यूपी चुनाव: खुशी दुबे को लेकर बसपा और कांग्रेस खेल रही हैं दांव,दलित ब्राह्मण गठजोड़ की है कोशिश

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बीएसपी और कांग्रेस विकास दुबे की बहु कहे जाने वाली खुशी दुबे के मामले को लेकर योगी सरकार पर हमलावर हैं। दोनों पार्टियां खुशी दुबे के मामले को मुद्दा बनाकर योगी और भाजपा को ब्राम्हण विरोधी बताने का प्रयास कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है। चुनाव आयोग द्वारा जल्द ही चुनावी तारीखों ऐलान कर सकता है। चुनाव में हर एक सियासी दल अपने अपने वोट बैंक को देखते हुए एजेंडे को सेट करने में लगा हुआ है। प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा इन चुनावों को राम मंदिर, मथुरा में कृष्ण मंदिर,काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के इर्द गिर्द रखना चाह राही है। भाजपा नहीं चाहती इन चुनावों में महंगाई, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में अव्यवस्था से हुई मौतें चुनावों में मुद्दा बनें। वहीं एसपी-बीएसपी और कांग्रेस बीजेपी और योगी को ब्राह्मण विरोधी साबित कर ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं।

बीएसपी और कांग्रेस विकास दुबे की बहु कहे जाने वाली खुशी दुबे के मामले को लेकर योगी सरकार पर हमलावर हैं। दोनों पार्टियां खुशी दुबे के मामले को मुद्दा बनाकर योगी और भाजपा को ब्राम्हण विरोधी बताने का प्रयास कर रही हैं। बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने बीते साल जुलाई में आरोप लगाते हुए कहा था कि खुशी को योगी सरकार जेल में ही मार डालना चाहती है। ऐसा कह कर सतीश चंद्र मिश्रा योगी सरकार को ब्राह्मणों का उत्पीड़न करने वाली सरकार साबित करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने खुशी दुबे का केस लड़ने को भी कह दिया था।

2007 की राह पर बीएसपी दलित- ब्राह्मण गठजोड़ पर दांव

अपनी हर चुनावी रैली में मिश्रा खुशी दुबे का जिक्र करना भूलते नहीं है। आपको बता दें खुशी दुबे विकास दुबे के शूटर अमर दुबे की पत्नी है। विकास दुबे का पुलिस ने बिकरु कांड के बाद एनकाउंटर कर दिया था। खुशी दुबे के खिलाफ भी पुलिस ने कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है।बीएसपी ने दलित ब्राह्मण गठजोड़ पर काम करने का जिम्मा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपा है। इस अभियान के तहत ही सतीश चंद्र मिश्रा जिले जिले में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन भी कर रहे हैं। बीते दिनों मिश्रा ने योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया था और कहा था कि, उनका नाथ पंथ ब्राह्मणों को अपना दुश्मन समझता है। सतीश चंद्र मिश्रा ने योगी पर आरोप लगाते हुए कहा योगी सरकार में कुल 100 ब्राह्मणों को एनकाउंटर में मारा गया है। इसके अलावा बीजेपी सरकार में पुजारियों की भी हत्या हुई है।

 

कांग्रेस ने भी बांध रखी है उमीद

 कांग्रेस भी वक्त वक्त पर खुशी दुबे का मामला उठाकर योगी सरकार पर हमला बोलती रही है। सतीश चंद्र मिश्रा के अलावा कांग्रेस के सांसद  औरनामी वकील विवेक तन्खा ने भी खुशी दुबे का मामला अपने हाथ में ले लिया। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने शुक्रवार को योगी सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया कि, साल 2022 के चुनाव में बीजेपी को ब्राह्मण समाज ही हराएगा। अंशु अवस्थी ने खुशी दुबे का जिक्र करते हुए कहा कि, बीजेपी बताए निर्दोष होने के बाद भी खुशी दुबे डेढ़ साल से जेल में क्यों बंद है। जो 5 दिन पहले शादी करके विकास दुबे के घर आई थी, बीजेपी ने उन्हें ब्राह्मण होने के नाते जेल में डाल रखा है।

 योगी सरकार पर लगते रहे हैं ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप

 विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगे थे। लेकिन आपको बता दें कि, इस मामले से पहले भी योगी सरकार पर ब्राह्मण समाज से खुन्नस खाने के आरोप लगे थे। हाल ही में बसपा से सपा में आए हरिशंकर तिवारी के यहां भी सरकार ने छापेमारी की थी। ब्राह्मण नेता के तौर पर जाने जाने वाले ज्ञानपुर से विधायक विजय मिश्र भी जेल में है। इन्हीं सब मामलों को लेकर सपा बसपा और कांग्रेस योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताती रहती हैं।

 बीजेपी के अंदर भी इस बात को लेकर सुगबुगाहट है कि ब्राह्मण तबका उनसे नाराज है। इसीलिए बीजेपी ने एक समिति बनाई है जिसमें पार्टी के कई ब्राह्मण नेताओं को शामिल किया गया है। यह समिति योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी माने जाने वाले शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में बनाई गई है। इस समिति का कार्य पार्टी से नाराज हुए ब्राह्मण तबके को मना कर वापस लाना है।

 

उत्तर प्रदेश चुनाव में अब कुछ ही समय शेष है लेकिन नेताओं की होने वाली सभाओं में आम आदमी से जुड़े मुद्दे गायब है। एक तरफ सत्ताधारी दल है जो इस चुनाव को राम मंदिर, मथुरा में कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जरिये सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहा है। दरअसल बीजेपी इन मुद्दों के जरिये हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण करने की भी भरपूर कोशिश कर रही है। जिससे चुनावों में उसको फायदा हो। दूसरी तरफ सपा बसपा और कांग्रेस भी जातिगत राजनीति को जीत का मंत्र मानकर आगें बढ़ रही हैं। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता का ताज किसके सर पर सजेगा।  

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