Farmers Protest ने बढ़ाया Delhi-NCR का सिरदर्द, किसानों के दिल्ली चलो कूच के चलते बढ़ सकता है ट्रैफिक जाम, बोर्ड परीक्षा दे रहे छात्र भी परेशान

Farmers Protest
ANI

एक चीज साफ दिख रही है कि वह यह ठान कर ही आये हैं कि सरकार की कोई बात माननी नहीं है। दरअसल इस बार किसान आंदोलन के नाम पर जो अभियान छेड़ा गया है वह असल में एमएसपी गारंटी कानून के लिए नहीं बल्कि मोदी हटाओ अभियान को धार देने के लिए है।

‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग ले रहे किसान नेताओं ने सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक ‘दाल, मक्का और कपास’ की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है तथा उन्होंने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी कूच करने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद दिल्ली-एनसीआर के लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय है क्योंकि किसानों के आंदोलन के चलते ट्रैफिक जाम तो बढ़ेगा ही साथ ही कई रास्तों के बंद होने के चलते लोगों को लंबे समय तक काफी घूम कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके अलावा मार्गों पर अवरोधक होने के चलते स्थानीय कारोबार पर तो असर पड़ ही रहा है साथ ही आने वाले समय में प्रतिबंधों के बढ़ने पर आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बाधित होने का भी अंदेशा है। इसके अलावा, उन छात्रों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है जोकि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा देने जा रहे हैं। सीबीएसई ने हालांकि छात्रों से अपील की है कि वह समय से पहले घर से निकलें और मेट्रो ट्रेन का इस्तेमाल करें लेकिन जिन छात्रों के परीक्षा केंद्र मेट्रो मार्ग में नहीं हैं उन्हें परेशानी हो सकती है। इसके अलावा हरियाणा और पंजाब के कुछ जिलों में इंटरनेट पर संभावित प्रतिबंध से भी छात्रों को पढ़ाई का नुकसान हो सकता है।

जहां तक किसान नेताओं की बात है तो एक चीज साफ दिख रही है कि वह यह ठान कर ही आये हैं कि सरकार की कोई बात माननी नहीं है। दरअसल इस बार किसान आंदोलन के नाम पर जो अभियान छेड़ा गया है वह असल में एमएसपी गारंटी कानून के लिए नहीं बल्कि मोदी हटाओ अभियान को धार देने के लिए है। सरकार जिस तरह किसानों के पास बात करने के लिए बार-बार गयी उसका कोई असर इन तथाकथित किसान नेताओं पर नहीं पड़ा। देखा जाये तो वर्तमान आर्थिक परिदृश्यों में एक अच्छा प्रस्ताव किसानों को दिया गया था लेकिन उसे हठधर्मिता के साथ खारिज कर दिया गया।

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हम आपको बता दें कि किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने हरियाणा से लगे पंजाब के शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या अवरोधक हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए।’’ इसके अलावा किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ‘‘हमारे दो मंचों पर (केंद्र के प्रस्ताव पर) चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और हम इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या ‘दिल्ली मार्च’ का उनका आह्वान अभी भी बरकरार है, पंधेर ने कहा, ‘‘हम 21 फरवरी को 11 बजे दिल्ली के लिए शांतिपूर्वक कूच करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को अब निर्णय लेना चाहिए, और उन्हें लगता है कि आगे चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।

हम आपको यह भी बता दें कि 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘‘भटकाने और कमजोर करने’’ की कोशिश की गई है और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए 'सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’ फूर्मला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।

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