Jan Gan Man: बाबर की बर्बरता पर भारी पड़ेगी योगी की प्रतिबद्धता, Sambhal के Lord Shiva Temple के कपाट खुलवा कर क्या संदेश दिया गया है?
हम आपको बता दें कि श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को 13 दिसंबर को फिर से खोला गया था। अधिकारियों को इलाके में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान यह मंदिर मिला था। मंदिर में भगवान हनुमानजी की मूर्ति और शिवलिंग स्थापित थे।
दशकों तक अंधेरे में रहे संभल के श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) में इस समय उजाला ही उजाला दिखाई दे रहा है। यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छाशक्ति का ही कमाल है कि जिस मंदिर के कपाट दशकों तक बंद रखे गये, जिस मंदिर को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया गया, जिस मंदिर की मूर्तियों को कुएं में फेंक दिया गया, उस मंदिर के कपाट भी खोले गये, मूर्तियों को सम्मान सहित यथास्थान पर रखा गया और अब वहां पूजन-दर्शन भी प्रारम्भ हो गया है। आज मंगलवार को बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से आए भक्तों ने इस मंदिर में हनुमानजी की पूजा-अर्चना की। जिस तरह से दूर दराज से श्रद्धालु इस मंदिर में रोजाना पूजा करने पहुँच रहे हैं वह दर्शाता है कि 500 साल पुराने इस मंदिर के कपाट 46 साल बाद फिर से खोले जाने से सनातनी कितने खुश हैं।
हम आपको बता दें कि श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को 13 दिसंबर को फिर से खोला गया था। अधिकारियों को इलाके में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान यह मंदिर मिला था। मंदिर में भगवान हनुमानजी की मूर्ति और शिवलिंग स्थापित थे। यह 1978 से बंद था। मंदिर के पास एक कुआं भी है। हरिहर मंदिर के स्थान पर बनी शाही जामा मस्जिद से करीब एक किलोमीटर दूर यह मंदिर खग्गू सराय इलाके में है। जिला प्रशासन ने कुंए और मंदिर की ‘कार्बन डेटिंग’ के वास्ते भारतीय पुरात्व सर्वे को पत्र लिखा है। हम आपको बता दें कि ‘कार्बन डेटिंग’ प्राचीन स्थलों से मिली पुरातात्विक कलाकृतियों के काल निर्धारण की एक प्रविधि है। प्रशासन ने मंदिर की चौबीसों घंटे सुरक्षा के लिए तमाम तरह के प्रबंध भी किये हैं।
दूसरी ओर, इस मंदिर को फिर से खोले जाने पर देश भर से लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संभल के जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात श्री अश्विनी उपाध्याय ने इस मंदिर को फिर से खोले जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि यह प्रकरण बंटेंगे नहीं तो कटेंगे नहीं की सर्वोत्तम मिसाल है।
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