Homi J Bhabha Birth Anniversary: होमी जे भाभा ने भारत को बनाया था दुनिया का ताकतवर देश, न्यूक्लियर पावर बनने का दिखाया था सपना

Homi J Bhabha
Prabhasakshi
Ananya Mishra । Oct 30 2024 11:29AM

बॉम्बे के प्रसिद्ध पारसी कानूनी परिवार में 30 अक्तूबर 1909 को होमी भाभा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम जहांगीर भाभा और मां का नाम मेहरबाई भाभा था। इन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा बॉम्बे के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से पूरी की।

भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास में अहम भूमिका निभाने वाले होमी जे भाभा का आज ही के दिन यानी की 30 अक्तूबर को जन्म हुआ था। डॉ होमी जे भाभा को देश के परमाणु कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने परमाणु कार्यक्रम में अहम योगदान दिया था। इसके साथ ही वह AEET की पहले निदेशक भी थे और भारत के परमाणु हथियारों के निर्माण के पीछे मुख्य लोगों में से एक माने जाते थे। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ होमी जे भाभा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

बॉम्बे के प्रसिद्ध पारसी कानूनी परिवार में 30 अक्तूबर 1909 को होमी भाभा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम जहांगीर भाभा और मां का नाम मेहरबाई भाभा था। इन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा बॉम्बे के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से पूरी की। होमी भाभा ने साल 1927 तक रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में अपनी शिक्षा जारी रखी। इसके बाद वह मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। यहां पर उनकी रुचि विज्ञान के अध्ययन में हुई। साल 1930 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की और फिर सैद्धांतिक भौतिकी में डॉक्टरेट की पढ़ाई की।

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पहला अकादमिक लेख

परमाणु भौतिकी में pHd करने के बाद साल 1933 में उनका पहला अकादमिक लेख प्रकाशित हुआ। वहीं 1934 में "द एब्जॉर्प्शन ऑफ कॉस्मिक रेडिएशन" ने उनकी सफलता में योगदान दिया। इस दौरान उनको आइजैक न्यूटन पूर्ण छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया। जिसको भाभा ने अगले तीन सालों तक बरकरार रखा। वहीं साल 1930 के दशक में परमाणु भौतिकी एक विकासशील क्षेत्र था। जिसने वैज्ञानिकों के बीच विवादास्पद चर्चाओं को जन्म देने का काम किया। ऐसे में इस क्षेत्र में अनेक विकास हुए।

पुरस्कार

साल 1942 में होमी भाभा को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान एडम्स पुरस्कार से नवाजा गया। फिर साल 1954 में उनको भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वहीं साल 1951 में भाभा को नोबेल पुरस्कार मिला।

मृत्यु

मोंट ब्लांक के पास एयर इंडिया बोइंग 707 दुर्घटना में 24 जनवरी 1966 को भाभा की मृत्यु हो गई। बताया जाता है कि पायलट और जिनेवा हवाई अड्डे ने पहाड़ के सापेक्ष विमान की स्थिति को गलत समझ बैठे, जिसके कारण यह हादसा हुआ। हालांकि होमी भाभा की मौत को अभी भी रहस्य माना जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि भाभा की हत्या का उद्देश्य भारत के परमाणु कार्यक्रम में बाधा डालना था।

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