Prajatantra: राज्यसभा के लिए सोनिया गांधी ने राजस्थान को क्यों चुना, क्या रायबरेली से लड़ेंगी प्रियंका?
सोनिया राजस्थान से चुनाव लड़ रही हैं, जहां 27 फरवरी को होने वाले चुनाव में कांग्रेस तीन सीटों में से एक पर जीत हासिल करने की स्थिति में है। पार्टी की कर्नाटक और तेलंगाना दोनों इकाइयों ने 72 वर्षीय नेता से अपने राज्य से राज्यसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया था, लेकिन पार्टी ने इसके खिलाफ फैसला किया।
लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से बमुश्किल एक महीने पहले, कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली से फिर से चुनाव लड़ने के बजाय राज्यसभा सीट का विकल्प चुना है। सोनिया गांधी ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए बुधवार को राजस्थान से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। वह 2004 से रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है कि उनकी बेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा संसदीय चुनाव में रायबरेली से चुनावी शुरुआत कर सकती हैं।
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राजस्थान ही क्यों?
सोनिया राजस्थान से चुनाव लड़ रही हैं, जहां 27 फरवरी को होने वाले चुनाव में कांग्रेस तीन सीटों में से एक पर जीत हासिल करने की स्थिति में है। पार्टी की कर्नाटक और तेलंगाना दोनों इकाइयों ने 72 वर्षीय नेता से अपने राज्य से राज्यसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया था, लेकिन पार्टी ने इसके खिलाफ फैसला किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से हैं और राहुल गांधी केरल से सांसद हैं। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सोनिया के राजस्थान से चुनाव लड़ने से यह संकेत जाएगा कि गांधी परिवार ने हिंदी पट्टी को नहीं छोड़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड और अमेठी से चुनाव लड़ने के राहुल के फैसले की पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह आलोचना हुई थी।
प्रियंका लड़ेंगी चुनाव?
2019 में कांग्रेस को हिंदी पट्टी में हार का सामना करना पड़ा, राहुल खुद अमेठी से वर्तमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए। हार इतनी गंभीर थी कि पार्टी को राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में कोई सीट नहीं मिली। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में केवल एक सीट मिली और छत्तीसगढ़ में सिर्फ दो सीटें ही मिलीं। सूत्रों ने कहा कि राहुल फिर से अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ सकते हैं और प्रियंका पारिवारिक क्षेत्र रायबरेली में अपनी मां की जगह ले सकती हैं। प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की महासचिव रह चुकी हैं। वह पार्टी के कार्यों में लगातार सक्रिय रही हैं। वह पार्टी के लिए जबरदस्त तरीके से चुनाव प्रचार भी करती हैं। लेकिन अब तक उन्होंने चुनावी मैदान में अपना किस्मत नहीं आजमाया है। ऐसे में रायबरेली उनके लिए सुरक्षित सीट मानी जा सकती है।
गांधी परिवार का साउथ कनेक्शन
सोनिया 1999 में पहली बार अमेठी से सांसद बनीं, इस सीट का प्रतिनिधित्व कभी उनके दिवंगत पति राजीव गांधी करते थे। वह 2004 में राहुल के लिए अमेठी छोड़कर रायबरेली चली गईं। सोनिया राज्यसभा में प्रवेश करने वाली नेहरू-गांधी परिवार की दूसरी सदस्य बनेंगी। उनकी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतने से पहले 1964 से 1967 तक उच्च सदन की सदस्य थीं। अतीत में गांधी परिवार के सदस्यों ने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान दक्षिण का सहारा लिया है, लेकिन शायद ही कभी राज्यसभा का रास्ता अपनाया हो। इंदिरा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में राज्यसभा का रास्ता अपनाया। 1978 में, उन्होंने चिक्कमगलुरु से लोकसभा उपचुनाव लड़ने के लिए कर्नाटक का रुख किया और अपने जनता पार्टी के प्रतिद्वंद्वी वीरेंद्र पाटिल को हराया। 1980 में इंदिरा ने रायबरेली और अविभाजित आंध्र प्रदेश के मेडक से चुनाव लड़ा। उन्होंने दोनों में जीत हासिल की और मेडक को बरकरार रखने का फैसला किया। 1999 में जब सोनिया ने राजनीति में उतरने का फैसला किया तो उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी को चुना था।
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रायबरेली और अमेठी का इतिहास
दिलचस्प बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश का रायबरेली और अमेठी भी गांधी परिवार का गढ़ रहा है। रायबरेली की बात करें जहां से सोनिया गांधी वर्तमान में लोकसभा के सदस्य हैं, तो सबसे पहली बार 1952 में यहां से फिरोज गांधी ने जीत हासिल की थी। फिरोज गांधी इंदिरा गांधी के पति और सोनिया गांधी के ससुर थे। 1957 में भी उन्होंने यहां से जीत हासिल की। 1967 और 1971 के चुनाव में यहां से इंदिरा गांधी ने जीत हासिल की थी। 1980 में अरुण नेहरू रायबरेली सीट से लोकसभा पहुंचे थे। 2004 के बाद से लगातार सोनिया गांधी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। दूसरी ओर अमेठी की बात करें तो 1980 में यहां से संजय गांधी ने चुनाव जीता था। 1981, 1984, 1989 और 1991 में राजीव गांधी यहां से सांसद बने। 1999 में सोनिया गांधी यहां से जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं। 2004, 2009 और 2014 में यहां से राहुल गांधी सांसद बने थे।
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