राज्यसभा को लेकर कांग्रेस में क्यों मच गई रार, राहुल-प्रियंका ने मिलकर की लिस्ट तैयार, 40 साल, 18 साल पार्टी को देने वालों की 'तपस्या' हुई बेकार?

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अभिनय आकाश । May 30 2022 3:23PM

पवन खेड़ा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई। पवन खेड़ा ने बाद में डैमेज कंट्रोल के लिए परिवार के परिवार के प्रति वफादारी साबित करने की कोशिश की। लेकिन तब तक बात दूर तक निकल चुकी थी।

देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने राज्यसभा के लिए 10 उम्मीदवारों का ऐलान किया तो उसे भरोसा था कि सियासत के सातों सुर साध लिए गए हैं। लेकिन ऐसा हो न सका। राज्यसभा के लिए टिकट का ऐलान हुआ तो कांग्रेस में बखेड़ा खड़ा हो गया। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आवाज उठाई और फिर बात बढ़ती चली गई।  पवन खेड़ा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई। पवन खेड़ा ने बाद में डैमेज कंट्रोल के लिए परिवार के परिवार के प्रति वफादारी साबित करने की कोशिश की। लेकिन तब तक बात दूर तक निकल चुकी थी। 

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18 साल से राज्यसभा टिकट का इंतजार कर रहीं नगमा ने पवन खेड़ा का ट्वीट टैग करते हुए दर्द बयान कर दिया। उन्होंने लिखा कि हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे। इशारा महाराष्ट्र से राज्यसभा में भेजे जा रहे इमरान प्रतापगढ़ी की तरफ था। जो कुछ ही साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए हैं। साल 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से लोकसभा का चुनाव हार चुके प्रमोद कृष्णम भी कहां चूकने वाले थे। प्रमोद कृष्णम ने नगमा के ट्वीट पर लिखा सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर और आजाद साहब की तपस्या तो 40 साल की है, वो भी शहीद हो गए। 

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2024 का लोकसभा चुनाव सिर पर है। माना जा रहा है कि उससे पहले उठी ये असंतोष की आवाज कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। कांग्रेस के कुछ नेता अपनी नाराजगी भले ही जाहिर कर रहे हों पर लिस्ट देखकर पहली नजर में ही ये साफ प्रतीत होता है कि पार्टी के टॉप लीडरशिप ने अपने वफादारों को मौका दिया है। खासकर, ऐसे चेहरों को जो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं। वैसे ये तो काफी समय से चर्चा में है कि पार्टी की तरफ से सारे बड़े फैसले में राहुल औऱ प्रियंका की पसंद को ही तरजीह दी जाती है। इसे इस बात से भी समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने हैं लेकिन दोनों ही राज्यों में पार्टी हाइकमान की तरफ से स्थानीय नेताओं की परवाह किए बगैर अपने भरोसेमंद और वफादारों को ही तवज्यों देना जरूरी समझा।  

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