Motilal Nehru Birth Anniversary: देश के अमीर वकीलों में होती थी मोतीलाल नेहरु की गिनती, आजादी में निभाई अहम भूमिका
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 06 मई 1861 को मोतीलाल नेहरु का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम गंगाधर नेहरु और माता का नाम इंद्राणी नेहरु था। मोतीलाल के जन्म से तीन महीने पहले इनके पिता का निधन हो गया था।
आज ही के दिन यानी की 06 मई को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख व्यक्तियों में एक पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था। हालांकि उनको लोग देश के पहले प्रधानमंत्री के पिता के रूप में अधिक जानते हैं। बता दें कि मोतीलाल नेहरु एक वकील, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने अपना जीवन भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर मोतीलाल नेहरु के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 06 मई 1861 को मोतीलाल नेहरु का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम गंगाधर नेहरु और माता का नाम इंद्राणी नेहरु था। मोतीलाल के जन्म से तीन महीने पहले इनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनके बड़े भाई नंदलाल नेहरु ने किया था।
कॅरियर
आपको बता दें कि मोतीलाल नेहरु ने अपने कानून कॅरियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मोतीलाल नेहरु ने अपने कॅरियर के शुरूआती दिन गरीबी में गुजारे हैं। लेकिन बाद में वह अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल हो गए थे। अंग्रेज जज नेहरु को अधिक तवज्जो नहीं देते थे। लेकिन उनकी काबिलियत और मेहनत की वजह से अंग्रेज जज उनसे प्रभावित रहते थे। हाईकोर्ट में अपने पहले केस के लिए नेहरु को 5 रुपए मिले थे। बाद में उनको बहुत तरक्की मिली, मोतीलाल नेहरु को एक केस के लिए अच्छे खासे पैसे मिलने लगे।
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आईएनसी चुने गए थे अध्यक्ष
वहीं पंडित मोतीलाल नेहरु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने दो बार पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर कार्य किया था। साल 1919 में मोतीलाल नेहरु पहली बार अमृतसर से और साल 1928 में कलकत्ता से दूसरी बाद आईएनसी के अध्यक्ष चुने गए। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उनको कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी। राजनीति में सक्रियता होने के साथ मोतीलाल नेहरु एक सम्मानित और अमीर वकील भी हुआ करते थे।
इसके साथ ही मोतीलाल नेहरु ने भारत की कानून व्यवस्था को आकार देने में अहम भूमिका निभाई थी। 01 जनवरी 1923 को उन्होंने चितरंजन दास के साथ स्वराज पार्टी की सह-स्थापना की। फिर वह दिल्ली में ब्रिटिश भारत की संयुक्त प्रांत विधान परिषद के लिए चुने गए। जहां पर नेहरु ने विपक्ष नेता के रूप में काम किया। उन्होंने फेमस 'नेहरु रिपोर्ट' लिखी थी। जिसमें मोतीलाल नेहरु ने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों के साथ लोकतांत्रिक विचारों को सामने रखने का काम किया।
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