Mukesh Death Anniversary: अमेरिका के कॉन्सर्ट में मुकेश ने ली थी आखिरी सांस, हिंदी सिनेमा को दिए कई सदाबहार गीत

Mukesh
Prabhasakshi

आज के दिन यानी की 27 अगस्त को हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक मुकेश ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। आज भी वह अपने गाए हुए गानों से लोगों के दिलों में जिंदा हैं। मुकेश की आवाज का जादू देश-विदेश तक में फैला था।

हिंदी सिनेमा में गुजरे हुए जमाने के गायकों ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह गायक अपने बेहतरीन और सदाबहार गानों के लिए आज भी याद किए जाते हैं। लेकिन आज हम इस आर्टिकल के जरिए जिस गायक की बात कर रहे हैं, वह अभिनेता राज कपूर की आवाज कहे जाते थे। आज भी वह अपने गाए हुए गानों से लोगों के दिलों में जिंदा हैं। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 27 अगस्त को फेमस सिंगर मुकेश का निधन हो गया था। भले ही वह आज हमारे बीच मौजूद नहीं है। लेकिन उनके द्वारा गाए गए गानों को आज भी लोग गुनगुनाते हैं। 

मुकेश की फैन फॉलोइंग सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी थी। उनकी आवाज को विदेशों में भी काफी ज्यादा पसंद किया जाता था। मुकेश ने 'दोस्त-दोस्त न रहा', 'जीना यहां मरना यहां', 'कहता है जोकर', 'आवारा हूं' जैसे कई सुपरहिट गाने गाए हैं। लोगों को इस बात की खुशी रही कि मुकेश अपने आखिरी समय में भी अपना पसंदीदा गाना गाते हुए इस दुनिया को छोड़कर गए। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मुकेश के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

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जन्म और शिक्षा

बता दें कि 22 जुलाई 1923 में जन्मे मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। इनके पिता जोरावर चंद्र माथुर पेशे से इंजीनियर थे। मुकेश 10 भाई-बहन थे और वह छठे नंबर पर थे। उन्हें बचपन से ही गाने का काफी ज्यादा शौक था। वह अपने क्लास के साथियों को भी अक्सर गाना गाकर सुनाया करते थे। हालांकि 10वीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और पीडब्लूडी में नौकरी करने लगे। लेकिन मुकेश का मन नौकरी में नहीं लगता था। क्योंकि वह हमेशा से फिल्मों में काम करना चाहते थे।

ऐसे पहुंचे मायानगरी

एक बार मुकेश अपने किसी रिश्तेदार मोतीलाल की बहन की शादी में गाना गा रहे थे। इस दौरान उनके रिश्तेदार को मुकेश की आवाज इतनी ज्यादा पसंद आई कि वह उनको लेकर मुंबई आ गए। यहां पर मोतीलाल ने मुकेश को गाने की ट्रेनिंग दिलवाई। जिसके बाद साल 1941 में मुकेश को फिल्म 'निर्दोष' में अभिनय का मौका मिला। साथ ही इस फिल्म के सभी गाने भी उन्होंने गाए। इसके बाद मुकेश ने 'आह', 'अनुराग' 'माशूका' और 'दुल्हन' जैसी फिल्मों में भी बतौर एक्टर अभिनय किया।

राज कपूर की आवाज थे अभिनेता

मुकेश और राज कपूर में काफी ज्यादा गहरी दोस्ती थी। मुश्किल समय में दोनों एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते थे। वहीं साल 1959 में राज कपूर को ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'अनाड़ी' ने पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलाया। तो वहीं राज कपूर के जिगरी दोस्त मुकेश को भी फिल्म 'अनाड़ी' के 'सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी' गाने के लिए बेस्ट प्ले बैक सिंगर का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। 

हर सुपरस्टार की थे आवाज

मुकेश ने अपने 40 साल के लंबे फिल्मी कॅरियर में करीब 200 से अधिक फिल्मों के लिए गाने गाए हैं। उस दौरान वह हर सुपरस्टार की आवाज बन गए थे। मुकेश की आवाज का जादू लोगों पर इस कदर छाया था कि एक बार जब एक लड़की बीमार हो गई। तब उस लड़की ने अपनी मां से कहा कि अगर मुकेश उसे अपना गाना सुनाएंगे तो शायद वह ठीक हो जाए। वहीं जब मुकेश को इस बात का पता चला तो वह बिना देर किए लड़की से मिलने के लिए पहुंच गए और उसे गाना गाकर सुनाया।

दर्द भरे गीतों से मिली पहचान

मुकेश ने हर तरह के गानों में अपनी आवाज दी है। लेकिन उनको असली पहचान दर्द भरे गीतों से ज्यादा मिली है। बता दें कि उन्होंने 'दोस्त दोस्त न रहा' 'दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई' 'अगर जिंदा हूं मैं इस तरह से', 'ये मेरा दीवानापन है', 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना' और 'मेरा जूता है जापानी' जैसे कई गाने गाए। वह फिल्मफेयर अवॉर्ड पाने वाले पहले सिंगर थे।

मौत

अमेरिका में एक स्टेज शो में 27 अगस्त 1976 को मुकेश परफॉर्म कर रहे थे। इस दौरान वह 'एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल' गाना गा रहे थे। इस दौरान उनको दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बताया जाता है कि मुकेश की मौत की खबर सुन उनके दोस्त और अभिनेता राज कपूर के मुंह से आवाज भी नहीं निकली। राज कपूर ने कहा कि मुकेश के जाने से उनकी आवाज और आत्मा दोनों चली गई हैं।

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