विधानसभा चुनाव के दौरान Sangli क्षेत्र में होगी कांटे की टक्कर, लोकसभा चुनाव में सभी के हाथ थे खाली
सांगली लोकसभा क्षेत्र में 2024 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार विशाल प्रकाशबापू पाटिल ने बीजेपी के संजय काका पाटिल के 10 साल के दबदबे को खत्म करते हुए जीत हासिल की थी। 1952 में देश के लिए हुए लोकसभा निर्वाचन में इस सीट का गठन नहीं हुआ था। 1957 में दूसरे संसदीय निर्वाचन में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया।
सांगली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र के 48 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। जिस पर 2024 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार विशाल प्रकाशबापू पाटिल ने बीजेपी के संजय काका पाटिल के 10 साल के दबदबे को खत्म करते हुए जीत हासिल की थी। 1952 में देश के लिए हुए लोकसभा निर्वाचन में इस सीट का गठन नहीं हुआ था। 1957 में दूसरे संसदीय निर्वाचन में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। यह क्षेत्र कृष्णा नदी के किनारे बसा होने के चलते प्राकृतिक सौंदर्य में डूबा हुआ है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बना सागरेश्वर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी यहीं पर है। यह भूतपूर्व सांगली राज्य की राजधानी भी था। इस क्षेत्र में दलहन और हल्दी का बड़ा बाज़ार है। यहां पर सूती वस्त्र, तेल मिलें और पीतल व तांबे के सामान के निर्माण से जुड़े कई कारख़ाने हैं।
यह लोकसभा क्षेत्र पूरी तरह से महाराष्ट्र के सांगली जिले के तहत ही आता है। जो मिराज, सांगली, पलुस कडेगांव, खानापुर, तसगांव कवठे महांकाल और जाट विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। जिसमें 2019 के चुनाव में दो सीट बीजेपी और दो कांग्रेस के खाते में गई थी और राष्ट्रवादी कांग्रेस को पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही 1962 से अस्तित्व में आए मिराज विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही रहती है। यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जिसमें पिछले 15 साल से बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। उसके नेता सुरेश खाड़े 15 साल से यहां से विधायक हैं। उनके पहले कांग्रेस के हाफिज धत्तूरे लगातार दो बार यहां से विधायक चुने गए थे।
इस लोकसभा क्षेत्र की सांगली विधानसभा सीट पर अब तक शिवसेना और एनसीपी अपना खाता भी नहीं खोल सकी हैं। तो वहीं, चुनावी संघर्ष हमेशा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के मध्य ही रहता है। 2019 में हुए अंतिम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुधीर गाडगिल जीतने में कामयाब रहे थे। यह उनका लगातार दूसरा बतौर विधायक कार्यकाल है। भारतीय जनता पार्टी का यहां लगातार 15 साल से कब्जा बना हुआ है। इस लोकसभा क्षेत्र की पलुस कडेगांव विधानसभा सीट 1985 से अस्तित्व में आई थी। इसके बाद से लेकर अब तक कांग्रेस सिर्फ 1995 के चुनाव और 1996 के उपचुनाव में ही हारी है। इसके बाद 1999 से इस क्षेत्र पर पार्टी अपराजिता ही रही है। इस क्षेत्र में कदम परिवार का दबदबा लगातार बना हुआ है। वर्तमान में पार्टी के नेता विश्वजीत कदम इस क्षेत्र से लगातार दो बार से विधायक बने हुए हैं।
महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा क्षेत्र की खानपुर विधानसभा सीट के मतदाताओं ने अब तक भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर लगभग सभी दलों को अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है, लेकिन वर्तमान में सीट खाली है। क्योंकि 2014 और 2019 के चुनाव में शिवसेना के टिकट पर विधायक चुने गए अनिल बाबर का इसी वर्ष जनवरी में निधन हो गया था। इस लोक सभा क्षेत्र की तसगांव कवठे महांकाल विधानसभा सीट पूरे राज्य में पाटिल परिवार के कारण जानी जाती है। जिसके चलते पहले कांग्रेस और 1999 से यह सीट एनसीपी के पास ही लगातार बनी हुई है। राज्य के पूर्व गृहमंत्री और इस क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे रावसाहेब राम राव पाटिल उर्फ आरआर पाटिल की पत्नी सुमन ताई आर 2015 से उनके निधन के बाद से ही इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले एनसीपी के दो टुकड़ों में बंटने के बाद उन्होंने शरद पवार गुट को चुना था। महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 नंबर से जाने जानीवाली जाट सीट पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस के नेता विक्रम सिंह बालासाहेब सावंत ने बीजेपी के लगातार 15 साल के वर्चस्व को खत्म करके जीत हासिल की थी। उसके पहले कांग्रेस पार्टी यहां से लगातार कई बार चुनाव जीतती रही है।
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