मैरीकॉम और फेडरेशन से भिड़ने वाली Nikhat Zareen पेरिस में जीत का पंच लगाने को बेताब

Nikhat Zareen
प्रतिरूप फोटो
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Anoop Prajapati । Jul 1 2024 5:36PM

मशहूर बॉक्सर निखत जरीन पेरिस ओलंपिक में पदक के लिए बॉक्सिंग पंच लगाने को बेताब हैं। जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरीकॉम को एक बार बिना ट्रायल के ओलंपिक में भेजने के कारण जरीन मैरीकॉम और फेडरेशन से तक उलझ गई थीं। उन्होंन 13 साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरु की थी।

पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकीं मशहूर बॉक्सर निखत जरीन पदक के लिए बॉक्सिंग पंच लगाने को बेताब हैं। जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरीकॉम को एक बार बिना ट्रायल के ओलंपिक में भेजने के कारण जरीन मैरीकॉम और फेडरेशन से तक उलझ गई थीं। इस भारतीय स्टार ने 13 साल की उम्र में बाक्सिंग ग्ल्बस से दोस्ती कर ली थी। वो भारतीय मुक्केबाजी की लीजेंड एमसी मैरीकाम को अपना आदर्श मानती हैं। निजामाबाद की इस मशहूर फाइटर ने खुद को बॉक्सिंग में उतरने वाली और भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेशेवर रूप से प्रतिनिधित्व करने वाली पहली मुस्लिम महिला के रूप में स्थापित करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

निकहत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद में 14 जून 1996 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद और मां का नाम परवीन सुल्ताना है। निकहत के परिवार में उनसे बड़ी दो बहनें और एक छोटी बहन है। चार बेटियों के पिता जमील अहमद सेल्समैन का काम करते हैं और मां गृहणी हैं। जमील अहमद खुद पूर्व फुटबॉलर और क्रिकेटर रह चुके हैं। निकहत ने कम उम्र में ही अपनी राह तलाश ली थी। महज 13 साल की उम्र में निकहत ने बॉक्सिंग की शुरुआत की। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा निजामाबाद के निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल से ही पूरी की। बाद में हैदराबाद के एवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इस बीच निकहत बॉक्सिंग भी सीखती रहीं। 

निकहत के चाचा शमशामुद्दीन एक बॉक्सिंग कोच हैं और उनका बेटा भी मुक्केबाज है। ऐसे में निकहत ने उनसे बॉक्सिंग सीखना शुरू किया। निकहत के पिता ने उसके सपने और बॉक्सिंग सीखने की ललक को कभी दबाया नहीं, बल्कि बेटी को प्रोत्साहित किया। ग्रेजुएशन के दौरान एवी कॉलेज से ही निकहत ने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की। उन्हें पहली सफलता साल 2010 में मिली। 15 साल की निकहत ने नेशनल सब जूनियर मीट में शानदार प्रदर्शन किया।  उसके बाद साल 2011 में तुर्की में हुए महिला जूनियर यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में फ्लाई वेट में गोल्ड जीता। उस साल निकहत ने अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ महिला युवा और जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर बॉक्सिंग में अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया। 

निकहत ने बैंकॉक में हुए ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल किया। साल 2014 में नेशनल कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता। निकहत जरीन ने गुवाहाटी में हुए दूसरे इंडिया ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता। निकहत जरीन ने भले ही कम उम्र में बड़ी सफलता हासिल कर ली हो लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कड़ी ट्रेनिंग करने के साथ ही समाज का सामना भी करना पड़ा। उनपर हिजाब पहनने का दबाव डाला गया। उनके शॉर्ट्स पहनने पर आपत्ति जताई गई। मर्दों के साथ बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करने पर तरह तरह की बाते सुनने को मिलीं। लेकिन निकहत और उनका परिवार कट्टरवादी विचार धारा से लड़ता हुआ आगे बढ़ता गया और अपनी जीत की गूंज से सबको जवाब दिया।

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