यदि रूस ने एटमी जंग छेड़ दिया तो अमेरिका व उसके मित्र देशों की तबाही तय है?

Vladimir Putin
ANI
कमलेश पांडे । Nov 21 2024 2:50PM

बहरहाल, रूस ने जिस तरह से दावा किया है कि यूक्रेन ने अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइल से उस पर हमला किया है। लिहाजा वह उचित तरीके से जल्द जवाब देगा, से यूरोपीय देशों में खलबली मच गई है।

भारत के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि "छीनता हो सत्व कोई, और तू त्याग-तप के काम ले यह पाप है। पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे, बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ हो।" शायद अपने मित्र देश के त्रिकालदर्शी कवित्व सोच पर ततपरतापूर्वक अमल करते हुए ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी "नई परमाणु नीति-2024" पर साइन की हो। जिसमें दो टूक घोषणा की गई है कि यदि किसी भी परमाणु शक्ति वाले देश के समर्थन से कोई रूस पर हमला करता है तो इसे उनके देश पर संयुक्त हमला माना जाएगा। इसके तहत, अगर कोई देश किसी परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के सहयोग से रूस या उसके मित्र देश पर हमला करता है, तो इसे रूस पर साझा हमला माना जाएगा और ऐसी हालात में रूस एटम बम का इस्तेमाल कर सकता है। बता दें कि पुतिन की न्यूक्लियर डेटरेट फोर्स में जमीनी, समुद्री और वायुसेना शामिल है, यानी हमले पर रूस तीनों जगहों से पलटवार करेगा।

ऐसे में सवाल उठता है कि नई नीति पर साइन करने के बाद यदि रूस पर कोई भी बड़ा हवाई या ड्रोन हमला होता है तो वह परमाणु प्रतिक्रिया को जन्म दे सकता है। क्योंकि यूक्रेन संघर्ष के 1000 वें दिन रूस ने परमाणु हमले पर जो अपनी नीति बदली है, उससे स्पष्ट है कि अमेरिकी शह पर यदि यूक्रेन ने रूस के विरूद्ध ज्यादा घातक कार्रवाई की तो रूस इस हमले का जवाब एटम बम से देगा। यह सीधे में बने पूरे गठबंधन खासतौर पर अमेरिकी अगुआई वाले नाटो को दिया गया स्पष्ट संकेत है। हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस परमाणु युद्ध छिड़ने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश करेगा। 

लेकिन सवाल है कि वह भी ऐसा तभी कर पाएगा जबकि दुनिया का सुपर पावर अमेरिका उसके पड़ोसी देशों को उकसाने की कार्रवाई बंद करेगा, जो वह करने वाला नहीं है। क्योंकि यह उसकी फितरत है, सत्तागत प्रवृत्ति है, कारोबारी प्रकृति है, जो हथियार निर्माता लॉबी की हथियार खपाओ रणनीति पर काम करती है, आधारित होती है।

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बहरहाल, रूस ने जिस तरह से दावा किया है कि यूक्रेन ने अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइल से उस पर हमला किया है। लिहाजा वह उचित तरीके से जल्द जवाब देगा, से यूरोपीय देशों में खलबली मच गई है। नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड जैसे नाटो के देशों ने अपने-अपने नागरिकों को युद्ध के गंभीर होने को लेकर सतर्क किया है। 

आलम यह है कि जहां एक ओर अमेरिका, यूक्रेन को रूस पर हमले के लिए लंबी दूरी की मिसाइल के उपयोग की अनुमति देता है, उसे अमेरिकी लैंड माइंस देने का निर्णय लेता है, वहीं, दूसरी ओर यूक्रेन की राजधानी कीव में अपने दूतावास रूस के बड़े हमले के भय से बंद कर देता है। उसकी देखा-देखी नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड भी अपने दूतावास बंद कर देते हैं। उधर, यूक्रेन अपने शत्रु रूस के खिलाफ अमेरिकी मिसाइल के उपयोग के बाद ब्रिटिश (इंग्लैंड) मिसाइल का उपयोग करके रूस को और भड़काने की कोशिश करता है। इससे साफ है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेन्स्की विदेशी यानी नाटो देशों की मदद से रूस को पछाड़ने की फितरत से युक्रेनियों को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं, जो उनकी सियासी मूर्खता है।

सवाल है कि जब पुतिन ने अपने देश में परमाणु युद्ध से बचाव वाले शेल्टर्स बनवाने शुरू कर दिए हैं तो यह तय भी कर लिया होगा कि जैसे अमेरिका ने जापान के खिलाफ परमाणु बम का प्रयोग करके विश्वशक्ति बन गया, कुछ वैसी ही ताकत यूक्रेन व उसको शह देने वाले देशों को परमाणु सबक सिखलाकर हासिल की जा सकती है। चीन से लेकर उत्तर कोरिया तक और ईरान जैसे देशों की रूस की इस नई रणनीति को मूक समर्थन प्राप्त है। वहीं, भारत की तटस्थता भी रूस के लिए समर्थन जैसा ही है। 

दरअसल, कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भावनाओं को दरकिनार करते हुए यूक्रेन को रूस के भीतर अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी की दी थी। जिस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पुतिन ने एटमी हथियार से जुड़े नए आदेश पर 19 नवम्बर 2024 मंगलवार को ही दस्तखत किए हैं। बता दें कि रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में सैनिक उतारे थे, जिसके बाद यूक्रेन जंग के 1000 दिन इसी दिन को पूरे हो चुके हैं। 

ऐसे में सुलगता हुआ सवाल है कि आखिर पुतिन ने अपनी एटमी नीति क्यों बदली? तो जवाब में रूसी मामलों के जानकारों का कहना है कि पुतिन का मकसद यही है कि यूक्रेन का समर्थन कर रहे देश उस पर हमला न कर सकें। ऐसे खतरों से बचने के लिए ही एटमी हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत देना एक तरह से पश्चिमी देशों को पीछे हटने को मजबूर करना है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों से इंग्लैंड ने हाल में ही यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दी है, जिसके दृष्टिगत अब तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडराने लगा है? अमेरिका ने तो लैंड माइंस भी देने का निर्णय लिया है। इससे रूस आगबबूला हो चुका है।

सवाल है कि अमेरिकी मंजूरी के बाद लगे हाथ यूक्रेन ने पहली बार रूस के अंदरूनी इलाके में अमेरिकी मिसाइलें दागी हैं। बताया गया है कि यूक्रेनी सेना ने मंगलवार तड़के ब्रांस्क (Bryansk) क्षेत्र में 6 अमेरिकी ATACMS मिसाइलें दागी हैं। हालांकि, रूसी एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 ने 5 मिसाइलों को मार गिराया। यह हमला कोरियाई सैनिकों की मौजूदगी वाले सैन्य ठिकानों पर किया गया। वहीं, रूस ने भी जवाब दिया, जिसमें 12 यूक्रेनीयों की मौतें हुईं हैं। इससे नाटो देशों को अब एटमी जंग का खतरा मंडराता दिख रहा है। लिहाजा, इन देशों ने अपने नागरिको को भयावह जंग के लिए तैयार होने की सलाह दी है। ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, नाटो देशों ने बाकायदा पर्चे छपवाकर लोगों से खाना-पानी जमा करने को कहा है। वहीं, स्वीडन ने लोगों से बंकरों में छिपने को कहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से स्वीडन ने ऐसा पांचवीं बार किया।

देखा जाए तो खुद रूसी फेडरेशन की सिक्योरिटी काउंसिल में डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने दो टूक कहा है कि रूस की नई परमाणु नीति का मतलब है कि हमारे देश के खिलाफ दागी गई नाटो मिसाइलों को रूस पर हमला मानेंगे। जिसके जवाब स्वरूप कीव और प्रमुख नाटो ठिकानों के खिलाफ, चाहे वे कहीं भी हो, एटमी हथियार से जवाब दे सकते हैं। मतलब तीसरा विश्व युद्ध में कोई संशय नहीं! ये कभी भी शुरू हो सकता है! इसी नजरिए से रूस ने अपनी नई परमाणु नीति घोषित की है, जिसकी 6 बातें स्पष्ट हैं। पश्चिमी देशों को इस पर गौर करना चाहिए और किसी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए। अन्यथा उनकी बचकानी हरकतें पूरी दुनिया को एक नई मुसीबत में डाल सकती हैं।

रूस की नई परमाणु नीति से 6 बातें स्पष्ट हैं- पहला, किसी एटमी ताकत वाले देश की मदद से रूस की सरजमी पर पारंपरिक मिसाइल से भी हमला होता है तो ऐसी स्थिति में रूस एटमी हथियार से जवाब देने को स्वतंत्र होगा। दूसरा, अगर रूस की सीमा पार करके कोई हथियार हवा से आता है, तो इसे रूस के खिलाफ जंग माना जाएगा। ऐसी स्थिति में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है। तीसरा, रूस को अगर ऐसा लगा कि उसके देश को और लोगों को खतरा है तो वह एटमी मिसाइल और मिसाइल डिफेस सिस्टम को तैनात कर सकता है। चौथा, कोई देश रूस के खिलाफ ड्रोन हमला करता है, तो भी इसका जवाब न्यूक्लियर डेटरेस यानी एटमी हथियार से किया जा सकता है। पांचवां, रूस के खिलाफ बलिस्टिक मिसाइल का भी इस्तेमाल हुआ तो जवाब में पूतिन प्रशासन परमाणु हमला कर सकता है। छठा, स्पेस से हमले की स्थिति में रूस अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट करेगा, साथ ही स्पेस में कभी एटमी हमला किया जा सकता है। इसलिए अमेरिका और उसके मित्र देश सावधान हो जाएं। क्योंकि यदि रूस ने उनके खिलाफ एटमी जंग छेड़ दिया तो अमेरिका व उसके मित्र देशों की तबाही तय है!

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

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