अरविंद केजरीवाल के ताबड़तोड़ सियासी हमलों के गहरे निहितार्थ को ऐसे समझिए

Arvind Kejriwal
ANI
कमलेश पांडे । May 13 2024 2:19PM

अरविंद केजरीवाल के ताबड़तोड़ सियासी हमलों से स्पष्ट है कि भाजपा को वह कहीं का भी नहीं छोड़ना चाहते हैं, ताकि वह उनके खिलाफ सियासी षड्यंत्र रचने के काबिल ही नहीं बचे। जैसे पहले उन्होंने कांग्रेस को कमजोर किया और जब खुद कमजोर हुए तो फिर उसी कांग्रेस से गठबंधन करके अपनी सियासी लाज बचा ली।

आम चुनाव 2024 के नाम पर सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत के बाद तिहाड़ जेल से बाहर निकले आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी समेत इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के हित चुनावी विसात बिछानी शुरू कर दी। इसी क्रम में उन्होंने भाजपा पर ताबड़तोड़ हमले किए, जिससे उनके पुराने तल्ख तेवर हर किसी के जेहन में जिंदा हो गए। दरअसल, पहले दिल्ली, फिर पंजाब से कांग्रेस के पांव उखाड़ने के बाद एमसीडी, दिल्ली में भाजपा की जड़ें खोदने वाले अरविंद केजरीवाल एक बार फिर पुराने सियासी अंदाज में आ चुके हैं, जिसके गहरे सियासी मायने हैं। 

पहला, अगला पीएम कौन होगा, इस पर संशय खड़ा करके खुद भी रेस में बने रहने का मंसूबा पाले हुए हैं, क्योंकि इंडिया गठबंधन में इस बात पर फैसला 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगा। उनकी सोच है कि कांग्रेस यदि सम्मानजनक सीट नहीं जीत पाई तो गठबंधन साथियों की लॉटरी लग जाएगी और फिर किसका नाम पीएम पद के लिए उछलेगा, पहले बताना बेईमानी होगी। 

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इसलिए अरविंद केजरीवाल का यह कहना कि यदि पीएम नरेंद्र मोदी जीते तो अगले वर्ष वह रिटायर हो जाएंगे, फिर शाह को पीएम बनाएंगे, एक ऐसा रणनीतिक हमला है, जिसके बाद भाजपा के अंध भक्त भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। कारण कि एक तो अमित शाह अल्पसंख्यक जैन समुदाय से आते हैं, जिसका कोई जातीय जनाधार नहीं है, और दूसरे यह कि उनसे ज्यादा सीनियर और योग्य लोग पार्टी में भरे पड़े हैं। भले ही पीएम मोदी से निकटता के चलते उन्हें प्रोमोट किया गया, लेकिन उनका सियासी वर्चस्व समाप्त होते ही गृहमंत्री अमित शाह भी फिर सियासी हाशिये पर धकेल दिए जाएंगे। 

कुछ यही समझकर तंज कसते हुए अरविंद केजरीवाल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि भाजपा 'इंडिया' से पूछती है कि आप का प्रधानमंत्री कौन होगा। मैं भाजपा से पूछना चाहता हूं, आपका प्रधानमंत्री कौन होगा? क्योंकि नरेंद्र मोदी अगले वर्ष 17 दिसम्बर को 75 साल के हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि खुद मोदी ने भाजपा में 75 साल के बाद सेवानिवृत्ति का नियम बनाया है, जिसके तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को रिटायर्ड किया गया। उस हिसाब से वह भी अगले साल रिटायर होंगे। उसके बाद अमित शाह को पीएम बनाएंगे।

दूसरा, एक देश, एक नेता के चुनाव के अपने खतरे हैं। इससे बचने के लिए ही केजरीवाल इस बात को पब्लिक डोमेन में डाल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि भाजपा वन नेशन वन लीडर मिशन पर काम कर रही है, जो दो स्तर पर चल रहा है। पहला, विपक्षी नेताओं को जेल में डाल देंगे। जैसे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को जेल में डाला। वहीं, अबकी बार जीते तो बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जेल में भेजकर विपक्ष खत्म कर देंगे। दूसरा, भाजपा नेताओं की राजनीति खत्म करना उनका मुख्य मकसद है। इस बार भाजपा जीती तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दो माह में हटा देंगे। अगर भाजपा जीती तो वह विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल देगी। इसलिए उससे सावधान रहने की जरूरत है।

तीसरा, देश में जारी तानाशाही के विरुद्ध अरविंद केजरीवाल एक मुखर आवाज बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं तानाशाही के खिलाफ लड़ रहा हूँ, इसलिए मुझे अब देश के 140 करोड़ लोगों का साथ चाहिए। क्योंकि 'आप' एक छोटी पार्टी है, जिसकी दो राज्यों में सरकार है। 10 वर्ष पुरानी इस पार्टी को भाजपा ने खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक साथ हमारे चार बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया। मगर 'आप' एक सोच है, जिसे जितना खत्म करने की कोशिश करेंगे, यह उतना ही बढ़ेगी। केजरीवाल ने आगे कहा कि भाजपा को सिर्फ आप से खतरा है, इसलिए उसके नेता हमें कुचलना चाहते हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अगर काम करोगे तो कोई खतरा नहीं है, लेकिन उन्हें काम करने के बजाय काम करने वालों को खत्म करना है। आप के साथ उन्होंने जो किया वह जनतंत्र नहीं है। 

चतुर्थ, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आम आदमी पार्टी ततपर है। इसलिए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र में अगली सरकार विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की बनेगी और आम आदमी पार्टी केंद्र में सरकार का हिस्सा होगी। तब दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने यहां तक कहा कि मुझे पद का लालच नहीं है। एक बार मैंने 49 दिन में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अब मैंने इसलिए इस्तीफा नहीं दिया, क्योंकि भाजपा हमारी सरकार गिराना चाहती थी, इस कारण मैंने जेल में रहकर सरकार चलाई।

पांचवां, भय, भूख, भ्रष्टाचार मिटाने का वादा करने वाली भाजपा अब उसी का पर्याय बन चुकी है, जिससे लोगों में जनाक्रोश व्याप्त है। अरविंद केजरीवाल ने दो टूक शब्दों में कहा कि सारे भ्रष्टाचारी भाजपा में हैं, क्योंकि जिन पर आरोप लगाया जाता है, उन्हें भाजपा में शामिल करा लिया जाता है। फिर ईडी और सीबीआई से उनके केस खत्म करा दिए जाते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुझे लगता है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। क्योंकि भाजपा का लक्ष्य केवल विपक्षी नेताओं को जेल में डालना है। जब वो हमें हरा नहीं पाए तो हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचा कि केजरीवाल को जेल भेजो, सरकार गिर जाएगी। मगर हम उनकी साजिश में नहीं फंसे और मैंने जेल में रहकर ही संघर्ष किया।

इस प्रकार अरविंद केजरीवाल के ताबड़तोड़ सियासी हमलों से स्पष्ट है कि भाजपा को वह कहीं का भी नहीं छोड़ना चाहते हैं, ताकि वह उनके खिलाफ सियासी षड्यंत्र रचने के काबिल ही नहीं बचे। जैसे पहले उन्होंने कांग्रेस को कमजोर किया और जब खुद कमजोर हुए तो फिर उसी कांग्रेस से गठबंधन करके अपनी सियासी लाज बचा ली। इसी प्रकार वो अब भाजपा पर निशाना साध रहे हैं, जिसके गहरे सियासी निहितार्थ हैं। 

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

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