांकि बाद के हर दिन को लोगों के आने का सिलसिला बढ़ता ही गया। दूसरे दिन 48 हजार लोग मेले में पहुंचे थे। वहीं तीसरे दिन मेले में आने वालों की संख्या बढ़कर 70 हजार पहुंच गई। चौथे दिन 88 हजार से अधिक जबकि पांचवें और अंतिम दिन संख्या 90 हजार के पार पहुंच गई।

बहरहाल यूपीआईटीएस के बीते आयोजन में राज्य के हस्तशिल्प उद्योग को नई उड़ान मिली है। इस दौरान राज्य के हस्तशिल्प उत्पादों की जबरदस्त खरीदारी हुई। इस आयोजन के दौरान 75 हजार कारोबारी निर्यात के ऑर्डर भी मिले। इससे ऐसा लगता है कि राज्य के लघु उद्योगों को नई पहचान मिल रही है। इस बार का आयोजन पिछली बार की तुलना में एक कदम आगे रहा है। कभी उत्तर प्रदेश को भदेस और उसके उत्पादों को उपहास की नजर से देखा जाता था। लेकिन यूपीआईटीएस जैसे आयोजनों के चलते उत्तर प्रदेश की पहचान भदेस से निकल रही है और राज्य नए सिरे से ना सिर्फ अपनी पहचान हासिल करता दिख रहा है, बल्कि राज्य के हस्तशिल्प और दूसरे उत्पादों को वैश्विक बाजार मिलता दिख रहा है।

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