Annamalai की National Politics में एंट्री के संकेत? Nainar Nagendran को Tamilnadu BJP की कमान सौंपी गयी, मगर क्यों?

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हम आपको बता दें कि के. अन्नामलाई ने 2021 के विधानसभा चुनाव में करूर जिले के अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन असफल रहे। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं मिली।

तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष पद से अन्नामलाई की चार साल बाद विदाई हो गयी और उनकी जगह कभी जयललिता के करीबी रहे नयनार नागेंद्रन को दे दी गयी। नयनार नागेंद्रन जहां राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं वहीं वह हिंदुत्ववादी नेता भी हैं। द्रमुक जिस तरह हिंदुत्व और सनातन विरोधी बयान देती रहती है उसका मुकाबला करने के लिए नागेंद्रन को उतार कर भाजपा ने तगड़ी चाल चली है। इसके अलावा एनडीए में अन्नाद्रमुक की वापसी के बाद दोनों दलों के बीच सामंजस्य अच्छा रहे इस काम को भी नागेंद्रन अच्छी तरह कर पायेंगे क्योंकि वह लंबे समय तक जयललिता की पार्टी में रहे हैं। दूसरी ओर अन्नामलाई के बारे में माना जा रहा है कि जल्द ही उनकी केंद्रीय मंत्रिमंडल में या फिर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में किसी अहम पद पर नियुक्ति की जा सकती है। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात के संकेत दिये हैं। हम आपको बता दें कि अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा के गठबंधन का ऐलान करने के लिए जब अमित शाह चेन्नई पहुँचे थे तब उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अन्नामलाई के लिए एक बड़ी भूमिका की परिकल्पना करती है।

अन्नामलाई की राजनीतिक पारी

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष पद पर अन्नामलाई के कार्यकाल को देखें तो वह पूरे समय द्रमुक और अन्नाद्रमुक, दोनों के ही मुखर आलोचक रहे। वैसे तमिलनाडु में भाजपा के नेता हमेशा से ही राज्य में सत्तारुढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम की आलोचना करते रहे हैं इसीलिए 2021 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी के. अन्नामलाई भी इसके अपवाद नहीं रहे। लेकिन उन्होंने अन्नाद्रमुक के खिलाफ भी मशाल जलाये रखी और यही बात उन्हें भाजपा में दूसरों से अलग बनाती है। उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान खासतौर पर द्रमुक को लगातार निशाना बनाया। चार साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद, अन्नामलाई राज्य के उन दस नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने प्रदेश में पार्टी नेतृत्व के लिए मौजूदा उपाध्यक्ष नयनार नागेंद्रन का नाम प्रस्तावित किया।

पुलिस अधिकारी से राजनीति में आए 40 वर्षीय अन्नामलाई को राज्य में अपनी ‘एन मन एन मक्कल’ (मेरी जमीन, मेरे लोग) यात्रा के लिए जाना जाता है। हम आपको बता दें कि पार्टी की परंपरा के अनुसार, उनके पूर्ववर्ती और मौजूदा केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने ‘वेल यात्रा’ निकाली थी और अतीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने पूरे राज्य में ‘थामराई यात्रा’ निकाली थी। अन्नामलाई ने 2021 के विधानसभा चुनाव में करूर जिले के अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन असफल रहे। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं मिली। अन्नामलाई द्वारा द्रमुक पर किये गए कटाक्षों का उनकी पार्टी के सदस्यों और यहां तक कि अन्नाद्रमुक ने भी समर्थन किया। लेकिन, जब उन्होंने अन्नाद्रमुक नेताओं पर निशाना साधना शुरू किया तो अन्नाद्रमुक ने अपने गठबंधन पर पुनर्विचार शुरू कर दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के संबंध तब खराब हो गए जब अन्नाद्रमुक ने भाजपा से अलग होने की घोषणा की। लोकसभा चुनाव-2024 के प्रचार अभियान ने एक दिलचस्प मोड़ तब लिया जब अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने अन्नामलाई को ‘‘प्रचार का भूखा’’ कहा। अन्नामलाई ने पलटवार करते हुए पलानीस्वामी को भाजपा के साथ चुनावी संबंध तोड़ने के लिए ‘‘खट्टे अंगूर’’ वाली कहानी सुनाई। ऐसा प्रतीत हुआ कि भाजपा और अन्नाद्रमुक की इस जुबानी जंग का लाभ राज्य में सत्तारुढ़ द्रमुक को हुआ।

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

दूसरी ओर, भाजपा के नये अध्यक्ष नागेंद्रन की बात करें तो आपको बता दें कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) में हाशिये पर डाले जाने के बाद नयनार नागेंद्रन ने 2017 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था और अब वह केंद्र की सत्तारुढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बन गये हैं। वह हिंदुत्व के संबंध में अपने कट्टर विचारों के लिए भी जाने जाते हैं। राजनीतिक अनुभव के मामले में संपन्न नागेंद्रन (64) भाजपा की तमिलनाडु इकाई के तेरहवें अध्यक्ष हैं। नागेंद्रन पर अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की बड़ी जिम्मेदारी है।

चुनावी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाने वाले नागेंद्रन, जयललिता मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी के. अन्नामलाई के बाद पार्टी प्रमुख के रूप में उनका उदय, भाजपा द्वारा अन्नाद्रमुक को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, ताकि राज्य में सत्तारुढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) को एक संयुक्त ताकत के रूप में चुनौती दी जा सके। मौजूदा विधानसभा में तिरुनेलवेली क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे नागेंद्रन का जन्म कन्याकुमारी जिले के वदिवेस्वरम में हुआ था। अन्नाद्रमुक में दरकिनार किए जाने के बाद वह 2017 में पार्टी नेता अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए और बाद में उन्हें पार्टी की राज्य इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

नागेंद्रन ने 2001, 2011 और 2021 के विधानसभा चुनावों में तीन बार तिरुनेलवेली से जीत हासिल की जिसमें से दो बार वह अन्नाद्रमुक के टिकट पर विधायक बने जबकि 2021 में भाजपा के चुनाव चिह्न पर सदन में पहुंचे। उन्होंने 2006 और 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 और 2024 में लोकसभा चुनाव भी तिरुनेलवेली से लड़ा, लेकिन असफलता हाथ लगी। नागेंद्रन ने 2018 में एक विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने देवी अंदाल पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले तमिल गीतकार वैरामुथु की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी थी। नागेंद्रन को हिंदू मुन्नानी के उपाध्यक्ष वी.सी. जयबालन के साथ कथित घृणास्पद भाषण के लिए गिरफ्तार किया गया था।

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष चुनाव के लिए उनके नामांकन का प्रस्ताव निवर्तमान अध्यक्ष अन्नामलाई सहित दस वरिष्ठ पदाधिकारियों ने रखा था। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘उन्हें (नागेंद्रन को) उनके अनुभव के कारण भाजपा विधायक दल का नेता बनाया गया था। अब उन्हें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए बड़ी भूमिका सौंपी गई है।’’ नागेंद्रन ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ा, क्योंकि दस नेताओं ने उनके नामांकन का समर्थन किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन सभी का और हमारे (केंद्रीय) नेताओं का शुक्रिया अदा करता हूं।''

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