हिमाचल में भी उत्तराखंड जैसा हश्र, सिर्फ गुजरात में टिकी आस, AAP का क्या होगा? आंकड़ों से जानें
चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में सरकार बनाने का सपना देख रही थी। लेकिन चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी पूरी बिखर गई। खुद पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरा कर्नल अजय कोठियाल बीजेपी में शामिल हो गए। हिमाचल के नतीजे भी इसी दिशा में जाते नजर आ रहे हैं।
दिल्ली के नगर निगम चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी अपने विस्तार की मंशा लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी एंट्री ली। लेकिन दोनों प्रदेशों में उसकी स्थिति बेहद अच्छी तो नहीं कही जा सकती है। हालांकि गुजरात में आप का खाता खुलता नजर आ रहा है। अरविंद केजरीवाल की आप गुजरात में रुझानों में छह सीटों पर आगे चल रही है। जबकि हिमाचल में उसका खाता भी नहीं खुलता नजर आ रहा है। हिमाचल में आप अभी तक किसी भी सीट पर आगे नहीं बढ़ पाई है क्योंकि पहाड़ी राज्य में मौजूदा बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
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भाजपा नए कीर्तिमान स्थापित करने की उम्मीद कर रही है
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चल रही थी, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी कुछ नए रिकॉर्ड स्थापित करने की उम्मीद कर रही थी। गुजरात में जीत इसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के अलावा एकमात्र ऐसी पार्टी बना देगी जिसने लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते हैं। 1977 से 2011 तक 34 वर्षों तक पश्चिम बंगाल पर शासन करने वाली माकपा ने भी लगातार सात चुनाव जीते थे। दूसरी ओर, 1985 के बाद से हिमाचल प्रदेश में किसी भी पार्टी ने बैक-टू-बैक चुनाव नहीं जीता है। अगर भाजपा पहाड़ी राज्य में सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होती है, तो यह एक और रिकॉर्ड होगा।
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चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में सरकार बनाने का सपना देख रही थी। लेकिन चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी पूरी बिखर गई। खुद पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरा कर्नल अजय कोठियाल बीजेपी में शामिल हो गए। हिमाचल के नतीजे भी इसी दिशा में जाते नजर आ रहे हैं। जिसके बाद आप की प्रदेश ईकाई कितने दिन तक कायम रह पाती है, ये भी एक बड़ा सवाल है।
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