यूसीसी से मेघालय में अनूठे मातृसत्तात्मक समाज में हस्तक्षेप का खतरा : भाजपा नेता शुल्लई
नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष संगमा ने कहा था कि यूसीसी अपने मौजूदा स्वरूप में भारत की वास्तविक अवधारणा के खिलाफ है।
मेघालय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सनबोर शुल्लई ने सोमवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से राज्य के अनूठे मातृसत्तात्मक समाज में ‘‘हस्तक्षेप का खतरा’’ है और उन्होंने विधि आयोग से राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में इसे लागू नहीं करने की अपील की। विधि आयोग के अध्यक्ष को लिखे पत्र में शिलॉंग साउथ निर्वाचन क्षेत्र के विधायक ने कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण अपील है कि यूसीसी के क्रियान्वयन को मेघालय राज्य के अनुसूचित क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी को मेघालय में लागू किया जाता है तो राज्य में समाज के मातृसत्तात्मक मानदंडों की अनूठी विशेषता में हस्तक्षेप का खतरा है।
शुल्लई ने कहा, ‘‘संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन के दौरान केंद्र सरकार काफी उदार रही है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों को छूट दी गई है। इस तरह, मेघालय के आदिवासी समुदायों के पारंपरिक मातृसत्तात्मक कानून को बनाए रखने के लिए यही सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लागू किए जाने वाले किसी भी कानून को पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदायों की समृद्ध और पारंपरिक विरासत की रक्षा करने के अलावा अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। समान नागरिक संहिता विवाह, तलाक और विरासत पर कानूनों का एक समूह है जो धर्म, जनजाति या अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों से परे सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा।
विधि आयोग ने 14 जून को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार आमंत्रित कर यूसीसी पर एक नयी परामर्श प्रक्रिया शुरू की थी। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा पहले ही यूसीसी के प्रति अपना विरोध जता चुके हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष संगमा ने कहा था कि यूसीसी अपने मौजूदा स्वरूप में भारत की वास्तविक अवधारणा के खिलाफ है।
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