PV Narsimha Rao Death Anniversary: पीवी नरसिम्हा राव के सख्त फैसलों ने देश को घाटे से उबारा, मौत के बाद अपनी पार्टी से नहीं मिला सम्मान
आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव करीम नगर में 28 जून 1921 को पीवी नरसिम्हा राव का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट नरसिम्हा राव था। उनको राजनीति के अलावा संगीत, साहित्य और कला आदि क्षेत्रों में भी रुचि थी।
देश के आर्थिक सुधारों का बड़ा श्रेय पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को दिया जाता है। आज ही के दिन यानी की 23 जनवरी को पीवी नरसिम्हा राव का निधन हो गया था। उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री देश के हित में कई बड़े अहम और ऐतिहासिक फैसले लिए। जिस दौरान वह देश के प्रधानमंत्री बने थे, तब देश गरीबी के दौर से गुजर रहा था। उस दौरान पीवी नरसिम्हा राव को अपने देश का सोना विदेशों में गिरवी रखना पड़ा था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पीवी नरसिम्हा राव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव करीम नगर में 28 जून 1921 को पीवी नरसिम्हा राव का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट नरसिम्हा राव था। उनको राजनीति के अलावा संगीत, साहित्य और कला आदि क्षेत्रों में भी रुचि थी। आम बोलचाल की भाषा में वह कई विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करते थे।
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ऐसे बने देश के 9वें प्रधानमंत्री
जब साल 1991 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक बम विस्फोट में मौत हो गई, तो कांग्रेस पार्टी में मंथन शुरू हो गया कि अब पीएम पद की जिम्मेदारी कौन संभालेगा। हांलाकि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के कहने पर यह जिम्मेदारी पीवी नरसिम्हा राव को मिली। लेकिन पीवी नरसिम्हा राव की सत्ता में यह दिन सुख भोगने के नहीं बल्कि कई चुनौतियों से भरे हुए थे।
राव और सिंह की जोड़ी ने किया कमाल
देश के तत्कालीन प्रधानमंभी राव ने उस दौरान वित्तमंत्री और बेहद शानदार अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के साथ काम करना शुरू किया। पीएम ने भारत का बाजार ग्लोबल कंपनियों के लिए खोल दिया। जिसके चलते देश में विदेशी कंपनियां आने लगीं। इससे न सिर्फ औद्योगिकीकरण बल्कि लोगों को रोजगार की सुविधा भी मिलने लगी। इस फैसले से देश एक बार भी संपन्नता की ओर बढ़ने लगा।
राव ने लिए कई सख्त फैसले
आपको बता दें कि राव और मनमोहन की जोड़ी का बड़ा लक्ष्य राजकोषीय घाटे को कम करना था। उस दौरान पीवी नरसिम्हा राव ने सख्त फैसले लिए। हांलाकि पहले इन फैसलों का विरोध हुआ। लेकिन बाद में इन वित्तीय फैसलों का अच्छा असर देखने को मिला। इन फैसलों का नतीजा यह रहा कि विदेशी भंडार भरने लगे।
स्कैम के आरोप
वैश्विक इकनॉमी में भारत को बड़ा हिस्सा बनाने वाले प्रधानमंत्री रहे नरसिम्हा राव को कई आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी। बता दें कि स्टॉक मार्केट स्कैम में घिरे हर्षद मेहता ने पीएम राव को 1 करोड़ की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। वहीं सूटकेस घोटाले के नाम से जाने जाते वाले इस स्कैम में नरसिम्हा राव पर भी कई उंगलियां उठीं। हांलाकि बाद में सीबीआई की तरफ से राव पर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उनको क्लीन चिट दे दी गई।
मौत
बताया जाता है कि देश को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने वाले नरसिम्हा राव को अपनी पार्टी कांग्रेस में कोई खास अहमियत नहीं दी गई। एक समय पर उनके और सोनिया गांधी के बीच तल्ख रिश्ते भी हो गए। प्रधानमंत्री के कार्यकाल के बाद कांग्रेस ने उनको दरकिनार कर दिया था। वहीं नरसिम्हा राव ने भी 10 जनपथ जाना बंद कर दिया गया। 23 जनवरी 2004 में पीवी नरसिम्हा राव की मौत के बाद उनके शव को कांग्रेस कमेटी के बाहर रखा गया। वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी अपनी उपलब्धियां गिनाने के दौरान कभी राव का जिक्र नहीं किया गया।
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