History Revisited: स्क्रिप्टेड अटैक और खत्म हो गया इमारत का पूरा वजूद, क्या अमेरिका ने रची थी 9/11 हमले की साजिश?
अमेरिकी की तरफ से इराक में जारी युद्ध और अफगानिस्तान पर हमले का बहाना ढ़ूढने के लिए ये साजिश रची और इस हमले का दोष अल कायदा के मत्थे मढ़ दिया। कहा जाता है कि इजरायली खुफिया एजेंसी को इन हमलों की जानकारी थी और इसलिए इन हमलों में एक भी यहूदी नहीं मारा गया था।
9/11 ये सुनकर हमारे मन मस्तिष्क में 2 साल पुराना कैलेंडर पलटने लगता है और नजर गोला बनाती है उस तारीख पर जिसने लगभग पूरी दुनिया का चाल, चरित्र और चेहरा बदल कर रख दिया। वो तारीख थी 11 सितंबर 2001, जब अलकायदा के चार आंतकियों ने विमानों को हाइजैक कर अमेरिका पर हमला कर दिया था। न्यूयार्क का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर इस हमले का एपी सेंटर था। हमले में इमारत के दोनों टॉवर्स धराशायी हो गए। मरने वालों की संख्या तीन हजार तक पहुंची। अमेरिका की धरती पर पहली बार इतना बड़ा हमला हुआ था। जाहिर है इस क्रिया की प्रतिक्रिया लाजिमी थी। इसके बाद जो कुछ हुआ उसके निशान आज तक देखने को मिल रहे हैं। 11 सितंबर 2022 को इस हमले के 21 साल पूरे हो गए। लेकिन आज भी 9/11 आतंकी हमले को लेकर कई सवाल खड़े किए जाते है। कई लोगों का मानना है कि ये हमला महज एक अमेरिकी साजिश का नतीजा था। उसने बहुत लापरवाही बरतते हुए इन हमलों को होने दिया, जिससे वो एक साथ कई निशाने साध सके।
ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में दावा
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने अमेरिका में हुए 9/11 हमसे से संबंधित एक विस्तृत रिपोर्ट छापी थी। जिसमें इस हमले से संबंधित सभी कन्ट्रोवर्सीज को शामिल किया गया था। इनमें किताबों, फिल्मों और विभिन्न वेबसाइटों के उन भागों को शामिल किया गया था, जिसमें 9/11 के हमले को अमेरिकी साजिश साबित करने की कोशिश की गई थी। द गार्जियन के मुताबिक 9/11 पर जो किताब लिखी गई काफी चर्चित हुई। इसके अलावा जो भी फिल्म बनाई गई उसने काफी कमाई की। यहां तक की हमले की जानकारी देने वाली वेबसाइटें भी हिट रहीं। इन सभी की थ्योरी यही कहती है कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हुआ हमला अल कायदा की साजिश से कही ज्यादा जटिल मसला है।
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क्या हैं इन दावों की वजह
अमेरिकी की तरफ से इराक में जारी युद्ध और अफगानिस्तान पर हमले का बहाना ढ़ूढने के लिए ये साजिश रची और इस हमले का दोष अल कायदा के मत्थे मढ़ दिया। कहा जाता है कि इजरायली खुफिया एजेंसी को इन हमलों की जानकारी थी और इसलिए इन हमलों में एक भी यहूदी नहीं मारा गया था। कहा जाता है कि टावरों से टकराने वाले प्लेन विस्फोटकों से भरे थे और इन्हें रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया गया था। पेंटागन की बिल्डिंग पर हुए हमले को लेकर दावा किया जाता है कि इस पर अमेरिकी एयरक्राफ्ट से नहीं बल्कि मिसाइल से हमला किया गया था। पेंटागन पर हमले में कंजर्वेटिव टीवी कमेंटेटर बारबरा ओल्सन की मौत हो गई थी। उन्होंने इस घटना से कुछ मिनट पहले ही अपने सॉलिसिटर जनरल पति को फोन किया था। कहा जाता है कि ओल्सन को गुपचुप तरीके से किडनैप कर लिया गया था और फोन कॉल में सुनाई देने वाली आवाज नकली थी, जिसे टेक्नोलाजी के जरिये तैयार किया गया था। बाद में बारबार के मृत शरीर को समुद्र में फेंक दिया गया था।
पूर्व सीआईए एजेंट का खुलासा
न्यू जर्सी के अस्पताल से रिहा होने के बाद रिटायर सीआईए एजेंट माल्कॉम हावर्ड ने 9/11 को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए थे। उन्होंने कहा था कि 1997 से 2001 के बीच सीआईए के संचालन में उन्होंने काम किया। ज़िंदगी के आखिरी पडाव पर खड़े माल्कॉम कहते हैं कि मेरे पास अब कुछ ही वक्त बाकी है और वो ये बताना चाहते हैं कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर धमाके की साजिश में वो शामिल थे। उस वक्त सीआईए ऊपर से आने वाले आदेशों पर काम कर रहा था। हावर्ड ने कहाकि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का विध्वंस उनके जीवन का इकलौता अनोखा विध्वंस रहा है। उन्होंने कहाकि वो एक सच्चे देशभक्त हैं इसीलिए उन्होंने वाइट हाउस या सीआईए के निर्णयों पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया है। लेकिन अब उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं कुछ ऐसा था जो सही नहीं था।
11 सितंबर: द बिग लाई: वर्ष 2003 के मार्च में पहली बार प्रकाशित होने पर इस किताब की व्यापक रूप से आलोचना की गई। थियरी मेसन्स की 11 सितंबर: द बिग लाई फिर भी अपने दूसरे सप्ताह में फ्रांस की बेस्टसेलर सूची में शामिल हो गया। यूरोप में एक हफ्ते में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली किताब बन गई। इसमें दावा किया गया था कि पेंटागन पर मिसाइल से हमला किया गया था और इसे विमान से हुई दुर्घटना साबित करने के लिए मौके पर एअरक्राफ्ट के टुकड़े लाकर रखे गए थे। 11 सितंबर: द बिग लाइ में, उन्होंने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावरों के विनाश के आसपास की समान विसंगतियों पर भी चर्चा की गई है।
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प्लेन्स विदआउट पैसेंजर्स: द फेक्ड हाइजैकर्स ऑफ 9/11: लेखक डीन टी. हार्टवेल ने लंबे समय से स्पष्ट किया है कि 9/11 को किसी भी यात्री विमान का अपहरण नहीं किया गया था और किसी भी यात्री विमान ने किसी भी इमारत को नुकसान पहुंचाया था। हार्टवेल ने अपनी थीसिस को कथित यात्रियों के साथ क्या हुआ और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अपनी सबसे हाल की किताब में विस्तार से बताया है। इसमें बताया गया है कि हाइजैक किए गए प्लने कभी उड़े ही नहीं थे और अन्य दो विमान सुरक्षित तरीके से किसी गोपनीय स्थासन पर लैंड कर गए थे। कहा जाता है कि अमेरिकी सरकार ने इस तरह के दर्दनाक सीन इसलिए क्रिएट किए ताकि लोग अफगानिस्तान और इराक में कार्रवाई का समर्थन करें।
द इलेवेंथ डे: 9/11 की पूरी कहानी और ओसामा बिन लादेन: अधिकांश अमेरिकियों के लिए 11 सितंबर 2001 देश के इतिहास की सबसे काली तारीख है। लेकिन वास्तव में 9/11 को क्या हुआ था? क्या इसे रोका जा सकता था? अपहर्ताओं की क्रूर कार्रवाइयों से लेकर सरकार की त्रुटिपूर्ण प्रतिक्रिया तक, न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलिंग लेखक एंथनी समर्स और रॉबिन स्वान हजारों आधिकारिक दस्तावेजों, कच्चे टेप, ताजा साक्षात्कार, और परिप्रेक्ष्य के आधार पर द इलेवेंथ डे: 9/11 की पूरी कहानी और ओसामा बिन लादेन कितान लिखी। बुक के को-आथर रॉबिन स्वाईन का कहना हैं कि उन्हें ट्विन टावरों को उड़ाने वाले प्लेन को लेकर पहली बार डाउट हमले के दिन ही हो गया था। डेविड रॉस्टंचेक नामक एक अमेरिकी शख्स ने 11 सितंबर 2001 को चैंटिंग में कहा था, ‘ऐसा लगता है कि टावरों को नियंत्रित तरीके से गिराया गया।
अमेरिका के लोगों का क्या है मानना
साल 2006 में कराए गए एक सर्वे के अनुसार हर तीन में से एक अमेरिकी नागरिक का मानना था कि 9/11 हमले में जॉर्ज बुश प्रशासन की संलिप्ता थी। प्रशासन ने इसे इराक के खिलाफ युद्ध को सही ठहराने या फिर इस तरह की जंग अफगानिस्तान में भी शुरू करने के लिए अंजाम दिया था। एक वक्त में इन कन्ट्रोवर्सिजी ने इतना तूल पकड़ा था कि 2009 में अमेरिकी सरकार को एक डॉक्यूमेंट जारी कर इस पर सफाई भी देनी पड़ी थी।
- अभिनय आकाश
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