क्या दिल्ली की तरह उत्तराखंड में भी चलेगी मुफ्त वाली राजनीति ? कितनी मजबूत हो पाएगी आम आदमी पार्टी

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में आप की मौजूदगी से भाजपा और कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। दिल्ली में आंधी की तरफ दूसरी पार्टियों उड़ा देने वाली आप ने उत्तराखंड को लेकर अपनी रणनीतियों को बना लिया है।

देहरादून। उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में तमाम पार्टियों ने चुनावी रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने तो सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और मुख्यमंत्री उम्मीदवार की भी घोषणा कर दी है। आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में मुफ्त बिजली का वादा किया है। 

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था अगर पार्टी सत्ता में आई तो 300 यूनिट तक बिजली का बिल मुफ्त दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि दिल्ली अपने बूते बिजली नहीं पैदा करती है और दूसरे राज्यों से खरीदती है, बावजूद इसके दिल्ली में बिजली मुफ्त है। उत्तराखंड के लोगों को मुफ्त में बिजली नहीं मिलनी चाहिए ? हालांकि मतदाता क्या सोचते हैं इसका पता तो चुनाव बाद ही चलेगा।

भाजपा-कांग्रेस को होगा घाटा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में आप की मौजूदगी से भाजपा और कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। दिल्ली में आंधी की तरफ दूसरी पार्टियों उड़ा देने वाली आप ने उत्तराखंड को लेकर अपनी रणनीतियों को बना लिया है। दूसरे राज्यों से आंकलन किया जाए तो आप का बढ़ता प्रभाव कांग्रेस की सीटों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है और फिर भाजपा को। उत्तराखंड में तो हमेशा ही सत्ता परिवर्तन होता है, इसी आशंका के चलते भाजपा ने प्रदेश में दो मुख्यमंत्रियों को बदलकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया, जिसे बेरोजगारी से जुड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड की राजनीति में दो ही मुख्य पार्टियां हैं। कांग्रेस और भाजपा लेकिन आप (AAP) भी अपना कद बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कई मौकों पर ऐसी बात सामने आती है कि उत्तराखंड को बदलाव की जरूरत है। ऐसे में क्या दिल्ली की तरह ही आप उत्तराखंड में कमाल दिखा पाएगी ? क्योंकि दिल्ली के बाद पंजाब में पार्टी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाई। जिसके बाद वह मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई। 

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आप दिल्ली की तरह ही उत्तराखंड में भी सरकार बनाना चाहती है और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का सपना देख रही। तभी को अरविंद केजरीवाल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिशों में जुटे रहते हैं। उन्होंने उत्तराखंड में पार्टी उम्मीदवार के तौर पर पूर्व सैनिक को चुना है क्योंकि यह राज्य सैन्य बहुत राज्य है।

कौन है AAP का चेहरा ?

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उत्तराखंड में AAP की कमान एक फौजी को सौंपी है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा शख्स चाहिए जो अपना घर भरने की बजाय उत्तराखंड के लोगों के बारे में, यहां के विकास के बारे में और मां भारती के बारे में सोचे। बहुत बड़े स्तर पर लोगों ने कहा कि अब नेताओं और पार्टियों के भरोसे उत्तराखंड आगे नहीं बढ़ सकता है। ऐसे में पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया। जिसके बाद उन्होंने केजरीवाल को इस जिम्मेदारी के लिए धन्यवाद कहा। लेकिन क्या वो केजरीवाल की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे ? यह तो वक्त ही बताएगा। 

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नेता बदलेंगे पाला

जब पार्टियां नेताओं को टिकट नहीं देती है तो वह पाला बदल लेते हैं। चुनावों के दरमियां यह हमेशा देखने को मिलता है। ऐसे में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के समय भी भाजपा-कांग्रेस के वो नेता जिन्हें टिकट नहीं मिलने वाला है या नहीं मिला है, आप की तरफ अपना रुख कर सकते हैं।

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