Winston Churchill Death Anniversary: भारत में 30 लाख से ज्यादा हुई मौतों के जिम्मेदार थे विंस्टन चर्चिल, भारतीयों से करते थे नफरत
विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे। लेकिन ब्रिटेन के उपनिवेशवादी इतिहास में चर्चिल के शासन काल से जुड़ा एक काला अध्याय भी है। जिसका सीधा संबंध भारत देश से है।
बीसवीं सदी ने दो भयावह विश्वयुद्धों की भयावह स्थितियों को झेला है। दोनों ही युद्धों के दौरान संपूर्ण विश्व के सामने या तो राख के ढेर में तब्दील हो जाने या फिर तानाशाहों का साम्राज्य कायम हो जाने की भयावह वास्तविकता खड़ी हो गई थी। जहां हिटलर और मुसोलिन जैसे तानाशाहों के इरादों की स्याह चादर दुनिया को अपने गिरफ्त में लेने की कोशिश कर रही थी। तो वहीं ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को दूसरे महायुद्ध के नायक के तौर पर याद किया जाता है। आज ही के दिन यानी की 24 जनवरी को ब्रिटेन के पूर्व पीएम विंस्टन चर्चिल का निधन हो गया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर विंस्टन चर्चिल के जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में...
ब्रिटेन के नायक और भारत के खलनायक
विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे। लेकिन ब्रिटेन के उपनिवेशवादी इतिहास में चर्चिल के शासन काल से जुड़ा एक काला अध्याय भी है। जिसका सीधा संबंध भारत देश से है। जहां ब्रिटेन में चर्चिल एक नायक तो वहीं भारत में उनकी भूमिका खलनायक के तौर पर देखी जाती है। देश के अधिकतर इतिहासकार और देश की जनता विंस्टन चर्चिल को साल 1943 में बंगाल की भूख से हुई लाखों मौतों का जिम्मेदार मानते हैं।
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जन्म
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्डशायर में 30 नवंबर 1874 में विंस्टन चर्चिल का जन्म हुआ था। चर्चिल को राजनेता और लेखक-साहित्यकार, कुशल प्रशासक और सैन्य अफसर के तौर पर भी जाना जाता है। वहीं साल 1940 से 1945 तक चर्चिल ब्रिटेन के पीएम बने। उसी दौरान दूसरे विश्वयुद्ध में चर्चिल ने देश की अगुवाई भी की थी। 20वीं सदी के चर्चित लोगों में चर्चिल का चरित्र भी मिलाजुला देखा गया। ब्रिटेन में चर्चिल की नीतियों के कारण ही भारत में अंग्रेजी काल में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा
ऐसे बनें भारत के खलनायक
आपको बता दें कि ऐसी कई किताबें भरी पड़ी हैं, जिनमें बताया गया कि चर्चिल ने भारत और भारतीयों के बारे में कभी अच्छा नहीं सोचा। भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान अक्सर भारत के लिए चर्चिल द्वारा लिए गए फैसलों से ब्रिटिश अफसर भी सहमत नहीं होते थे, लेकिन वह भी व्यवस्था के हाथों मजबूर थे। आंकड़ों के हिसाब से साल 1943 में जब बंगाल में लोग भूख से तड़प रहे थे। तब भी भारत में पर्याप्त चावल का उत्पादन हुआ था।
वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों के लिए अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर अनाज निर्यात कर दिया। लेकिन अंग्रेज अफसरों ने भारत में तैनात बड़े पैमाने पर अपने जवानों के लिए अनाज की जमाखोरी कर ली। जिसके कारण अनाज की कमी हो गई और साथ ही मौसम ने भी दगा दे दिया। उस दौरान चर्चिल को भारत का खलनायक इसलिए कहा गया, क्योंकि उन्होंने भारत में भुखमरी से होने वाली मौतों को रोकने का प्रयास नहीं किया।
हांलाकि भारत में भुखमरी की भयावह स्थिति बनने पर कनाडा और अमेरिका जैसे देशों ने अनाज आपूर्ति की पेशकस की। लेकिन ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल ने कोई फैसला नहीं लिया। उन्होंने आस्ट्रेलिया से मदद के लिए चले जहाज को डायवर्ट कर यूरोप बुला लिया। चर्चिल के इस कदम के कारण पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश, ओडिशा और बिहार 30 लाख से ज्यादा लोगों की भूख के कारण मौत हो गई।
महिलाएं वेश्यावृत्ति के लिए हुईं मजबूर
इतिहासकारों की मानें तो उस दौरान अपने बच्चों का पेट भरने के लिए कई महिलाएं वेश्यावृत्ति को अपनाने के लिए विवश हो गईं। देश के अन्य हिस्सों में भी अकाल के नाम पर अनाज की पूर्ति नहीं हो पाई। क्योंकि असल में ब्रिटेन के तत्कालीन पीएम विंस्टन चर्चिल नहीं चाहते थे कि भारत कभी आजाद हो। वह भारतीयों का शोषण करना चाहते थे। भारतीयों के प्रति चर्चिल के मन में इस कदर घृणा भरी थी, जिसका पता इस बात से चलता है कि एक बार चर्चिल ने अपनी सेक्रेटरी से कहा कि भारत के लोग खरगोश की तरह बच्चे पैदा करते हैं, जिसके कारण भारत में अकाल पड़ा है।
मौत
चर्चिल की मृत्यु 24 जनवरी 1965 की सुबह उनके घर 28 हाइड पार्क गेट, लंदन में हुई थी।
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