Hedgewar Birth Anniversary: देश सेवा के लिए ठुकरा दिया था नौकरी का प्रस्ताव, देखा था हिंदू राष्ट्र का सपना
डॉ केशव बलिराम हेडगेवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बहुत बड़े क्रांतिकारी थे। आज ही के दिन यानि की 1 अप्रैल को डॉ हेडगेवार का जन्म हुआ था। उन्होंने ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की थी। वह बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृत्ति के थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक और क्रांतिकारी के.बी हेडगेवार का आज के दिन यानी की 1 अप्रैल को जन्म हुआ था। के.बी हेडगेवार विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव बने। इसके अलावा हेडगेवार की अगुवाई में असहयोग आंदोलन समिति बनाई गई। वहीं इस समिति के द्वारा कार्यकर्ताओं को आंदोलन के प्रति जागृत करने का काम किया गया। अंग्रेजी हूकूमत ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए डॉ हेडगेवार को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि साल 1925 में डॉ हेडगेवार ने 17 लोगों के साथ मिलकर RSS की स्थापना की थी।
जन्म
महाराष्ट्र के नागपुर जिले में केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 में हुआ था। उनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार और मां का नाम रेवतीबाई था। केशव बलिराम हेडगेवार ने अपनी शुरूआती शिक्षा नील सिटी हाई स्कूल से पूरी की। वह बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृत्ति और अंग्रेजों से नफरत करने वाले थे। जब एक बार अंग्रेज इंस्पेक्टर स्कूल का निरीक्षण करने आया था। तब केशव बलिराम हेडगेवार ने अपने साथियों के साथ मिलकर वंदे मातरम के नारे लगाए थे। जिस पर अंग्रेज इंस्पेक्टर ने नाराज होकर उन्हें स्कूल से निकालने का आदेश दे दिया था।
केशव के मानस-पटल पर बड़े भाई महादेव के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा था। उन्होंने डॉक्टरी पढ़ाई करने के लिए कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां पर वह डॉक्टरी की परीक्षा में प्रथम रहे। लेकिन केशव ने परिवार वालों की इच्छा के खिलाफ जाकर देश सेवा के लिए नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वह अपनी तीव्र नेतृत्व वाली प्रतिभा के कारण ही हिन्दू महासभा बंगाल प्रदेश का उपाध्यक्ष बने।
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क्रांतिकारी गतिविधियां
कलकत्ता में डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान डॉ. हेडगेवार ने अंग्रेजी सरकार से निपटने के लिए विभिन्न विधाएं सीखीं। इसी दौरान वह क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आए और काकोरी कांड में भी भागीदारी निभाई। नागपुर से लौटने के बाद सशस्त्र आंदोलनों से उनका मोह भंग हो गया। डॉ. हेडगेवार ने तिलक के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और वह कांग्रेस के लिए कार्य करने लगे। कांग्रेस में कार्टय करने के दौरान वह डॉ. मुंजे के और नजदीक आ गए। डॉ. मुंजे हिंदू दर्शनशास्त्र में डॉ. हेडगेवार को मार्गदर्शन देने लगे थे।
RSS की स्थापना
देश में चल रही आजादी की लड़ाई में सभी अपनी सोच और क्षमता के हिसाब से भागीदारी निभा रहे थे। साल 1921 में उन्होंने अलहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और एक 1 साल जेल की सजा काटी। लेकिन मिस्र घटनाक्रम के बाद भारत में धार्मिक-राजनीतिक ख़िलाफ़त आंदोलन की शुरूआत हो गई। जिसके बाद उनका कांग्रेस से भी मोहभंग हो गया। वहीं साल 1923 में हुए सांप्रदायिक दंगो ने डॉ हेडगेवार को पूरी तरह से उग्र हिंदुत्व की ओर ढकेल दिया। डॉ हेडगेवार हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. एस. मुंजे के संपर्क में थे। वहीं उनके जीवन पर बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर का भी काफी गहरा प्रभाव था।
हिंदुत्व को नए सिरे से परिभाषित किए जाने का काम सावरकर ने किया था। हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना कर डॉ हेडगेवार ने 1925 में ‘विजयदशमी’ के दिन संघ की नींव रखी। इसी के साथ वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पहले सर संधचालक बने। संघ की स्थापना के बाद उन्होंने ही इसके विस्तार किए जाने की योजना बनाई और नागपुर में शाखा लगने लगी। इस दौरान बाबासाहेब आप्टे, बालासाहेब देवरस, भैय्याजी दाणी और मधुकर राव भागवत इसके शुरुआती सदस्य बने। इस सभी को अलग-अलग प्रदेशों में प्रचारक की भूमिका सौंपी गई।
मौत
अपने आखिरी समय में हेडगेवार पीठ दर्द से परेशान थे। परेशानी बढ़ने पर उन्होंने संघ की ज़िम्मेदारियां अन्य सदस्यों को देनी शुरू कर दी थीं। साल 1940 में उन्होंने संघ की बैठक में आखिरी बार हिस्सा लिया था। इस दौरान बैठक में डॉ हेडगेवार ने कहा था कि वह अपने सामने एक छोटा सा हिंदू राष्ट्र देख रहे हैं। 21 जून 1940 में डॉ हेडगेवार का निधन हो गया था।
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