Kalyan Singh Birth Anniversary: कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए किया था सीएम पद का त्याग, ऐसे बनें वो 'हिंदू हृदय सम्राट'
आज ही के दिन यानी की 5 जनवरी को भाजपा के कद्दावर नेता रहे कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। वह पढ़ाई-लिखाई को लेकर सख्त और अनुशासित सीएम के तौर पर याद किए जाते हैं। बता दें कि कल्याण सिंह 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे।
आज ही के दिन यानी की 5 जनवरी को भाजपा के कद्दावर नेता रहे कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। वह पढ़ाई-लिखाई को लेकर सख्त और अनुशासित सीएम के तौर पर याद किए जाते हैं। बता दें कि कल्याण सिंह 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे। वह पारदर्शी शिक्षा प्रणाली पर विश्वास करते थे। उत्तर प्रदेश के सीएम पद पर रहने के दौरान वह नकल अध्यादेश लेकर आए। उस दौरान नकल करने वालों को सीधा जेल होती है। इसके अलावा उनको हिंदुत्व का नायक और राम मंदिर आंदोलन के नायक के तौर पर भी नवाजा गया। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर कल्याण सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तर प्रदेश के अतरौली में 5 जनवरी 1932 को कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और मां का नाम सीता देवी था। कल्याण सिंह ने धर्म समाज महाविद्यालय अलीगढ़ से बीए एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उनको संगीत और कबड्डी का काफी शौक था। राजनीति में प्रवेश से पहले कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक स्वयंसेवक थे। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बतौर टीचर अपना करियर शुरू किया था।
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राम मंदिर के लिए सीएम पद से इस्तीफा
साल 1975 में आपातकाल के दौराने कल्याण सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद उनको 21 महीने जेल में बिताने पड़े। जेल से वापस आने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए। राजनीति में कल्याण सिंह का नाम इस तेजी से चमका कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। जिसके बाद एक दौर ऐसा आया जब प्रदेश में बिगड़ते हालातों की जिम्मेदारी उनको अपने कंधों पर लेनी पड़ी।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी विध्वंस के दौरान कल्याण सिंह राज्य के सीएम थे। इस घटना के बाद प्रदेश भर में हालात काफी बिगड़ गए। ऐसे में उन्होंने इस दुखद घटना की नैतिक जिम्मेदारी खुद पर लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाबरी विध्वंस के दौरान सीएम पद पर रहते हुए उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कारसेवकों पर किसी भी कीमत पर गोली चलाने की इजाजत नहीं दी थी।
जब साल 1991 में वह उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बनें। तो उन्होंने एक ऐसा कानून लागू किया, जो काफी सख्त फैसले के तौर पर याद किया जाता है। वह फैसला नकल अध्यादेश लाने का फैसला रहा। उस दौरान राज्य के सीएम कल्याण सिंह तो वहीं शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे। नकल अध्यादेश के लागू होने पर परीक्षा में नकल करने वाले लोगों को जेल भेजने वाले इस कानून ने उन्हें बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया। यह दौर उत्तर प्रदेश में नकल करने वालों के लिए काल बन गया था। इन कानून के लागू होने के बाद से न सिर्फ नकल करने वाले बल्कि वह बच्चे भी डर से कांपते थे कि कोई चीटिंग की पर्ची उनके पास न फेंक दे।
इन राज्यों के रहे राज्यपाल
आपको बता दें कि राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी कल्याण सिंह को मिली थी। वहीं 4 सितंबर 2014 को उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। इसके बाद साल 2015 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था।
मृत्यु
कल्याण सिंह अपने पूरे जीवन में एक योद्धा की तरह रहे। लेकिन जीवन के आखिरी समय में उनको एक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था। जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में काफी तकलीफ होती थी। इसलिए उनको इलाज के लिए लखनऊ स्थित एसपीजीआई हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। लेकिन उनकी हालत में लगातार गिरावट होती रही। करीब डेढ़ महीने तक वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे। वहीं 1 अगस्त 2021 को 89 साल की उम्र में कल्याण सिंह की मृत्यु हो गई। कल्याण सिंह की इच्छा थी कि वह अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन करें। लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई।
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