जम्मू-कश्मीर के लिए नया सवेरा लेकर आया है साल 2020

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संतोष पाठक । Jan 2 2020 3:24PM

मोदी सरकार ने अपनी पार्टी के स्टैंड को लागू करते हुए न केवल राज्य के लिए लागू अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया बल्कि साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा देते हुए लद्दाख को इससे अलग करते हुए उसे भी केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया।

सरकार ने कश्मीर के लोगों को नए साल का तोहफा दे दिया है। एक जनवरी, 2020 की आधी रात से कश्मीर में एसएमएस सेवा और ब्रॉडबैंड सर्विस को शुरू कर दिया गया है। अब कश्मीर के लोग एक दूसरे को एसएमएस भेज पा रहे हैं और साथ ही सरकारी अस्पतालों में भी अब इंटरनेट सुचारू रूप से काम करने लगा है। एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने इस न्यू ईयर गिफ्ट की घोषणा करते हुए बताया था कि जम्मू-कश्मीर के सभी सरकारी दफ्तरों में ब्रॉडबैंड सुविधा और एसएमएस सुविधा चालू होंगी। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में 31 दिसंबर की मध्य रात्रि से सभी सरकारी अस्पतालों में इंटरनेट सेवाएं और सभी मोबाइल फोन पर एसएमएस सेवाएं बहाल हो जाएंगी। हालांकि इससे पहले, नवगठित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के करगिल जिले में 27 दिसंबर को ही मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई थी।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान को खत्म करने के साथ ही उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की केंद्र सरकार की घोषणा के बाद से ही राज्य में एसएमएस और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई थी। अक्टूबर में 15 दिन के लिए इसे बहाल किया गया था, लेकिन इसके बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया। इस बंदी की वजह से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों व व्यापारियों को भारी असुविधा हो रही थी और लोग सेवाओं को बहाल करने की मांग कर रहे थे।

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सरकार ने लोगों की यह मांग मान ली और इसी के साथ कश्मीर में लगभग 5 महीने से लगी यह पाबंदी अब हटा दी गई है और इसी के साथ जम्मू–कश्मीर को लेकर एक बार फिर से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि राज्य का भविष्य क्या होने जा रहा है ?

2019 इस राज्य के लिए ऐतिहासिक साल रहा। केन्द्र की मोदी सरकार ने अपनी पार्टी के दशकों पुराने स्टैंड को लागू करते हुए न केवल राज्य के लिए लागू अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया बल्कि साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा देते हुए लद्दाख को इससे अलग करते हुए उसे भी नए केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया। 

370 समाप्त होने के बाद नया कश्मीर

370 की समाप्ति और राज्य के विभाजन के अभियान के साथ ही सरकार को राज्य में कई तरह की पाबंदी लगानी पड़ी थी। वैसे आलोचक कुछ भी कहते रहें लेकन कड़वी सच्चाई तो यही है कि कश्मीर के लोगों को इस तरह की पाबंदी झेलने की आदत दशकों से रही है। ऐसे में राज्य के लोगों के लिए यह पाबंदियां कोई नई नहीं थीं लेकिन हां इस बार शांति स्थापित करने के लिए पाबंदियों को कुछ ज्यादा समय तक बढ़ाना पड़ गया था। लेकिन अब यह राज्य तेजी से बदल रहा है और तैयार है 2020 का स्वागत करने के लिए।

2020– जम्मू-कश्मीर के लिए नए सवेरे का प्रतीक

2020 का यह नववर्ष जम्मू-कश्मीर के लिए कई मायनों में नया सवेरा लेकर आया है जिसकी बुनियाद 2019 में ही रख दी गई थी। यह कई स्तरों पर हुआ है और तेजी से लगातार हो भी रहा है। यहां हम दो स्तरों की बात करेंगे– राज्य में कानून-व्यवस्था और शांति की स्थिति एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को लेकर बदल रहा माहौल।


2019 में आतंकी घटनाओं में आई तेजी से कमी– 2020 में खत्म होगा आतंकवाद

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने दावा किया है कि वर्ष 2019 में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के हालात में काफी सुधार आया है। आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम के दौरान भी कश्मीर में कहीं भी कोई पत्थरबाजी नहीं हुई है। सब जगह शांति रही है। दिलबाग सिंह ने दावा किया कि कश्मीर में इस समय 250 के लगभग आतंकवादी सक्रिय हैं, जिसमें 102 पाकिस्तानी हैं। राज्य के डीजीपी के मुताबिक साल 2019 में 130 आतंकवादियों ने घुसपैठ की, जबकि साल 2018 में 143 ने घुसपैठ की थी। आतंकवादी बनने वाले युवाओं की संख्या में भी कमी आई है। साल 2019 में 139 युवा आतंकवादी बने जबकि साल 2018 में 218 युवा आतंकवादी बने थे। साल 2019 में 80 ऑपरेशनों में 160 आतंकवादी मारे गए और 102 को गिरफ्तार किया गया। कानून एवं व्यवस्था की घटनाओं में भी पिछले साल के मुकाबले में 36 फीसदी की कमी आई।

तेजी से लगातार सुधर रहे माहौल को देखते हुए पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने दावा किया कि साल 2020 में पुलिस की प्राथमिकता हालात में पूरी तरह से सुधार लाना है। इस साल नए बने आतंकवादियों में से 89 बचे हुए हैं। नए आतंकवादियों की आयु मात्र चौबीस घंटे से दो तीन महीने ही रही है। पुराने कुछ ही आतंकवादी बचे हुए हैं, जिसमें जहांगीर सरूरी और रियाज नायकू शामिल है। ऐसे में राज्य में अब आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करना असंभव टॉस्क नहीं रह गया है।

हिरासत में लिए गए नेताओं की शुरू हो हई है रिहाई

नव वर्ष से एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के 5 पूर्व विधायकों को हिरासत से रिहा कर दिया गया। पिछले साल अगस्त से ही ये नेता हिरासत में थे। रिहा किए नेताओं में दो नेता पीडीपी के, दो नेशनल कॉन्फ्रेंस के और एक निर्दलीय है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला अभी भी हिरासत में हैं, लेकिन रिहाई की शुरूआत करने से यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में अगर राज्य में शांति रही तो ये सारे नेता भी एक-एक करके बाहर आ ही जाएंगे।


कश्मीर को लेकर बदले यूएन से लेकर अमेरिका तक के सुर– बंट गया इस्लामिक देशों का संगठन भी

पिछले कई दशकों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार और बार-बार कश्मीर का मसला उठता रहा है। दुनिया के जिस फोरम पर भी यह मुद्दा उठा, वहां मौजूद ज्यादातर बड़े देशों की राय में कश्मीर एक विवादित मुद्दा होता था। कई बड़े देश भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की सलाह तो दिया ही करते थे लेकिन छोटे-छोटे देश भी भारत को पाकिस्तान से बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की सलाह देने से बाज नहीं आते थे, खासकर कई इस्लामिक देश। लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही कश्मीर को लेकर दुनिया के सुर बदलते जा रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के पुरजोर विरोध के बाद अब भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात नहीं कर रहे हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के सुर में भी अब बदलाव देखने को मिल रहा है।

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मोदी सरकार की सबसे अहम कामयाबी मानी जा सकती है इस्लामिक देशों के रवैये में आया यू-टर्न। 55 से ज्यादा मुस्लिम देशों के संगठन के मंच पर पाकिस्तान हर साल यह मुद्दा उठाता था और ये देश प्रस्ताव पारित कर कश्मीर के मुद्दे पर भारत की आलोचना किया करते थे। लेकिन समय बदल गया है और यह ऐसा बदला है कि कश्मीर और भारत को लेकर इस्लामिक देशों का यह संगठन भी बिखर गया है और अब इसके ज्यादातर सदस्य देश पाकिस्तान के साथ खड़े दिखाई नहीं देना चाहते हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि 2020 कश्मीर के लिए नया सवेरा लेकर आया है क्योंकि धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को लेकर आवाज कम होती जाएगी और फिर गायब हो जाएगी। इस बीच घरेलू स्तर पर आतंकवाद की कमर भी टूट जाएगी और यही 370 को खत्म करने का उद्देश्य भी है। उस समय जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा भी वापस मिल जाएगा।

-संतोष पाठक

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