PoK में क्यों लग रहे आजादी आजादी के नारे? क्या बांग्लादेश की तरह यह क्षेत्र भी पाक के हाथ से जायेगा?

Protest Gilgit Baltistan
Prabhasakshi

पीओके के हालात पर नजर डालें तो चाहे बात रोजगार की हो, विकास की हो, शिक्षा की हो, स्वास्थ्य सेवाओं की हो या फिर अन्य बुनियादी सुविधाओं की हो...हर मोर्चे पर पाकिस्तान और वहां की स्थानीय सरकार विफल है।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं क्योंकि आक्रोशित जनता सड़कों पर उतर कर आजादी आजादी के नारे लगा रही है। पीओके के कश्मीरी युवा पाकिस्तान सरकार और सेना के विरोध में 'ये जो दहशतगर्दी है उसके पीछे वर्दी है' जैसे नारे लगा रहे हैं। पीओके के लोगों का कहना है कि अगर पाकिस्तान की सरकार ने कब्जे वाले कश्मीर के लोगों पर दमन जारी रखा तो वह विद्रोह करने के लिए तैयार हैं। धीरकोट में आजादी आजादी और पाकिस्तान सरकार मुर्दाबाद के नारों के बीच एक प्रदर्शनकारी असीम रजा ने कहा कि पाकिस्तान ने जिस तरह 1971 में बांग्लादेश को खो दिया उसी तरह पीओके को भी जल्द खो देगा।

पाकिस्तान कश्मीर के प्रति जो दिखावा दुनिया के सामने करता है उसकी हकीकत खुद पीओके के लोग बयां कर रहे हैं। पीओके के लोग सरकार के भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और अत्याचार से परेशान हैं। वहां सरकार ने ठेके पर काम करने वाले श्रमिकों की नौकरियों को पक्का करने के लिए जो कानून बनाया था, उसका लाभ केवल उन्हीं लोगों को मिला, जिनकी सत्ताधारी पार्टी और उसके नेताओं से करीबी थी। गिलगिट बाल्टिस्तान में भी जो सरकार के अत्याचार के विरोध में आवाज उठाता है उसे पकड़ कर जेल में ठूंस दिया जाता है। लोग कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने साथियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इससे बेपरवाह है।

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पीओके के हालात पर नजर डालें तो चाहे बात रोजगार की हो, विकास की हो, शिक्षा की हो, स्वास्थ्य सेवाओं की हो या फिर अन्य बुनियादी सुविधाओं की हो...हर मोर्चे पर पाकिस्तान और वहां की स्थानीय सरकार विफल है। पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला यह इलाका पिछले 70 साल से ज्यादा समय से तमाम तरह की दुश्वारियां झेल रहा है। लेकिन अब जनता को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है इसलिए वह विद्रोह के लिए उठ खड़ी हुई है।

हम आपको बता दें कि पीओके तमाम तरह की बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझने के साथ ही कई घंटों की लगातार बिजली कटौती की समस्या से भी जूझ रहा है। इससे जहाँ आम लोगों को परेशानी हो रही है वहीं छोटे व्यापारियों का बड़ा नुकसान भी हो रहा है। छोटे मोटे कारखाने चलाने वालों के सामने मुश्किल यह है कि बिजली होती नहीं है जिससे मशीनें ठप पड़ी रहती हैं और मजदूर सारा-सारा दिन बिजली आने के इंतजार में बैठे रहते हैं। जितने समय बिजली आती है तो उसका वोल्टेज इतना कम होता है कि मोबाइल फोन ही उसमें बमुश्किल चार्ज किया जा सकता है। यह हालात तब हैं जब इस इलाके में हजारों मेगावाट बिजली पैदा की जाती है। बिजली बिलों में भी प्रशासन ने तमाम तरह के टैक्स लगा दिये हैं जिससे भी लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

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पीओके के लोगों की परेशानियां यहीं खत्म नहीं होतीं। एक तो 70 साल से अधिक समय से कोई सुविधा नहीं दूसरा पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध छेड़ा हुआ है उसके लिए पीओके की जमीन का ही इस्तेमाल किया जाता है। पीओके में ही पाकिस्तान के सारे आतंकी प्रशिक्षण केंद्र हैं जिसकी वजह से पूरी दुनिया में यहां की बदनामी होती है। इसके अलावा पीओके में चल रही चीन की परियोजनाओं के विरोध में भी आवाजें उठ रही हैं। पीओके के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि ना तो उन्हें आज तक ईमानदार और वादे पूरे करने वाली सरकार मिली और ना ही पाकिस्तान के कुत्सित इरादों से आजादी। इसलिए अब वहां आजादी आजादी के नारे लग रहे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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