Tarek Fatah: सदैव धार्मिक कट्टरता का विरोध करते रहे तारिक फतेह साहब

Tarek Fatah
Prabhasakshi
अशोक मधुप । Apr 25 2023 12:06PM

तारिक फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को कराची पाकिस्तान के एक मुस्लिम परिवार में पर हुआ। 1947 में भारत विभाजन के बाद वे मुंबई से राची पाकिस्तान चले गए। उन्होने जैव रसायन में कराची विश्वविद्यालय से डिग्री के साथ स्नातक किया।

अलविदा तारिक फतेह साहब। इस संक्रमण काल में तो आपकी बहुत जरूरत थी। आपका ऐसे समय में जाना समाज, भारत और भारतवाद का बड़ा नुकसान है। खुद को सच्चा हिन्दुस्तानी मानने वाले लेखक तारिक फतेह विभाजन की विडम्बनाओं पर निरंतर पांच दशकों तक मुखर रहे। वे सदा धार्मिक कट्टरता का विरोध करते रहे। इस्लाम की विसंगतियों पर उनकी किताबें बहुचर्चित हुईं। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और स्तंभकार तारिक फतेह का सोमवार को निधन हो गया है। वह 73 साल के थे और लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। तारिक फतेह की बेटी नताशा ने उनकी मौत की जानकारी ट्वीटर के जरिए दी। नताशा ने ट्वीट कर लिखा, 'पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सत्य के वक्ता और न्याय के योद्धा का निधन हो गया है। उनकी क्रांति उन लोगों के लिए आगे भी जारी रहेगी, जो उन्हें जानते थे और प्यार करते थे।' 

तारिक फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को कराची पाकिस्तान के एक मुस्लिम परिवार में पर हुआ। 1947 में भारत विभाजन के बाद वे मुंबई से राची पाकिस्तान चले गए। उन्होने जैव रसायन में कराची विश्वविद्यालय से डिग्री के साथ स्नातक किया। वह 1960 और 1970 के दशक में एक वामपंथी छात्र नेता थे। उन्होंने वहां पत्रकारिता की। सैन्य शासन द्वारा उन्हें दो बार कैद किया गया था। 1977 में जिया−उल− हक शासन द्वारा उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उनके पत्रकारिता करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वह कुछ समय सऊदी अरब में रहे। 1987 में कनाड़ा जाकर बस गए। तारिक फतेह का कैंसर से 24 अप्रैल 2023 को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने जमकर शरिया कानून का विरोध किया।

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इस्लाम के एक उदार और प्रगतिशील विचारों की वकालत की। उन्होंने खुद को "पाकिस्तान में पैदा हुआ एक भारतीय" और "इस्लाम में पैदा हुआ एक पंजाबी'' कहा। वे पाकिस्तानी धार्मिक और राजनैतिक प्रतिष्ठान के मुखर आलोचक थे। वह कनाड़ा के टोरटों रेडियो स्टेशन के प्रसारक रहे। जॉन मूर  मार्निग शो के नियमित योगदान कर्ता रहे। 2011 से 2015 तक तारिक फतेह शो की मेजबानी की। 2012 के बाद कनाडा के अखबार टोरटों सन के लिए नियमित कालम लिखा।

2018 से, फतह "व्हाट द फतह" के नियमित होस्ट रहे हैं, जिसे न्यू दिल्ली टाइम्स ने अपने यू टयूब चैनल पर होस्ट किया है। टॉक शो मुख्य रूप से वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक रुझानों पर केंद्रित है। यह भारत, पाकिस्तान और कनाडा में व्यापक रूप से देखा जाता है।

वे बोले तो जमकर बोले। पहली बार वाराणसी आए तारिक फतेह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केएन उडुप्पा सभागार में कहा कि हिंदुस्तान में जिन आक्रमणकारियों ने हमला लिया, उसे बर्बाद किया, उसके नाम पर इसी हिंदुस्तान में शहर, सड़क और पार्क हैं। यहां औरंगजेब रोड है, लोदी गार्डन है। यही नहीं, आज मुसलमान अपने बेटों का नाम तैमूर तो रख रहे हैं लेकिन कोई सूरज नहीं रख रहा। आफताब तो रखते हैं लेकिन चांद कोई नहीं रखता। राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से ‘भारत और दक्षिण एशिया: समस्या व समाधान’ पर आयोजित संगोष्ठी में 45 मिनट के भाषण में कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान से अब कोई भी बातचीत करने की जरूरत नहीं है।

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद खत्म करने के लिए उसे दुनिया से अलग-थलग करना होगा। उसे संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के साथ-साथ सिक्योरिटी काउंसिल से भी हटाना होगा। कहा, पाकिस्तान हिंदुस्तान पर हमले कर रहा है लेकिन भारत वहां से सीमेंट खरीद रहा है। भारत के जवान मर रहे हैं और हम उनसे असलहे खरीद रहे हैं। अगर हिंदुस्तान का एक-एक व्यापारी तय कर ले कि वो पाकिस्तान से कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं रखेंगे, उसके होश ठिकाने आ जाएंगे। तारिक फतेह ने पाकिस्तान पर हमला करते हुए कहा कि पूरा का पूरा सिंध पाकिस्तान के कब्जे में चला गया। बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया गया और यहां उसे कोई पूछने वाला नहीं। बेशक हिंदुस्तान के विभाजन की वजह नेहरू रहे हैं लेकिन इसमें जिन्ना भी कम जिम्मेदार नहीं। बावजूद इसके जिन्ना के बारे में लोग कुछ नहीं कहते। लालकृष्ण आडवाणी और जसवंत सिंह जैसे नेता भी उनकी तारीफ करते हैं। 

यहीं पत्रकारों से बातचीत में फतेह ने कहा कि कुरान के अलावा जो कुछ भी लिखा है, वो मौलानाओं का लिखा है। 90 फीसदी शरीयत मौलानाओं का लिखा हुआ है। जब अल्लाह ने कुरान लिखकर कह दिया कि ये मुकम्मल हो गया तो ये मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वालों कौन सी हदीस लिख दी। आज उन्होंने कुरान से मोटी किताब लिख दी है। आज वक्त ये है कि बीवियां एकजुट हों और अपने शौहर को तीन तलाक देकर निकाल दें। तारिक बोले, मुसलमान या दलित भेड़-बकरी नहीं कि जिन्हें मुस्लिम वोट और दलित वोट कहा जाए। इलेक्शन कोई बंदर का नाच नहीं है कि आज मुस्लिम को रिझा दिया तो कल दलित के सामने अपने करतब दिखा दिए। मुसलमान पढ़े-लिखे हैं। इतनी पार्टियां हैं, सोच समझकर वोट करें। हां, अगर उनमें इतनी सलाहियत नहीं है तो वो पाकिस्तान चले जाएं, वहां वोट कोई मुद्दा नहीं। यूपी की सियासत के बारे में उन्होंने कहा कि बादशाहत का जमाना खत्म नहीं हुआ है। मशहूर मुस्लिम लेखक तारिक फतेह ने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के मुसलमानों पर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की है। 

तारिक फतेह ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा है कि दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं है। भारत में ही मुसलमानों को सबसे ज्यादा सुरक्षा मिलती है। उन्होंने कहा है कि दुनिया में ऐसा एक भी देश नहीं है जहाँ मुसलमानों को हज सब्सिडी दी जाती है। सिर्फ भारत को छोड़कर दुनिया में मुस्लिम देशों में भी मुसलमानो को वो छूट नहीं मिलती जो भारत में मिलती है। तारिक फतेह ने हामिद अंसारी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा अगर मुसलमान भारत में सुरक्षित नहीं है तो बांग्लादेशी मुसलमान भारत में क्यों आते हैं।

तारिक फतेह ने कहा की भारत में अगर हामिद अंसारी को असुरक्षा लग रही है तो वो कुछ दिन पाकिस्तान में रहकर देख लें, उनकी सारी की सारी गलतफहमी दूर हो जाएगी। मैं भी मुसलमान हूँ, मुझे पाकिस्तान में जान से मार दिया जायेगा, मुसलमान होकर मैं पाकिस्तान में असुरक्षित हूँ। भारत आता हूँ तो सुरक्षित महसूस करता हूँ। इस तरह की साफगोई से बात करने वाले तारिक फतेह जैसे बिरले ही होतें हैं। ऐसे विद्वानों की आज के संक्रमण काल में भारत और मानव समाज को बहुत जरूरत है। आपका ऐसे समय में जाना समाज, भारत और भारतवाद का बड़ा नुकसान है। आप सदा याद किए जाएंगे। अलविदा तारिक फतेह साहब। 

- अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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