Dr Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary: आर्टिकल 370 के मुखर विरोधी थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी मौत

Dr Shyama Prasad Mukherjee
Prabhasakshi

श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ के संस्थापक और कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मुखर विरोधी भी थे। वह चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में भी अन्य राज्यों की तरह समान कानून लागू हो।

आज ही के दिन यानी की 23 जून को जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। आज भी उनकी मौत सिर्फ एक रहस्य है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत को सियासतदानों का एक धड़ा साजिश मानता है, तो वहीं दूसरा ध़ड़ा उनकी मौत को प्राकृतिक मानता रहा है। हालांकि उनकी मौत कि असल वजह क्या थी, यह आज तक नहीं पता चल पाया। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

आर्टिकल 370 के विरोधी थे मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ के संस्थापक और कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मुखर विरोधी भी थे। वह चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में भी अन्य राज्यों की तरह समान कानून लागू हो। देश के अन्य हिस्से की तरह कश्मीर को भी देखा जाए। नेहरू सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि इस देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे।

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नेहरु की नीतियों का विरोध

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस विरोध के कारण नेहरु कैबिनेट से त्याग पत्र दे दिया और इसके बाद वह कश्मीर यात्रा के लिए चल दिए। दरअसल, उस दौरान कश्मीर जाने के लिए परमिट की आवश्यकता पड़ती थी। वहीं कश्मीर कूच के जरिए मुखर्जी जवाहर लाल नेहरू की नीतियों को चुनौती दे रहे थे। ऐसे में उनका सवाल था कि देश के एक हिस्से में जाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत क्यों होनी चाहिए। वहीं 11 मई 1953 को कश्मीर पहुंचते ही मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद उनको श्रीनगर सेंट्रल जेल ले जाया गया और फिर वहां से शहर के एक कॉटेज में ले जाया गया।


बिगड़ी तबियत

श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महीने से अधिक के समय तक वहां रहे, जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होने लगी। 19-20 जून की रात उनका चेकअप किया गया, जिसमें पता चला कि मुखर्जी को प्लूराइटिस हो गया है। इससे पहले भी वह साल 1937 और 1944 में इस बीमारी का शिकार हो चुके थे। इसके बाद डॉ. अली मोहम्मद ने मुखर्जी को स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दे दिया। बताया जाता है कि मुखर्जी को स्ट्रेप्टोमाइसिन उनको शूट नहीं करती थी। जिसके बाद भी उनको डॉ अली ने उन्हें इंजेक्शन दे दिया।


क्रिटिकल हुई कंडीशन

प्राप्त जानकारी के अनुसार, 22 जून 1953 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तबियत अधिक बिगड़ गई और उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी। जिसके बाद उनको कॉटेज से हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया, जहां पर पता चला कि मुखर्जी को हार्ट अटैक आया था। वहीं 23 जून 1953 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन हो गया।

देश में मचा हंगामा

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हिरासत में हुई मौत से पूरे देश में हंगामा मच गया। मुखर्जी की मां जोगमाया देवी ने पंडित नेहरु को पत्र लिखकर मामले की जांच का आग्रह किया। लेकिन पं नेहरु ने बदले में उनको जवाब देते हुए कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत प्राकृतिक थी। इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं है कि मामले की जांच करवाई जाए।

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